डैनियल पर्ल मामले में सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार की अपील
२९ जनवरी २०२१![Pakistan Mordfall Journalist Danial Pearl](https://static.dw.com/image/56369182_800.webp)
38 साल के डैनियल पर्ल एक खोजी पत्रकार थे. वह न्यूयॉर्क पर 11 सितंबर के हमलों के बाद कराची में इस्लामी चरमपंथियों के बारे में छानबीन कर रहे थे. इसी दौरान उनका अपहरण हो गया और कुछ हफ्तों बाद उनका सिर काट कर हत्या करने का वीडियो जारी किया गया. हत्या के इस मामले में तीन जजों के पैनल ने ब्रिटेन में जन्मे अहमद उमर सईद शेख और तीन सहआरोपियों को आरोपमुक्त करने का फैसला सुनाया. इन लोगों पर 2002 में वाल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर डैनियल पर्ल को अगवा कर उसकी हत्या करने का आरोप हैं.
एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अमेरिका ने इस पर "गहरी चिंता" जताई थी. कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर उनकी किसी और मामले में जरूरत नहीं हो तो उन्हें रिहा कर दिया जाए. दक्षिणी सिंध प्रांत की सरकार ने अदालत में अपील दायर कर फैसले पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया है. पर्ल के परिवार के वकील फैसल सिद्दिकी और सिंध सरकार के अभियोजक ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी दी. अभियोजक फैज शाह का कहना है, "हमने तीन पुनर्विचार याचिकाएं दायर की है." शाह के मुताबिक सरकार ने आरोपमुक्त करने के फैसले को पलटने और मौत की सजा बहाल करने की अपील की है.
अदालत के फैसले को चुनौती
डैनियल पर्ल के मां बाप ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई है. अमेरिकी सरकार के नए विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने इसे, "पाकिस्तान समेत दुनिया भर के आतंकवाद पीड़ितों का अपमान बताया है." ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका भी शेख पर अभियोग चलाने के लिए तैयार था. पिछले साल पाकिस्तान के एक हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला देकर शेख को मिली मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया और तीन सह आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया. सरकार और पर्ल के मां बाप ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और मौत की सजा बहाल करने की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करने के बाद गुरुवार को उनका अनुरोध ठुकरा दिया है.
अहमद उमर शेख ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की है. डैनियल पर्ल के अलावा भी कई विदेशियों का अपहरण करने के आरोप उस पर हैं. डैनियल पर्ल का अपहरण होने के कुछ ही दिन बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में नए प्रशासन ने कार्यभार संभाला है. ट्रंप के दौर में पाकिस्तान अमेरिका के रिश्तों में काफी उतार चढ़ाव आए.
अमेरिका में नया प्रशासन
नया अमेरिकी प्रशासन अपनी अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया की समीक्षा कर रहा है जिसमें पाकिस्तान की भी अहम भूमिका है. थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के साउथ एशिया सेंटर में फेलो शुजा नवाज कहते हैं, "यह फैसला काफी बुरे वक्त में आया है, हमारे यहां नये प्रशासन ने कार्यभार संभाला है और पाकिस्तान उनके साथ संपर्क बनाने की कोशिश में है...अब यह परिस्थितियों को काफी जटिल कर देगा."
विशेषज्ञों का कहना है कि शेख के खिलाफ मामले में शुरुआती दौर से ही कई सारी कमजोर कड़ियां थीं और सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला प्रक्रियाओं से जुड़े मुद्दों को ही आधार बना कर लिया है. वाशिंगटन में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के प्रोफेसर और पूर्व पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी हसन अब्बास का कहना है, "हमें इसे संदर्भों को जोड़ कर देखना होगा कि 'आतंक के खिलाफ संघर्ष' में दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के कई देशों ने... कानून के शासन के सिद्धांतों का पालन नहीं किया या फिर आतंकवादियों से अपराध न्याय व्यवस्था के जरिए नहीं निपटा गया."
एनआर/एमजे (रॉयटर्स,एएफपी, एपी)
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