टीबी सूंघने वाले चूहे
४ अप्रैल २०१४बेल्जियम का 'अपोपो' नाम का एनजीओ अफ्रीका के तंजानिया और मोजाम्बिक जैसे देशों में इंसानों के साथ साथ चूहों की भी ट्रेनिंग करता है. यहां के विशेषज्ञ चूहों को कुछ खास कामों के लिए प्रक्षिक्षण देते हैं. सूंघने की विलक्षण क्षमता होने के कारण मूल रूप से अफ्रीका के बहुत बड़े हिस्से में पाए जाने वाले बड़े पाउच वाले चूहे टीबी जैसी बीमारी का सूंघ कर पता लगा सकते हैं.
अपोपो की टीम को एक चूहे को ट्रेन करने में करीब नौ महीने का समय लगता है. वे चूहे को टीबी के मरीज और स्वस्थ लोगों की लार देते हैं. चूहे धीरे धीरे दोनों तरह की लार में अंतर करना सीख जाते हैं. पिछले पांच साल से लगातार इस ट्रेनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है और रोगी की पहचान करने में चूहे इंसानों से तेज साबित हुए है.
एड्स से भी खतरनाक
टीबी दुनिया की कुछ सबसे ज्यादा जानलेवा संक्रामक बीमारियों में शामिल है. खासतौर पर पूर्वी अफ्रीका के लिए तो टीबी एक बहुत बड़ा अभिशाप बन गया है. 'अपोपो' नाम के इस एनजीओ के सीईओ, क्रिस्टोफ कॉक्स बताते हैं, "चूहे मूल रूप से रात के जानवर होते हैं, आधे अंधे और बेहद संवेदनशील सूंघने के अंगों वाले." कॉक्स आगे कहते हैं कि चूहे अपने सूंघने की क्षमता पर ही पूरी तरह निर्भर होते हैं. वे अपना खाना जमीन के नीचे दबा कर रखते हैं और अपनी इसी क्षमता को खाना ढूंढने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं.
अपोपो के रिसर्चरों ने बताया कि बीमारियां फैलाने वाले हर रोगाणु की एक खास गंध होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर साल दुनिया भर में करीब 90 लाख लोग टीबी से संक्रमित हो रहे हैं, जिसमें से लगभग 80 हजार मामले केवल तंजानिया में हैं. डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल टीबी कार्यक्रम के निदेशक मारियो राविगलिओने बताते हैं, "असर के मामले में इसकी तुलना एचआईवी एड्स से की जा सकती है. हर साल लगभग 13 लाख लोग टीबी से मरते हैं, वहीं 16 लाख लोगों की जान एचआईवी एड्स से जाती है. यह सभी संक्रामक बीमारियों में सबसे बड़ी जानलेवा बीमारी है."
डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक लैब तकनीशियन एक दिन में करीब 25 नमूनों की जांच कर सकता है. वहीं एक चूहा इतने नमूने महज सात मिनट में सूंघ कर बीमारी का पता लगा सकता है. शायद अब वह दिन भी आ जाए जब इंसानों की नौकरी को चूहों से भी खतरा हो.
रिपोर्टः फिलिप जांडनर/ऋतिका राय
संपादनः ईशा भाटिया