आम आदमी पार्टी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर डीडीसीए के अध्यक्ष रहते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. आरोपों के बीच आप और कांग्रेस पार्टी ने जेटली के इस्तीफे और प्रधानमंत्री से सख्त कदम उठाने की मांग की.
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आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस करके दावा किया है कि दिल्ली जिला क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अरुण जेटली ने गंभीर घोटाले किए. आप ने वित्त मंत्री जेटली के इस्तीफा ना देने की स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी से उन्हें फौरन बर्खास्त करने की मांग की है. कांग्रेस ने भी मांग की है कि इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाए और तब तक निश्पक्ष जांच के लिए अरुण जेटली इस्तीफा दें.
आम आदमी पार्टी के मुताबिक दिल्ली सरकार द्वारा बिठाई गई कमिटी की जांच में डीडीसीए में भ्रष्टाचार सामने आया. डीडीसीए में चयन प्रक्रिया में घोटाला और बिलों से संबंधित भ्रष्टाचार हुआ है. उनका आरोप है कि दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिए डीडीसीए ने 24 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया था, लेकिन खर्च 114 करोड़ किया गया. उनका आरोप है कि पैसों का भुगतान किसे किया गया इसका सही ब्यौरा नहीं है. आप के मुताबिक फर्जी कंपनियों के जरिए डीडीसीए से धन निकाला गया. उनके मुताबिक डीडीसीए ने पांच ऐसी कंपनियों को भुगतान किया जिनके रजिस्टर्ड कार्यालय, आधिकारिक ईमेल, निदेशक और शेयरधारक एक ही व्यक्ति से संबंधित थे. अरुण जेटली 1999 से 2013 तक दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले दिनों उनके कार्यालय पर हुए सीबीआई के छापे का मकसद अरुण जेटली से संबंधित डीडीसीए की फाइलों की छानबीन था. सीबीआई और केंद्र ने इन आरोपों का खंडन किया है. जेटली पर आरोपों का एलान करने से दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय पर सीबीआई के छापे के बाद केजरीवाल ने गुस्से का इजहार किया था. उन्होंने इस घटना के पीछे केंद्र को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रधानमंत्री को 'कायर' और 'साइको' तक कह डाला था.
केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा, "सीबीआई मेरे कार्यालय में डीडीसीए की फाइल पढ़ती रही. वे इसे जप्त कर लेते लेकिन मेरे मीडिया से बात करने के बाद उन्होंने उसे छोड़ दिया. स्पष्ट नहीं है कि क्या वे इसकी कॉपी अपने साथ ले गए हैं."
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने कहा, "डीडीसीए में हुई अनियमितता गंभीर मामला है, इसलिए, इसकी गंभीर जांच होनी चाहिए और सख्त कदम उठाए जाने चाहिए. डीडीसीए का मामला हल्का नहीं पड़ना चाहिए और राजनीतिक विवाद में खटाई में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि इनमें गंभीर अनियमितताओं को अंजाम दिया गया है."
भारत में राजनीतिक भ्रष्टाचार
समय के साथ अपराधी भी राजनीति को अपना घर समझने लगे. 2014 के चुनावों के बाद नई संसद में पिछले दशकों में सबसे ज्यादा आपराधिक आरोपों वाले नेता चुने गए. भारत के कई प्रमुख नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमे चले हैं.
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लालू यादव
सालों तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू यादव पर भ्रष्टाचार के 63 मामले थे लेकिन चारा घोटाले के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा और अपना पद छोड़ना पड़ा. अपराध साबित होने के कारण उन पर पिछला चुनाव लड़ने पर रोक लग गई. इस समय वे जमानत पर बाहर हैं.
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बीएस येदियुरप्पा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को 2008 में बीजेपी को प्रांत में पहली बार सत्ता में लाने का श्रेय जाता है. लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने परिवारवाद शुरू कर दिया और अपने बच्चों को जमीन के अलॉटमेंट में पक्षपात किया. भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया और अपना पद भी छोड़ना पड़ा.
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ए राजा
चार बार संसद के सदस्य और दो बार भारत के संचार मंत्री रहे ए राजा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में अभियुक्त हैं. मामले की जांच कर रही सीबीआई का कहना है कि 3000 करोड़ के इस घोटाले में मनपसंद लोगों को स्पेक्ट्रम के लाइसेंस दिए गए. 2011 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन 2012 से वे जमानत पर बाहर हैं.
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कणिमोझी
राजनीतिक भ्रष्टाचार का एक रूप फैसला लेने वाले राजनीतिज्ञों के करीबी लोगों के कारोबार में भागीदारी के रूप में सामने आया है. कणिमोझी डीएमके नेता एम करुणानिधि की बेटी हैं और आरोप है कि उनकी कंपनी कलाइनार टीवी में ए राजा की वजह से स्पेक्ट्रम लाइसेंस पाने वाले कारोबारियों का पैसा आया.
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सुरेश कलमाड़ी
कांग्रेस पार्टी के प्रमुख राजनीतिज्ञ के अलावा सुरेश कलमाड़ी देश के प्रमुख खेल अधिकारी भी रहे हैं. उनका नाम भारत में कॉमनवेल्थ कराने से जुड़ा है तो उसके आयोजन में हजारों करोड़ के घोटाले के साथ भी. कलमाड़ी और उनके सहयोगियों को धांधली के आरोप में गिरफ्तार किया गया. इस समय मामला अदालत में है.
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मधु कौड़ा
गरीब आदिवासी परिवार से आए झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कौड़ा राजनीति की वजह से कोरड़पति बन गए. उनकी दिलचस्पी सिर्फ अपने प्रांत में होने वाले खनन में ही नहीं थी बल्कि अफ्रीकी देशों में भी. उनपर 4000 करोड़ की संपत्ति रखने का आरोप लगा, जो प्रांत के बजट का एक चौथाई था. इस समय वे जमानत पर हैं.
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पीवी नरसिंह राव
भ्रष्टाचार के आरोप तो प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी लगे लेकिन नरसिंह राव भारत के पहले प्रधानमंत्री थे जिनपर पद पर रहते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किए गए जिसमें उन्हें सहअभियुक्त बनाया गया था.