1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

डेल्टा के बढ़ते मामलों के बीच ब्रिटेन में खत्म पाबंदियां

स्वाति बक्शी
६ जुलाई २०२१

ब्रिटेन में कोविड की वजह से लगाई गई मास्क और सोशल डिस्टैंसिंग जैसी पाबंदियां बारह दिन बाद खत्म हो जाएंगी. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब संक्रमण के मामले फिर से बढ़ रहे हैं. बहुत से लोग रोक के खात्मे पर असमंजस में हैं.

London Pendler mit Masken in U-Bahn
तस्वीर: Dinendra Haria/Zuma/picture alliance

ब्रिटेन 19 जुलाई से चेहरे पर मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों को अलविदा कह रहा है. ब्रिटेन इस तरह से महामारी के दौरान सभी पाबंदियों को हटाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. प्रतिबंधों से बाहर आने का अंतिम चरण 19 जुलाई से लागू होगा और उससे पहले 12 जुलाई को स्थिति की समीक्षा होगी. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस हफ्ते के शुरू में जब ये ऐलान किया तो इसका ट्विटर पर जमकर विरोध होने लगा. हैशटैग ‘जॉनसन वेरिएंट' का इस्तेमाल करते हुए लोगों ने प्रधानमंत्री के भाषण और महामारी के बीच में ही सारे नियम-कायदों को हटा लेने को जल्दबाजी भरा कदम कहा.

लॉकडाउन की समाप्ति पर असमंजस

ब्रिटेन में डेल्टा वेरिएंट के प्रसार को देखते हुए इस बात पर असमंजस था कि लॉकडाउन को पूरी तरह से हटाने का आखिरी चरण तय वक्त पर लागू हो पाएगा या नहीं. प्रधानमंत्री जॉनसन ने पाबंदियों को हटाने की घोषणा करते हुए ये साफ कर दिया कि उनका इरादा अब और देर करने का नहीं है. ना सिर्फ मास्क को स्वैच्छिक कर दिया गया है बल्कि घर से दफ्तर का काम करने की जरूरत को भी हटा लिया गया है. अब तक छह से ज्यादा लोगों को घर के भीतर जमा होने की मनाही थी लेकिन 19 जुलाई से वो रोक भी खत्म हो जाएगी.

कोरोना पाबंदियों को पूरी तरह खत्म करने वाला ब्रिटेन पहला देशतस्वीर: DANIEL LEAL-OLIVAS/AFP

प्रधानमंत्री जॉनसन ने सभी तरह के प्रतिबंध हटाने के लिए ये दलील दी कि "अगर हम इस वक्त आगे नहीं बढ़ते हैं जबकि हमने टीकाकरण के जरिए चेन को तोड़ने की इतनी बड़ी कोशिश की है तो हम कब आगे बढ़ेंगे?" जॉनसन ने स्पष्ट तौर पर ये भी कहा कि जुलाई महीने में कुछ दिनों के भीतर ही संक्रमित लोगों की संख्या प्रति दिन पचास हजार तक पहुंच जाएगी और "हमें दुखद रूप से और ज्यादा मौतों के लिए तैयार रहना चाहिए."

प्रधानमंत्री पर लापरवाही का आरोप

एक ओर बहुत से लोग इसे फ्रीडम डे कह रहे हैं तो ट्विटर पर बहुत से लोगों ने विरोध भी दर्ज किया. हैशटैग ‘डेथ' और ‘जॉनसन वेरिएंट' प्रमुख ट्रेंड बन गए जहां लोगों ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री की ये बातें लोगों को महामारी में अकेला छोड़ देने जैसी हैं. प्रतिबंध हटाने पर ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के मानद उपाध्यक्ष प्रोफेसर कैलाश चंद ने लिखा, "बोरिस जॉनसन लापरवाह बने हुए हैं, वैज्ञानिक सलाहकार समूह की सारी नसीहतों के खिलाफ सभी सुरक्षा नियमों को फेंक कर."

क्या है लॉन्ग कोविड

02:55

This browser does not support the video element.

ब्रिटिश-जर्मन नागरिक और स्ट्रैथक्लाइड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर तान्या बुएल्टमन ने लिखा, "सवाल लॉकडाउन का नहीं है, सवाल ये भी नहीं है कि सीमित पाबंदियां दोबारा लगनी चाहिए. बात सिर्फ ये है कि क्या बेहतर नहीं होगा अगर हम ऐसी ऐहतियात कुछ और दिन तक बरतें जिससे हम एक-दूसरे को बचा सकते हैं." ब्रिटेन में तकरीबन 85 फीसदी वयस्कों को वैक्सीन का पहला डोज मिल चुका है. हालांकि वैज्ञानिक लगातार आगाह कर रहे हैं कि डेल्टा वेरिएंट का प्रसार और वैक्सीन गति के बीच घमासान जारी है और वायरस पर जीता का दावा करना मुमकिन नहीं.

रोक का हटना बहुत से लोगों को स्वीकार नहीं

तकरीबन 16 महीनों तक लॉकडाउन की लुका-छिपी और नियमों के बीच रहने के बाद पाबंदियों का हटना ब्रिटिश लोगों के लिए राहत की बात है, ये सोचना शायद सही नहीं होगा. इसकी वजह ये है कि युवा हों या बुजुर्ग, ज्यादातर लोगों को इस बात का अहसास है कि सरकारी रोक का हटना महामारी का अंत नहीं है. लंदन में बिजनेस मैनेजमेंट पढ़ाई कर रहीं, 24 साल की भारतीय छात्रा इलकिया कहती हैं, "मास्क हटने से कुछ नहीं होता, हम महामारी के बीच से गुजर रहे हैं. मैं जानती हूं कि इससे निकलने में हमें बहुत वक्त लगेगा. मैं तो हमेशा मास्क पहनूंगी."

लग चुका है 85 फीसदी वयस्कों को टीकातस्वीर: Dinendra Haria/Zuma/picture alliance

युवाओं को ज्यादा गंभीर तौर पर बीमार पड़ने का डर नहीं है लेकिन महामारी की शुरुआत से ही बेहद कड़ाई से बचाव करने वाली 80 साल से ऊपर की आबादी के लिए कोविड प्रतिबंधों से बाहर निकलने का दौर ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. नियम-कायदे खत्म किए जाने की बात उन्हें कोई राहत नहीं देती. लंदन के हैरो इलाके में रहने वाले, 80 बरस के सुंदरम कहते हैं, "मैं पार्क में बिना मास्क के जाने लगा हूं लेकिन बंद इमारतों और मॉल में बिना मास्क के जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता. हमारी उम्र में सेहत को बचाना ही चुनौती है. अपनी सुरक्षा अपने हाथ में है."

महामारी के कड़वे अनुभव ने लोगों को घरों के अंदर रहने पर मजबूर किया और कई ऐसी आदतें अपनाने के लिए भी जो अब जिंदगी का हिस्सा बन चली हैं. लॉकडाउन से बाहर निकलने का इंतजार सबको था लेकिन वो मौका डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच आया है तो डरना लाजमी है. सरकारी प्रतिबंधों के खात्मे के बाद फिलहाल ब्रिटेन में शिकायते हैं, डेल्टा का डर है और वैक्सीन के जरिए वायरस से आगे निकलने की होड़ है.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें