ब्रिटेन में बॉक्सर बच्चों के पिता पर प्रतिबंधित शक्तिवर्द्धक दवाओं की सप्लाई करने के लिए आजीवन प्रतिबंध लगा तो उसकी गैरपेशेवर बेटी को चार साल के लिए निलंबित किया गया.
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ब्रिटेन की एंटी डोपिंग एजेंसी (यूकेएडी) ने इन प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा है कि फिलिप टिंकलिन पहले व्यक्ति हैं जिन पर एजेंसी ने आजीवन प्रतिबंध लगाया है. वेल्स पुलिस की एक जांच के बाद टिंकलिन पर डोपिंग विरोधी तीन नियमों को तोड़ने के आरोप लगे. अदालत ने उन्हें अनाबोलिक एस्टरॉयड की सप्लाई की साजिश रचने का दोषी पाया. ब्रिटिश एंटी डोपिंग एजेंसी ने कहा है कि फिलिप टिंकलिन की बेटी सोफी पर फरवरी 2018 तक की रोक लगा दी गई है.
सोफी को प्रतिबंधित दवाओं को बांटने में उसकी भूमिका के लिए सजा दी गई है, हालांकि उसके खुद के इन दवाओं के सेवन के सबूत नहीं पाए गए. हालांकि फिलिप टिंकलिन औपचारिक कोच नहीं थे लेकिन एंटी डोपिंग एजेंसी का कहना है कि उनकी बेटी सोफी और दूसरे युवा बॉक्सरों के करियर में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है, इसलिए वे सपोर्ट स्टाफ की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं और उनपर एंटी डोपिंग नियमों के तहत प्रतिबंध लगाया जा सकता है. एजेंसी के अनुसार टिंकलिन के पांचो बच्चे बॉक्सिंग करते हैं और वे एथलीटों के सपोर्ट स्टाफ की श्रेणी में आते हैं.
आजीवनप्रतिबंध
ब्रिटिश एंटी डोपिंग एजेंसी के प्रमुख एंडी पार्किंसन ने एक बयान में कहा, "यह ब्रिटेन की एंटी डोपिंग का एक और ऐतिहासिक मामला है, सपोर्ट स्टाफ के लिए आजीवन प्रतिबंध और कानून लागू करने वाले समुदाय के साथ हमारे सहयोग के मूल्य का महत्वपूर्ण प्रदर्शन." पार्किंसन का कहना है कि यह मामला दिखाता है कि 2009 में यूकेएडी की इंटेलिजेंस आधारित एंटी डोपिंग संस्था के रूप में गठन के बाद से यह संस्था किस ओर बढ़ रही है. उन्होंने कहा, "प्रदर्शन को बेहतर करने वाली दवाओं की तस्करी में लिप्त लोगों के लिए खेल में कोई जगह नहीं है."
पुलिस ने जुलाई 2012 में टिंकलिन के घर से टेस्टोस्टेरोन और स्टैनोजोलोल जैसी प्रतिबंधित दवाएं बरामद की थी. उनकी दलील थी कि वे वेल्स गैरपेशेवर बॉक्सिंग संगठन के एंटी डोपिंग नियमों के अंतर्गत नहीं आते हैं. उन्होंने अक्टूबर 2011 से जुलाई 2012 तक प्रतिबंधित शक्तिवर्द्धक दवाएं रखने और उनकी आपूर्ति करने का अपराध कबूल किया था और उन्हें एक साल के सशर्त प्रतिबंध की सजा दी गई थी.
एमजे/आईबी (एपी, रॉयटर्स)
डोपिंग से बुझे खेल सितारे
पिछले तीन दशकों में डोपिंग के आरोपों में घिर कर करियर गंवाने वाले खेल के कुछ सबसे चमकदार सितारों पर एक नजर.
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डोपिंग में जेल
अमेरिका की ट्रैक एंड फील्ड वर्ल्ड चैम्पियन और ओलंपिक की गोल्ड विजेता मारियन जोन्स से साल 2000 की सारी इनामी राशि छीन ली गई. 2007 में मारियन ने माना कि उसने उन मुकाबलों के दौरान डोपिंग की थी. मारियन ने इस मामले में ग्रैंड ज्यूरी के सामने डोपिंग के बारे में झूठ बोलने की बात भी स्वीकार की और तब उन्हें छह महीने के लिए जेल की सजा
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बेन जॉन्सन, कार्ल लुईस
कनाडाई धावक बेन जॉन्सन से 1998 के सियोल ओलंपिक में 100मीटर की फर्राटा दौड़ का गोल्ड मेडल डोपिंग टेस्ट में फंसने के बाद छीन लिया गया. उन्होंने जब 1987 में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के दौरान स्टेरॉयड लेने की बात मानी तो वह भी वापस ले लिया गया. उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी कार्लु लुईस भी 1988 में डोपिंग में फंसे लेकिन वह प्रतिबंधित रसायन को सर्दी की दवा का हिस्सा साबित करने में सफल रहे.
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काटरीन क्राबे
जर्मनी की मशहूर धाविका 1991 में 100 और 200 मीटर दूरी की दौड़ में वर्ल्ड चैम्पियन थीं. 1995 में उन्हें क्लेनब्यूटेरॉल इस्तेमाल करने का दोषी पाया गया और तमगे छिन गए. ट्रैक पर वापसी की उनकी सारी कोशिशें नाकाम रहीं.
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संदिग्ध टूथपेस्ट
1992 के ओलंपिक में 5000 मीटर की दौड़ में विजेता रहे डीटर बाउमान को बाद में डोपिंग का दोषी पाया गया और 1999 में उन पर दो साल का प्रतिबंध लग गया जिसके कारण वह 2000 के सिडनी ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले सके. उनकी दलील थी कि किसी ने उनके टूथपेस्ट में कुछ मिला दिया. 2002 में उन्होंने वापसी की और 37 साल की उम्र में 10 हजार मीटर का यूरोपीय चैम्पियनशिप जीता.
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टेस्ट से भागे
एकातेरिनी थनोउ और उनकी ट्रेनिंग पार्टनर कोनस्टानटिनो केनटेरिस 2004 के समर ओलंपिक के मौके पर ड्रग्स टेस्ट के लिए नहीं पहुंचे. इसी दिन दोनों अस्पताल में भर्ती हुए इस दावे के साथ कि वो मोटरसाइकिल हादसे में जख्मी हो गए हैं. वो गेम से बाहर हो गए और बाद में जांच से पता चला कि हादसे की बात झूठी थी. झूठ बोलने के लिए उन पर अपराधिक मुकदमा चला.
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बदनाम साइक्लिंग
अमेरिकी की एंटी डोपिंग एजेंसी ने 2012 में लांस आर्मस्ट्रांग को प्रतिबंधित दवा लेना के दोषी पाया. उनसे टूअर डे फ्रांस के सात टाइटल छीन लिए गए और जीवन भर के लिए उन पर पाबंदी लगा दी गई. 2013 में ओपेरा विन्फ्री के शो पर आर्म्स्ट्रांग ने बताया कि कैसे 1998 से 2004 तक वो झूठ बोल कर डोपिंग में फंसने से बचते रहे.
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नशीली दवा का खतरा
अर्जेंटीना के धुरंधर फुटबॉल सितारे डियेगो मैराडोना अमेरिका में 1994 के वर्ल्ड कप के दौरान डोपिंग में फंसे और उन्हें टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया. तीन साल पहले उन्हें कोकीन लेने का भी दोषी पाया गया था.
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बेकसूर होने का दावा
क्लाउडिया पेश्टाइन ओलंपिक की सबसे सफल स्पीड स्केटर मानी जाती हैं. 2009 में उन पर ब्लड डोपिंग के आरोप लगे और 2 साल के लिए सभी मुकाबलों में शामिल होने पर रोक लग गई. उनका दवा है कि उनमें रेटिक्यूलोसाइट्स के अनियमित स्तर की वजह आनुवांशिक है लेकिन वह इसे कानूनी तौर पर साबित नहीं कर सकीं. 2011 में उन्होंने वर्ल्ड चैम्पियनशिप से वापसी की और 5000 मीटर के इवेंट में कांस्य पदक जीता.
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डोपिंग के लिए कुख्यात
रूस की स्वेतलाना क्रिवेल्योवा ने 1992 के ओलंपिक और 2003 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप में शॉटपुट गोल्ड जीता. 2004 के वर्ल्ड इनडोर चैम्पियनशिप में डोपिंग के कारण विजेता से गोल्ड छीन कर क्रिवेल्योवा को दे दिया गया. 2004 के एथेंस ओलंपिक में जब विजेता डोपिंग के कारण बाहर हुआ तो क्रिवेल्योवा को कांस्य पदक मिला. दोबारा टेस्ट के दौरान क्वेल्योवा भी डोपिंग में फंसी और पदक वापस ले लिया गया.
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ग्रेट टाइस मुकदमे में जीते
दक्षिण अफ्रीका के लंबी दूरी के धावक गेर्ट टाइस ने 2006 में सियोल इंटरनेशनल मैराथन जीत लिया लेकिन डोपिंग में फंसने के बाद उन्हें अयोग्य करार दिया गाय. टाइस ने प्रतिबंध को चुनौती दी और लैब की गलती की ओर इशारा किया. उनके दोनों सैंपल एक ही टेक्नीशियन ने जांचे थे जो नियम के हिसाब से गलत है. 2012 में उन्हें आरोप मुक्त कर दिया गया.
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सबसे नया विवाद
जमैका के 100 मीटर रेस में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके असाफा पॉवेल, उनके टीम साथी और तीन बार के ओलंपिक पदक विजेता शेरॉन सिम्पसन, अमेरिकी स्प्रिंटर टायसन गे और वेरोनिका कैम्पबेल ये सारे इस साल डोपिंग के टेस्ट में फंस गए. पॉवेल लंदन ओलंपिक के उन खिलाड़ियों में हैं जिनके सबसे ज्यादा टेस्ट हुए. वह कानूनी तरीके ढूंढ रहे हैं.