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डीएनए टेस्ट से प्रतिभा का आंकलन

८ फ़रवरी २०११

एक लैबोरेट्री का दावा है कि किसी बच्चे के डीएनए टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि वह आगे जाकर वह किस खेल में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. प्रतिभा को पहचानने के लिए भी अब वैज्ञानिक तरीके का सहारा लिया जा रहा है...

तस्वीर: AP

खेलों में बढ़ते ग्लैमर के कारण आजकल काफी मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा खेल में ही अपना करियर बनाए, लेकिन उन्हें यह जानने में समस्या होती है कि वास्तव में बच्चे को कौन सा खेल खेलना चाहिए जिससे उनका बच्चा उस खेल की बुलंदियां छू सके. उन्हे चिंता यह भी होती है कि क्या खेलों में उनका बच्चा सचमुच सफल हो पाएगा या उसकी किस्मत में कुछ और लिखा है.

भारत में सुपर रेलीगेयर लैबोरेट्री के दावे के मुताबिक डीएनए टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि बच्चा किस खेल में अपना करियर बना सकता है. इस लैब में इस तरह के डीएनए टेस्ट के लिए आने वाले बच्चों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. याने अब टेस्ट से पता चलेगा कि आप का बच्चा महेंद्र सिंह धोनी जैसा बनेगा या मुक्केबाज विजेंद्र सिंह सरीखा.

लेकिन क्या वास्तव में इस दावे में सचाई है? बच्चों पर कई तरह के शोध कर रहे डॉक्टर किशोर चांदकी इस बारे में कहते हैं कि इस तरह के शोध एक्सपेरिमेंटल होते हैं और ऐसे टेस्ट वे लोग करवाते हैं जो खुद स्पोर्ट्समैन हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे टेस्ट के सही होने के का कोई प्रमाण नहीं है इसलिए इनकी कोई उपयोगिता भी नहीं है. ज्यादातर हाई प्रोफाइल लोग इस तरह के टेस्ट करवाते हैं, लेकिन इससे कुछ खास जानकारी नहीं मिलती.

क्या बनेगा बच्चातस्वीर: AP

लैबोरेट्री ने इस दावे कारण बताते हुए कहा है कि बच्चों में जन्मजात गुण होते हैं और उन गुणों को डीएनए टेस्ट के आधार पर पहचाना जा सकता है. इससे यह पता लगाया जा सकता है कि वे किस खेल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके अपना करियर बना सकते हैं.

इस पर डॉक्टर चांदकी कहते हैं कि इन टेस्ट से मसल्स का स्ट्रक्चर पता लगाया जा सकता है. इससे पता चलता है कि खेल के मुताबिक मसल्स एक्टिविटी है या नहीं. लेकिन डॉक्टर चांदकी के मुताबिक यह कोई नहीं बता सकता कि आगे जाकर बच्चा क्या बनेगा. उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब इस तरह के टेस्ट का कोई मतलब नहीं.

लैबोरेट्री का दावा है कि इस टेस्ट के बाद मां बाप अपने बच्चों के करियर के बारे में जल्दी निर्णय ले सकते हैं. कई लोग इस टेस्ट के परिणाम जानने के लिए उत्सुक है तो कुछ मानते हैं कि ऐसे टेस्ट समय की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है. अजीब बात यह है कि इस दावे को न तो पूरी तरह माना जा सकता है और न ही तुरंत इसे खारिज किया जा सकता है, क्योंकि इस दावे की सचाई बच्चे के बड़े होने पर ही सामने आएगी.

रिपोर्टः शराफत खान

संपादनः वी कुमार

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