लंग कैंसर और दिल की बारीक बीमारी अक्सर अनुभवी डॉक्टरों की पकड़ में भी नहीं आती हैं. लेकिन मशीनी बुद्धि इन बीमारियों को जबरदस्त ढंग से दबोच रही है.
तस्वीर: Fotolia/Alexander Raths
विज्ञापन
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस बेहद गंभीर बीमारियों को पकड़ने में सफल हुई है. दुनिया भर में हार्ट की नसों से जुड़ी बीमारियां अक्सर बेहद कुशल डॉक्टरों को भी गच्चा दे जाती हैं. फिलहाल हृदयरोग विशेषज्ञ स्कैन से मिलने वाले धड़कन के ग्राफ देखते हैं. लेकिन इससे भी हार्ट अटैक या हार्ट अटैक के खतरे का 100 फीसदी अंदाजा नहीं लगता. पांच मरीजों में एक की बीमारी अब भी पकड़ में नहीं आती.
हार्ट अटैक में क्या होता है?
दिल का दौरा आखिर क्यों पड़ता है. हार्ट अटैक के दौरान शरीर के भीतर क्या होता है, जानिये ये जरूरी जीवनरक्षक जानकारी.
तस्वीर: Imago/Science Photo Library
हार्ट अटैक से पहले
आमतौर पर दिल बेहद स्वस्थ और मजबूत कोशिकाओं से बना होता है. लेकिन आलसी जीवनशैली, बहुत ज्यादा फैट वाला खाना खाने और बहुत ज्यादा धूम्रपान करने के अलावा आनुवांशिक कारणों से भी दिल की सेहत खराब होने लगती है.
तस्वीर: Colourbox/E. Wodicka
रक्त वाहिकाओं में गड़बड़
हमारा हृदय लगातार शरीर के हर हिस्से को ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है. फेफड़ों से आने वाली ऑक्सीजन खून में मिलकर शरीर के बाकी हिस्सों तक जाती है. हार्ट खून को पंप कर शरीर में दौड़ाता है. लेकिन बढ़ती उम्र या खराब जीवनशैली से हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियां बाधित होने लगती हैं.
तस्वीर: Fotolia/beerkoff
धमनियों के भीतर
आर्टिलरी कही जाने वाली धमनियों के भीतर धीरे धीरे प्लैक जम जाता है. प्लैक नसों को संकरा बना देता है, इससे खून का बहाव बाधित होने लगता है. यहां से हार्ट अटैक के खतरे की शुरूआत होती है.
तस्वीर: Colourbox
आर्टिलरी का बंद होना
धमनी में बहुत ज्यादा प्लैक जमने के बाद पीड़ित इंसान अगर दौड़ भाग वाला काम करे गंभीर नतीजा होता है. शरीर को ज्यादा ऊर्जा देने के लिए हार्ट बहुत तेजी से धड़कने लगता है. लेकिन इस दौरान संकरी धमनी में लाल रक्त कणिकाएं का जमावड़ा होने लगता है और रक्त का प्रवाह रुक जाता है.
तस्वीर: medscape
ऑक्सीजन की कमी
बंद धमनी, हार्ट को पर्याप्त खून और ऑक्सीजन मुहैया नहीं पाती है. बस फिर हमारा हृदय ऑक्सीजन के लिए छटपटाने लगता है. धड़कन और तेज हो जाती है. सांस लेने में हरारत होने लगती है.
तस्वीर: Fotolia
इमरजेंसी सिग्नल
ऑक्सीजन के लिए छटपटाता दिल मस्तिष्क को इमरजेंसी सिग्नल भेजता है. वहीं दूसरी तरफ पसीना आने लगता है, जी मचलने लगता है. ऐसा होने पर बिना देर किये तुरंत अस्पताल जाना चाहिए.
तस्वीर: Fotolia/R. Kneschke
सीने में मरोड़
मस्तिष्क से इमरजेंसी सिग्नल रीढ़ की हड्डी को भेजे जाते हैं. मस्तिष्क शरीर के दूसरे हिस्सों की ऑक्सीजन सप्लाई कम कर देता है. इसके चलते शरीर में दर्द होने लगता है. गर्दन, जबड़े, कान, कंधे, बांह दुखने लगते हैं. सीने के बीचों बीच मरोड़ सा दर्द उठने लगता है.
तस्वीर: Imago/Science Photo Library
दर्द कब तक
जवान लोग हल्का फुल्का अटैक झेल लेते हैं. वैसे हार्ट अटैक के चलते उठने वाला दर्द कुछ मिनट से लेकर कई घंटों तक रह सकता है. यह फिर लौटता भी है. अगर ऐसा हो तो तुरंत बेहद आरामदायक तरीके से अस्पताल जाना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अंत में कार्डिएक अरेस्ट
अगर समय पर इलाज न किया जाए तो हार्ट अटैक के बाद दिल की मांसपेशियां धीरे धीरे मरने लगती है. और आखिरकार दिल काम करना बंद कर देता है. इसके बाद तीन से सात मिनट के बीच मस्तिष्क की कोशिकाएं भी मरने लगती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अटैक के बाद
अटैक के दौरान हार्ट का जो हिस्सा मर जाता है, वो कभी ठीक नहीं हो पाता. इसीलिए हर पल महत्वपूर्ण होता है. इसीलिए हृदय रोगियों को खास मशविरे दिये जाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
यह भी जरूरी
अगर हार्ट अटैक के बाद धड़कन बंद हो जाए और रोगी बेहोश हो जाए तो एक हथेली को दूसरे हाथ के ऊपर रख कर जोर जोर से उसके सीने को बीच में दबाना चाहिए. ऐसा कम से कम 120 बार करना चाहिए. कई बार यह बहुत मददगार साबित होता है.
तस्वीर: Colourbox
कैसे रहे दिल सेहतमंद
बहुत ज्यादा वसा वाला खाना न खाएं. नियमित रूप से फल, सलाद और हरी सब्जी खाएं. शरीर को थकाना बहुत जरूरी है, इसीलिए नियमित कसरत करें. इसके अलावा तबियत खराब होने पर खुद डॉक्टर न बनें.
तस्वीर: Colourbox
12 तस्वीरें1 | 12
जॉन रेडक्लिफ हॉस्पिटल में विकसित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम स्कैन से मिले ग्राफ की बेहद सटीक समीक्षा करता है. मशीन मिलीमीटर से छोटे उतार या चढ़ाव को पकड़ लेती है. टेस्ट के दौरान एक तरफ मशीन रखी गई और दूसरी तरफ बेहद अनुभवी डॉक्टर थे. बीमारी पकड़ने के मामले में मशीन ने डॉक्टरों को बुरी तरह हरा दिया.
मशीन में पिछले सात साल के दौरान चेक किए गए 1,000 मरीजों की स्कैन रिपोर्ट डाली गई. वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर लीसन ने कहा, "एक कार्डियोलॉजिस्ट होने के नाते में हम स्वीकार करते हैं कि हम हमेशा इसे सही सही नहीं पहचान पाते हैं. लेकिन अब हमारे पास इसे बेहतर करने की संभावना है." ब्रिटेन में हर साल 60,000 हार्ट स्कैन होते हैं. इनमें से करीब 12,000 मामलों में बीमारी पकड़ में नहीं आती.
वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने मशीनी बुद्धि वाला सिस्टम फेफड़े के कैंसर और दिल की बीमारियों को सटीक ढंग से पहचान रहा है. सिस्टम लाखों पाउंड का खर्च बचाएगा.
2017 की गर्मियों में नेशनल हेल्थ सर्विस के अस्पतालों में हार्ट डिजीज टेक्नोलॉजी का मुफ्त परीक्षण किया गया. ब्रिटिश ब्रॉडकॉस्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) से बात करते हुए जेनेटिक्स विशेषज्ञ जॉन बेल ने कहा, "एनएचएस करीब 2.2 अरब पाउंड पैथोलॉजी सेवाओं पर खर्च करता है. इस खर्च को 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है."
क्या करता है लो ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड प्रेशर खतरनाक होता है, यह बात सब जानते हैं. लेकिन क्या लो ब्लड प्रेशर भी उतना ही डरावना होता है?
तस्वीर: Pressmaster/Colourbox
आंखों के सामने अंधेरा छाना
तेजी से खड़े होने पर रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) अचानक गिर जाता है, इसीलिए कई बार झम्म से आंखों के सामने अंधकार या धुंधलापन सा छाता है. लो ब्लड प्रेशर लंबे समय तक बरकरार रहे तो सेहत पर बुरा असर डालता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Killig
बढ़ती समस्याएं
लो ब्लड प्रेशर के चलते लोग अक्सर बहुत ज्यादा थकान महसूस करते हैं, लगातार सिरदर्द बना रहता है. त्वचा में फीकापन दिखता है. हाथ और पैर ठंडे से रहते हैं. कई मामलों में तो लो ब्लड प्रेशर के चलते सांस लेने में भी समस्या होती है.
तस्वीर: Colourbox
चक्कर आना
उच्च रक्तचाप के मुकाबले लो ब्लड प्रेशर कम खतरनाक माना जाता है. लेकिन जहां हाई बीपी के चलते जहां हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा रहता है, वहीं ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा गिरने पर इंसान बेहोश हो सकता है.
तस्वीर: Fotolia/beerkoff
किसे खतरा
लो ब्लड प्रेशर की शिकायत अक्सर बेहद दुबले पतले और शारीरिक रूप से बहुत कम सक्रिय रहने वाले युवाओं में भी सामने आती है. बच्चों में लो ब्लड प्रेशर आनुवांशिक रूप से माता या पिता से आता है.
तस्वीर: Colourbox
दूसरी बीमारियों की जड़
लंबे समय तक लो ब्लड प्रेशर के चलते शरीर के दूसरे अंगों पर असर पड़ सकता है. लो बीपी की वजह से दिल की बीमारी, थायरॉयड और किडनी की समस्या जन्म ले सकती है. हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं भी कभी कभार बीपी को बहुत गिरा देती हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Fife
गर्भवती महिलाओं पर असर
गर्भावस्था के पहले छह महीनों में बीपी लो रहना आम बात है. लेकिन यह बहुत ही कम नहीं होना चाहिए. लंबे समय तक बहुत ही लो बीपी के चलते मां और भ्रूण दोनों पर असर पड़ता है. इससे बच्चे तक बहुत कम पोषक तत्व पहुंच पाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Brichta
दवाओं की जरूरत
लो बीपी के चलते अगर चक्कर आ रहा हो या रोजमर्रा की जिंदगी चरमरा रही तो दवा लेनी चाहिए. अगर समस्या इतनी गंभीर नहीं, तो इससे निपटने के लिए कई आसान तरीके भी हैं.
तस्वीर: Colourbox/L. Dolgachov
आसान तरीके
ताजा हवा में टहलना. शोध बताते हैं कि ताजा हवा का झोंका थकान और सिर घूमना को कम करता है. नियमित रूप से व्यायाम करना, बीच बीच में चाय या कॉफी पीना, नमक की थोड़ी सी ज्यादा मात्रा लेना और पर्याप्त पानी पीना, ये आसान और असरदार उपाय हैं.