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डेविस के विशेषाधिकार पर कोर्ट में सुनवाई टली

१७ फ़रवरी २०११

पाकिस्तान की एक अदालत ने अमेरिकी अधिकारी रेमंड डेविस के विशेषाधिकार मामले की सुनवाई टाल दी है. कोर्ट को फैसला करना है कि डेविस के पास राजनयिकों को मिलने वाले विशेषाधिकार हैं या नहीं.

तस्वीर: AP

विदेश मंत्रालय और अमेरिकी वकील मुख्य न्यायाधीश के सामने सुबह 9 बजे पेश हुए. कोर्ट ने कहा है कि विदेश मंत्रालय 14 मार्च तक डेविस के विशेषाधिकार के बारे में जानकारी दे. डेविस को लाहौर में दो युवकों की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. लाहौर हाई कोर्ट ने पाकिस्तान की विदेश मंत्रालय को रेमंड डेविस के विशेषाधिकार के बारे में बताने के लिए 15 दिन का समय दिया था.

तस्वीर: AP

डेविस को 27 जनवरी को हुए गोलीकांड के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. पाकिस्तान के वकीलों ने कोर्ट में अपील दायर कर डेविस पर सवाल उठाए हैं और उसे देश छोड़ कर जाने से रोकने के लिए कहा है. इन्हीं में से एक वकील मोहम्मद अहर सिद्दीकी ने कहा, " डेविस का गुनाह बहुत बड़ा है और उसे विशेषाधिकार की सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए. जांच की प्रक्रिया के मुताबिक उस पर हत्या के आरोप बनते हैं और अमेरिकी शख्स को सुनवाई का सामना करना चाहिए."

जज चाहें तो विशेषाधिकार की पुष्टि या फिर उसे खारिज कर सकते हैं. डेविस का कहना है कि उसे उन दोनों युवकों ने लूटने की कोशिश की और उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई.

पाकिस्तान सरकार इस मामले पर खुल कर बोलने से अब तक बचती रही है लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि डेविस को अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक तुरंत रिहा किया जाना चाहिए. पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि डेविस के पास राजनयिकों वाले पूरे विशेषाधिकार नहीं हैं. उधर प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा है कि डेविस की किस्मत का फैसला कोर्ट को करना चाहिए. हालांकि उनका ये भी कहना है कि दोनों युवकों के परिवार वाले अगर चाहें तो डेविस को माफी दे सकते हैं. अमेरिकी सीनेटर जॉन केरी ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया है. केरी ने युवकों की हत्या पर गहरा दुख जताया. डेविस के मामले ने पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में तनाव ला दिया है. हालांकि अमेरिका ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में दोनों पक्के सहयोगियों के बीच डेविस मामले का असर नहीं पड़ेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता फिलिप क्राउली ने कहा, "हम पाकिस्तान के साथ एक असरदार और मजबूत रिश्ता बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और निश्चित रूप से हम नहीं चाहते कि इस तरह के मामलों का हमारे रिश्तों पर कोई असर पड़े."

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः महेश झा

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