ड्रग्स माफिया के चलते लपेटे में आया डच बैंक
९ फ़रवरी २०१८हॉलैंड के प्रसिद्ध राबोबैंक की अमेरिकी शाखा बुरी तरह फंस गई है. अमेरिकी जांचकर्ताओं के मुताबिक बैंक ने मेक्सिको के ड्रग माफियाओं के लिए मनी लॉन्ड्रिंग की. बैंक ने यह जानकारी अमेरिकी जांचकर्ताओं से भी छुपाई. लेकिन जांचकर्ता मामले की तह तक पहुंच ही गए. यह साबित हो गया कि बैंक ने 2009 से 2012 के बीच ड्रग तस्करों से करोड़ों डॉलर का लेन देन किया.
मामले का पता ऑडिट रिपोर्ट से चला. मेक्सिको की सीमा से सटी बैंक की एक ब्रांच सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली शाखा बन गई. कैलेसिको ब्रांच के रिकॉर्ड मुनाफे से अमेरिकी न्याय विभाग के कान खड़े हो गए. बैंक के इंटरनल कंट्रोल के चेतावनी देने के बावजूद कई संदिग्ध लेन देनों की जांच नहीं की गई, न ही प्रशासन को इसकी कोई सूचना दी गई.
2009 में जांच शुरू करते वक्त 10 नाम सामने आए थे. 2012 में जांच पूरी होते होते 1,000 से ज्यादा नाम सामने आए. 2012 में बैंक के अधिकारियों ने अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट से भी झूठ बोला. इंटरनल कंट्रोल के जरिए चेतावनी देने वाले कर्मचारियों को भी बैंक ने नौकरी से निकाल दिया. ये सारी जानकारी अमेरिकी जांचकर्ताओं के पास पहुंची. निकाले गए कर्मचारियों से पूछताछ करने पर मामला खुलता चला गया.
जस्टिस विभाग के अधिकारी जॉन क्रोनैन के मुताबिक, "राबोबैंक को जब पता चला कि उसके कई ग्राहकों का लेन देन अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी, संगठित अपराध और मनी लॉड्रिंग से है तो बैंक ने अपनी गलतियां छुपाने की कोशिश की." जांच के बाद यह तय हो चुका था कि राबोबैंक पर भारी जुर्माना लगेगा. जुर्माने से बचने के लिए बैंक ने आखिरकार अपनी गलती मानी और मामले के निपटारे की गुजारिश की. निपटारे के तहत बैंक को 36.9 करोड़ डॉलर चुकाना होगा. साथ ही जुर्माने के तौर पर न्याय विभाग को पांच करोड़ डॉलर देने होंगे, यानि कुल चपत 41.9 करोड़ डॉलर की लगी है.
मेक्सिको की ड्रग्स तस्करी के मामले में यह सबसे बड़ा वित्तीय निपटारा है. हालांकि यह रकम अमेरिका में एचएसबीसी बैंक द्वारा चुकाए गए 1.2 अरब डॉलर से काफी कम है. हॉन्ग कॉन्ग शंघाई बैंक (एचएसबीसी) को 2012 में मनी लॉड्रिंग के चलते 1.2 अरब डॉलर का जुर्माना देना पड़ा. मनी लॉड्रिंग के चलते 2010 में अमेरिका में बाचोविया बैंक ने भी खुद को 16 करोड़ डॉलर की चपत लगवाई.
ओएसजे/एमजे (एपी, एएफपी)