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'डॉन क्विजोट' की दुनिया

रोहित जोशी२२ अप्रैल २०१६

हवाई किलों को भांजते डॉन क्विजोट की फंतासी भरी कहानियां 4 शताब्दियों बाद भी लोगों को गुदगुदाती हैं. इसे गढ़ने वाले स्पेनिश साहित्यकार मिगेल दे सेरवांतेस को गुजरे आज 400 साल हो गए हैं. देखें उन्हें याद करता ये वीडियो.

Don Quijote Statue in Havana
तस्वीर: Getty Images/Afp/Str

साहित्य की दुनिया ने ऐसे कई किरदार गढ़े हैं ​जिनकी उम्र असल ​इंसानों से कहीं लंबी है. ऐसे ही एक किरदार का नाम है 'डॉन क्विजोट'. इस किरदार को जन्मे 4 शता​ब्दियों से अधिक का समय बीत गया है लेकिन ये अब भी अपनी हास्य से भरी रूमानी कहानियों के जरिए लोगों के बीच जिंदा है.

​स्पेनिश साहित्यकार मिगेल दे सेरवांतेस (29 सितंबर 1547 से 22 अप्रैल 1616) ने इस किरदार को 1605 और 1615 में दो किस्तों प्रकाशित हुए अपने उपन्यास, 'ला मांचा का सीधा सादा डॉन क्विजोट' में रचा था. इसे जबरदस्त सफलता मिली और पश्चिम के आधुनिक साहित्य की पहली रचना माना गया.

स्पेन के साहित्य की ये महत्वपूर्ण रचना अब विश्व साहित्य की अनमोल धरोहर है और इसे अब तक लिखे गए काल्पनिक उपन्यासों में सबसे महान रचनाओं में एक माना जाता है. इतनी सफल कृति होने के बावजूद अभी तक इस पर विवाद है कि क्विजोट को किस तरह पढ़ा जाए. अमेरिकी इसे किहोते कहते हैं, अंग्रेज क्विक सॉट लेकिन मूल स्पेनिश में इसे डॉन किखॉते कहा जाता है. 'डॉन क्विजोट' के साथ ही इसे रचने वाले मिगेल दे सेरवांतेस भी विश्व साहित्य का एक ना भूला जा सकने वाला नाम हैं.

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