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डॉक्टर हनीफ को ऑस्ट्रेलिया से भारी भरकम मुआवजा

२२ दिसम्बर २०१०

भारतीय डॉक्टर मोहम्मद हनीफ को ऑस्ट्रेलिया से भारी भरकम मुआवजा मिल रहा है. तीन साल पहले उन्हें ग्लासगो बम कांड में गलत तरीके से फंसाया गया था और ऑस्ट्रेलिया में हिरासत में रखा गया था.

हनीफ की आपबीतीतस्वीर: AP

हनीफ का कहना है कि इससे उनकी जिंदगी पर बेहद बुरा असर पड़ा.

तीन साल पहले 2007 में डॉक्टर हनीफ का नाम ग्लासगो के नाकाम बम कांड से जुड़ा और उन्हें ऑस्ट्रेलिया में हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद वह निर्दोष साबित हुए. अब अदालती मामले के लिए हनीफ ऑस्ट्रेलिया पहुंचे हैं.

31 साल के डॉक्टर का कहना है कि मुआवजे के बाद उन्हें अपनी निजी और पेशेवर जिन्दगी संभालने में मदद मिलेगी. वह भारत लौटने पर विचार कर रहे हैं.

हनीफ के वकील ने यह बताने से इनकार कर दिया कि मुआवजे के तौर पर उन्हें कितनी रकम मिल रही है. लेकिन उन्होंने कहा कि यह अच्छी रकम है.

तस्वीर: Matthew Samson

ऑस्ट्रेलिया की एजेंसी के मुताबिक मंगलवार को हनीफ और उनके वकीलों की ब्रिसबेन में सरकारी पक्ष से बातचीत पूरी हो गई. इसके बाद जो समझौता हुआ, उसके मुताबिक हनीफ को मुआवजा मिलेगा और बदले में पूर्व आव्रजन मंत्री केविन एंड्रयूज पर लगे आरोप हटा लिए जाएंगे.

हनीफ के वकील रॉड हॉड्गसन ने बताया, "समझौते के मुताबिक यह भी तय हुआ है कि दोनों पक्ष समझौते की शर्तों का खुलासा नहीं करेंगे. हालांकि मैं कह सकता हूं कि डॉक्टर हनीफ को अच्छी रकम मुआवजे के तौर पर मिलेगी."

मुआवजे में उनकी नियमित कमाई में बाधा, उनके मेडिकल करियर में रुकावट, उनकी प्रतिष्ठा पर धब्बा और भावनात्मक नुकसान शामिल है. उनके वकील ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में यह अपनी तरह का पहला मामला रहा.

समझौते की बातचीत शुरू होने से पहले वकील ने कहा था कि मुआवजा 10 लाख डॉलर तक का हो सकता है. बातचीत के बाद हनीफ ने कहा, "इस मामले के निपट जाने से मैं बेहद खुश हूं." वह अपनी पत्नी फिरदौस और तीन साल की बेटी हानिया के साथ ऑस्ट्रेलिया में हैं.

उन्होंने कहा, "2007 में गलत तरीके से मुझे हिरासत में रखे जाने और गिरफ्तार करने के कड़ुवे अनुभव को इस मामले के बाद खत्म किया जा सकता है. और मैं अपने परिवार के साथ आगे की जिन्दगी के बारे में सोच सकता हूं."

उन्होंने कहा कि वह एक बार फिर से ऑस्ट्रेलिया लौटने की सोच सकते हैं. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और भारत में अपने हितैषियों को धन्यवाद दिया. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की तारीफ करते हुए कहा कि यह रहने के लिए बहुत अच्छी जगह है.

हनीफ के चचेरे भाइयों कफील अहमद और सबील अहमद ने 2007 में ग्लासगो के एयरपोर्ट पर बम हमले की कोशिश की थी. इसके बाद हनीफ को गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उन्होंने अपना सिम कार्ड अपने चचेरे भाई के पास छोड़ दिया था. उन पर आतंकवादियों को मदद देने का आरोप लगा. हाल के ऑस्ट्रेलियाई इतिहास में यह पहला मौका था, जब बिना आरोप के किसी को इतने लंबे वक्त तक हिरासत में रखा गया. उनके पकड़े जाने पर ऑस्ट्रेलिया और भारत में काफी हंगामा मचा.

बाद में अभियोजन पक्ष ने उन पर से मामला हटा लिया और हनीफ को रिहा कर दिया गया.

हनीफ इस वक्त संयुक्त अरब अमीरात में काम कर रहे हैं. अदालती मामले खत्म होने के बाद वह 10 दिनों तक ऑस्ट्रेलिया में छुट्टियां मनाएंगे. उसके बाद काम पर लौटेंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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