डेनमार्क की संसद ने सार्वजनिक स्थलों पर नकाब पर बैन लगा दिया है. आलोचक इसे 'इस्लाम से बढ़ते भय' का प्रतीक बता रहे हैं, वहीं इसके समर्थकों का कहना है कि इससे आप्रवासियों का एकीकरण बेहतर तरीके से होगा.
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डेनमार्क की संसद ने उस कानून को पारित कर दिया जिसके मुताबिक सार्वजनिक स्थलों पर चेहरे को ढंकने वाले कपड़े पहनने पर प्रतिबंध होगा. कई यूरोपीय देश पहले ही इस तरह का प्रतिबंध लगा चुके हैं.
डेनमार्क की संसद में 30 के मुकाबले 70 मतों से पारित नए कानून के तहत पहली बार कानून का उल्लंघन करने पर एक हजार क्रोनर यानी लगभग 10.5 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा जबकि दोबारा उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर 10 हजार क्रोनर होगी या फिर छह महीने की सजा काटनी होगी.
यूरोप में इस्लामोफोबिया यानी इस्लाम से भय की समस्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में, बहुत से लोग मानते हैं कि इस कानून के जरिए मुसलमान महिलाओं को निशाना बनाया गया है, जो नकाब, बुर्का और इस तरह के अन्य इस्लामी कपड़े पहनती हैं.
बुर्का, हिजाब, नकाब: फर्क क्या है
बुरका, हिजाब या नकाब: फर्क क्या है?
बुरका, हिजाब या नकाब. ये शब्द तो आपने कई बार सुने होंगे. लेकिन क्या आप शायला, अल अमीरा या फिर चिमार और चादर के बारे में भी जानते हैं. चलिए जानते हैं कि इन सब में क्या फर्क है.
मुस्लिम पहनावा
सार्वजनिक जगहों पर बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों में सबसे ताजा नाम ऑस्ट्रिया का है. बुर्के के अलावा मुस्लिम महिलाओं के कई और कपड़े भी अकसर चर्चा का विषय रहते हैं.
शायला
शायला एक चोकोर स्कार्फ होता है जिससे सिर और बालों को ढंका जाता है. इसके दोनों सिरे कंधों पर लटके रहते हैं. आम तौर पर इसमें गला दिखता रहता है. खाड़ी देशों में शायला बहुत लोकप्रिय है.
हिजाब
हिजाब में बाल, कान, गला और छाती को कवर किया जाता है. इसमें कंधों का कुछ हिस्सा भी ढंका होता है, लेकिन चेहरा दिखता है. हिजाब अलग अलग रंग का हो सकता है. दुनिया भर में मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनती हैं.
अल अमीरा
अल अमीरा एक डबल स्कार्फ होता है. इसके एक हिस्सा से सिर को पूरी तरह कवर किया जाता है जबकि दूसरा हिस्सा उसके बाद पहनना होता है, जो सिर से लेकर कंधों को ढंकते हुए छाती के आधे हिस्से तक आता है. अरब देशों में यह काफी लोकप्रिय है.
चिमार
यह भी हेड स्कार्फ से जुडा हुआ एक दूसरा स्कार्फ होता है जो काफी लंबा होता है. इसमें चेहरा दिखता रहता है, लेकिन सिर, कंधें, छाती और आधी बाहों तक शरीर पूरी तरह ढंका हुआ होता है.
चादर
जैसा कि नाम से ही जाहिर है चादर एक बड़ा कपड़ा होता है जिसके जरिए चेहरे को छोड़ कर शरीर के पूरे हिस्से को ढंका जा सकता है. ईरान में यह खासा लोकप्रिय है. इसमें भी सिर पर अलग से स्कार्फ पहना जाता है.
नकाब
नकाब में पूरे चेहरे को ढंका जाता है. सिर्फ आंखें ही दिखती हैं. अकसर लंबे काले गाउन के साथ नकाब पहना जाता है. नकाब पहनने वाली महिलाएं ज्यादातर उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में दिखायी देती हैं.
बुरका
बुरके में मुस्लिम महिलाओं का पूरा शरीर ढंका होता है. आंखों के लिए बस एक जालीनुमा कपड़ा होता है. कई देशों ने सार्वजनिक जगहों पर बुरका पहनने पर प्रतिबंध लगाया है जिसका मुस्लिम समुदाय में विरोध होता रहा है.
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मानवाधिकार संस्थान एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नए कानून को 'महिला अधिकारों का भेदभावपूर्ण उल्लंघन' बताया है. उसका कहना है कि सभी महिलाओं को अपनी मर्जी और धार्मिक पहचान के मुताबिक कपड़े पहनने की अनुमति होनी चाहिए.
डेनमार्क में नया कानून एक अगस्त से लागू होगा. न्याय मंत्री सोएरेन पापे पोल्सेन ने पुलिस अधिकारियों से कहा है कि इस कानून को लागू करते समय वे 'समझदारी से' काम लें.
पोल्सेन का कहना है, "मुझे नहीं पता कि डेनमार्क में कितनी महिलाएं इस तरह का नकाब पहनती हैं लेकिन अगर पहना तो आपको जुर्माना देने के लिए तैयार रहना चाहिए." 2010 की एक रिपोर्ट बताती है कि डेनमार्क में लगभग 200 महिलाएं इस तरह का नकाब पहनती हैं.
कानून के समर्थकों का कहना है कि इसके जरिए मुसलमान आप्रवासियों का डेनिश समाज में एकीकरण बेहतर तरीके से हो पाएगा. वहीं आलोचक इस बैन को 'बुर्का बैन' कह रहे हैं. उनका कहना है कि इस तरह के कानून यूरोप में इस्लाम से बढ़ते भय को दिखाते हैं.
ऑस्ट्रिया, बेल्जियम और फ्रांस में पहले से ही ऐसे कानून मौजूद हैं. जर्मनी और अन्य देशों में भी कुछ मामलों में नकाब पहनने की अनुमति नहीं है. हाल के समय में मध्य पूर्व और अफ्रीका से बड़ी संख्या में मुसलमान शरणार्थी यूरोप आए हैं.
एके/ओएसजे (एपी, एएफपी)
बिना हिजाब लॉलीपॉप होती है औरत!
बिना हिजाब लॉलीपॉप होती है औरत!
ईरान में हिजाब को बढ़ावा देने के काम में 32 संगठन या कार्यक्रम जुटे हैं. इन्हीं में से एक संगठन पोस्टर तैयार करता है. इन पोस्टरों को देखकर आपको हंसी भी आ सकती है और अफसोस भी हो सकता है.
तस्वीर: Hijab.ir
जन्नत और जहन्नुम का रास्ता
इस पोस्टर में दिखाया गया है कि हिजाब पहनने वाली महिला स्वर्ग की तरफ जाती है जबकि हिजाब ना पहनने वाले महिला को नर्क में जाना होता है.
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कीमती चीजें पर्दे में
इस पोस्टर में संदेश बहुत सीधा है: “बेटी! ये तो प्रकृति का नियम है. कीमती चीजें हमेशा हिफाजत के लिए पर्दे में ही छिपा कर रखी जाती हैं.”
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सिंगार करने के ‘खतरे’
इस पोस्टर में लिखा गया है कि जो महिलाएं घर से सिंगार करके और इत्र लगाकर निकलें और उनके पति को इस बात से कोई दिक्कत नहीं है, तो ऐसी औरतें मानो अपना ही घर जला रही होती हैं.
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मेकअप और हथियार
यह पोस्टर कहता है कि जिस तरह पिस्तौल में एक साथ गोली भर कर एक ही वक्त में दर्जनों लोगों को मारा जाता है, उसी तरह होठों को आग की तरह लाल करने वाली लिपस्टिक भी समाज में नैतिक तौर पर तबाही लाती है.
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हाई हील पर भी दिक्कत
ऊंची एड़ी वाले लाल जूते पहनकर चले जाने वाले कदमों को जहन्नुम की तरफ जाने वाले कदम बताया गया है. कहा गया है कि ऐसे जूते पहन कर चलने वाली महिलाएं मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं.
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आलू मर्द
ईरान में किसी व्यक्ति के लिए आलू का इस्तेमाल करने का मतलब है उसका अपमान करना. इसका मतलब है कि जिस व्यक्ति की पत्नी हिजाब नहीं पहनती, उसका कोई सम्मान नहीं है. साथ ही, यहां मोनालिसा को भी हिजाब में दिखाया गया है.
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बिना हिजाब क्या होता है?
इस तस्वीर में हिजाब वाली और बिना हिजाब वाली महिलाओं को प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है. यह पोस्टर अंग्रेजी, फ्रेंच और अरबी भाषाओं में भी तैयार किया गया है.
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लड़कियां, महिलाएं और शैतान
इनमें से बहुत से पोस्टर ऐसे हैं जिनमें महिलाओं और लड़कियों का नाता शैतान से जोड़ा गया है. जैसे कि इसमें शैतान एक मॉडल लड़की के पीछे चल रहा है.
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औरत और लॉलीपॉप
औरत, हिजाब, लॉलीपॉप और मक्खियां. इस तस्वीर में इस तरह हिजाब की अहमियत को दिखाने की कोशिश की गई है.
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तीन पैर वाली कुर्सी
इस पोस्टर में बिना हिजाब वाली महिला को तीन पैर वाली कुर्सी बताया गया है: टूटी, फूटी और बेकार. दूसरे पोस्टर में कहा गया है कि बिना हिजाब वाली औरत पर सबकी नजरें पड़ती हैं और आखिरकार वो एक मानसिक बीमारी का कारण बनती है.
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निगाहों की बारिश
महिलाओं के लिए एक और संदेश, "बारिश और तूफान में छतरी के साथ साथ हिजाब को न भूलें. महिलाएं अपना दोहरा बचाव करते हुए मर्दों की निगाहों की बारिश से बचने की कोशिश करें."
तस्वीर: Hijab.ir
पर्दे से फैलने वाली रोशनी
इस तस्वीर से संदेश देने की कोशिश की गई है जो महिलाएं हिजाब में रहेंगी वो समाज को रोशनी दे सकती हैं. और बिना हिजाब वाली महिलाओं को टूटा हुआ बल्ब बताया गया है.