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डीजल में मिलाओ पानी

१३ जून २०१०

विश्वास नहीं होता, पर बात सही है. डीजल में पानी मिलाने से कार इंजन की कार्यकुशलता और बढ़ाई जा सकती है. बिलकुल सादे पानी से बात नहीं बनती, इसलिए शोधकर्ता बात बनाने का रास्ता ढूंढ रहे हैं.

तस्वीर: picture-alliance/ dpa

डीजल और पानी आपस मे घुलनशीन नहीं हैं. हालांकि दोनों के मेल से कार के मोटर को दोहरा लाभ मिल सकता है. एक तो यह कि पानी मोटर के भीतर की भारी गर्मी को घटाता है. दूसरा कि मोटर का तापमान कम होने पर कुछ परिस्थितियों में उसकी कार्यकुशलता और बढ़ाई जा सकती है. इसीलिए डीज़ल और पानी के बीच मेल बैठाने के प्रयास पहले भी कई बार हो चुके हैं.

"रेसिंग ट्रकों में ऐसा होता है. दूसरे विश्व युद्ध के समय हवाई जहाज़ों के इंजनों में इसका उपयोग हो चुका है. यहां तक कि जंबो जेट कहलाने वाले बोइंग 747 के शुरुआती दौर में इसी उद्देश्य से पानी की टंकियां भी हुआ करती थीं." कोलोन यूनिवर्सिटी के रसायन शास्त्री राइनहार्ड स्ट्रे

तस्वीर: picture-alliance/ dpa

पानी से रासायनिक सहयोग

राइनहार्ड स्ट्रे कहते हैं कि मोटर में डीज़ल क़रीब 2000 डिग्री सेल्सियस पर जलता है. इस तापमान पर पानी उसकी दहन क्रिया को रासायनिक तरीके से और बेहतर बना सकता है. उनके मुताबिक, "इस तापमान पर पानी ऐसे रैडिकल कणों में खंडित हो जाता है, जो पिरान्या मछली की तरह अपने सामने पड़ने वाली हर चीज़ पर झपट्टा मारते हैं. यदि डीज़ल अणु उनके सामने पड़े तो वे उन पर भी हमला बोल कर उनको तब तक तोड़ते जाते हैं, जब तक वे केवल एथिल और मेथिल अणु ही रह जाते हैं. और तब उनका आसानी से ऑक्सीडेशन हो जाता है."

इस ऑक्सीडेशन यानी ऑक्सीकरण से डीजल मोटर की अब तक की एक सबसे बड़ी समस्या हल हो सकती है, उससे निकलने वाले धुएं में कालिख और नाइट्रस ऑक्साइड के बहुत अधिक अनुपात का निवारण. लेकिन क्योंकि पानी और डीजल का मेल आसानी से होता नहीं, इसलिए ऑटोमोबाइल इंजीनियरों को फ़िलहाल ऐसे विकल्प अपनाने पड़ते हैं, जो मोटर में दहन क्रिया के समय नपीतुली मात्रा में पानी के छींटे डालें. इस प्रकार के इंजेक्टिंग सिस्टम बहुत महंगे पड़ते हैं. इसलिए उनका अधिक प्रचलन नहीं हो पा रहा है.

तस्वीर: cc/BinaryApe

राइनहार्ड स्ट्रे डीज़ल और पानी का ऐसा मिश्रण तैयार करने में लगे हैं कि मोटर की बनावट में कोई परिवर्तन करना ही न पड़े. वह कहते हैं, "यह एक बिलकुल सामान्य डीजल मोटर है, कोई हेरफेर नहीं किया गया है. सिर्फ़ एक छोटा सा पिस्टन अलग से बैठाया गया है, जो मोटर में खपने वाले डीजल के अनुपात में पानी पंप करता है. यह पानी इमल्सिफ़ायर कहलाने वाले उपकरण में डीजल के साथ मिलाया जाता है. दोनों के मिश्रण से जो इमल्शन बनता है, उसे मोटर के दहन कक्ष में इंजेक्ट किया जाता है. वही कालिख और नाइट्रस ऑक्साइड को घटाता है."

टेंसीडों की भूमिका

राइनहार्ड स्ट्रे की परीक्षण कार की डिक्की में पानी की अलग टंकी है. अतिरिक्त पिस्टन वाला उपकरण उसी से पानी लेता है. इमल्सिफ़ायर में डीजल और पानी का अभी केवल ऐसा इमल्शन बनता है, जो बहुत टिकाऊ नहीं है. स्ट्रे ऐसा इमल्शन चाहते हैं, जिसे डीजल के बीच पानी की अतिसूक्ष्म बूंदों वाला माइक्रो इमल्शन कहा जा सके. इसे वे तथाकथित टेंसीडों की सहायता से प्राप्त करना चाहते हैं. टेंसीड ऐसे रासायनिक पदार्थ हैं, जो उदाहरण के लिए, साबुन या कपड़ा धोने के पाउडर में मिले होते हैं और पानी का तलतनाव कम करने में सहायक बनते हैं.

तस्वीर: AP

वह कहते हैं, "टेंसीड और डीज़ल का मिश्रण एक तरह से सूखे स्पंज के समान होगा, जिसे बस पानी का इंतज़ार है. जैसे ही उसे पानी मिलेगा, उसके टेंसीड अणु पानी को तुरंत घुलनशील बना देंगे."

कालिख की मात्रा घटती है

डीजल की तरह ही टेंसीड भी मूल रूप से कार्बन और हाइड्रोजन के बने होते हैं और मोटर में पूरी तरह जल कर भस्म हो सकते हैं. उनके मुताबिक, "अब तक के परीक्षणों में हमने देखा कि पानी की मात्रा बढ़ने से-- हम पानी के 20-30 प्रतिशत तक अनुपात की बात कर रहे हैं-- मोटर से निकलने वाले धुएं में कालिख की मात्रा घटती जाती है." नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा भी बिना किसी तकनीकी तामझाम या मोटर की बनावट में बिना किसी परिवर्तन के 10, 20 या 30 प्रतिशत तक घटाई जा सकती है.

रिपोर्टः राम यादव

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य

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