रिहाइशी इमारत में रखे सिलेंडरों और केमिकल्स ने आग को ऐसा भड़काया कि कुछ ही पलों में पूरा बाजार चपेट में आ गया. करीब 81 लोग मारे गए. आग बुझाने में 12 घंटे लगे और तब तक बहुत कुछ खाक हो चुका था.
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बांग्लादेश की राजधानी ढाका में संकरी सड़कों वाले रिहाइशी इलाके, चौक बाजार में बुधवार रात करीब 10 बजकर 40 मिनट पर आग लगी. अधिकारियों के मुताबिक आग एक अपार्टमेंट से शुरू हुई. इमारत में डियोडरेंट बनाने के लिए गैरकानूनी रूप से कई तरह के रसायन रखे गए थे. आग की चपेट में सबसे पहले गैस सिलेंडर आए, उन्होंने आग को भड़काया और फिर चौथी मंजिल पर गैरकानूनी ढंग से रखे गए रसायनों ने लपटों को विकराल बना दिया. पलक झपकते ही पड़ोस की चार इमारतें भी धधकने लगीं.
पास के रेस्तरां में शादी की पार्टी चल रही थी. पूरी पार्टी आग में फंस गई. रेस्तरां के मेन गेट को चेन लगाकर बंद किया था, इसकी वजह से भीतर मौजूद लोग फंसे रह गए.
इलाके में मेडिकल स्टोर चलाने वाले हाजी अब्दुल कादेर के मुताबिक, "मैं फॉर्मेसी में था और मैंने धमाके की आवाज सुनी. मैंने पीछे मुड़कर देखा तो कारों और रिक्शों से भरी सड़क लपटों में घिरी थी. हर जगह लपटें थीं. मैं भी झुलसा और तुरंत हॉस्पिटल भागा."
सोहाग होसेन ने स्थानीय मीडिया को बताया कि आग के वक्त वह अपने दो दोस्तों के साथ प्लास्टिक फैक्ट्री में काम कर रहे थे. सभी ने धमाके की आवाज सुनी, होसेन भागने में सफल रहे लेकिन उनके दो दोस्त लपटों से नहीं बच सके.
फायर ब्रिगेड के करीब 200 कर्मचारियों को आग बुझाने में 12 घंटे लगे. बांग्लादेश के दमकल विभाग के चीफ अली अहमद के मुताबिक आग ने कम से कम 70 लोगों की जान ली है. अहमद ने मृतकों की संख्या बढ़ने का अंदेशा जताया. और शाम होते होते संख्या 81 हो गई. ज्यादातर शव इतनी बुरी तरह जले हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है.
चश्मदीदों के मुताबिक पड़ोस की इमारतों में भी हाउसहोल्ड प्रोडक्ट्स से जुड़े केमिकल्स रखे गए थे. उनकी वजह से भी धमाके होते रहे.
फायर ब्रिगेड के चीफ के मुताबिक जिस वक्त आग लगी, उस वक्त तंग सड़कों में ट्रैफिक जाम था. इसकी वजह से लोग तेजी से भाग भी नहीं सके. संकरी सड़कों और ट्रैफिक जाम की वजह से फायर ब्रिगेड को घटनास्थल पर पहुंचने में काफी वक्त लगा. फायर ब्रिगेड के पास पर्याप्त पानी भी नहीं था.
2010 में भी ढाका के एक केमिकल गोदाम में आग लगी और 120 लोग मारे गए. 2013 में ढाका के बाहरी इलाके में राणा प्लाजा नाम की गारमेंट फैक्ट्री ढह गई. यह बांग्लादेश के इतिहास का सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा था. राणा प्लाजा हादसे में 1,134 लोग मारे गए.
ओएसजे/एए (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)
(बार बार ढहती बांग्लादेश की इमारतें)
बार बार ढहती बांग्लादेश की इमारतें
विनाशकारी आग और इमारतों का ढहना बांग्लादेश में काफी आम हो चला है. यहां इमारतों के लिए सुरक्षा नियम अक्सर ठीक से लागू नहीं किए जाते हैं. एक नजर हाल के दशकों में हुई ऐसी सबसे बड़ी त्रासदियों पर.
तस्वीर: Reuters/M. Ponir Hossain
निमटोली विस्फोट, 2010
3 जून 2010 को ढाका के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक में बिजली का ट्रांसफॉर्मर फटने से आग लग गई. बांग्लादेश के सबसे घातक औद्योगिक विस्फोट में 117 लोग मारे गए. निमटोली जिले में कई मल्टीस्टोरी इमारतें और दुकानें आग की लपटों में घिर गई थीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/A. Abdullah
अशुलिया गारमेंट फैक्ट्री की आग, 2012
24 नवंबर, 2012 को ढाका के बाहरी इलाके में नौ-मंजिला ताजरीन फैशन फैक्ट्री में आग लगने से कम से कम 112 मजदूरों की मौत हो गई थी. बाद में एक जांच में पाया गया कि यह आगजनी की वजह से हुआ था और अशुलिया जिला प्लांट के प्रबंधकों ने दरवाजे पर ताला लगा दिया था ताकि पीड़ित बाहर ना निकल सकें. यहां पर एक सैनिक जली हुई सिलाई मशीनों के एक कमरे का निरीक्षण करता दिख रहा है.
तस्वीर: Reuters
राना प्लाजा हादसा, 2013
24 अप्रैल 2013 को राजधानी ढाका में नौ मंजिला राना प्लाजा में लगी आग को दुनिया के सबसे खराब औद्योगिक हादसों में से एक माना जाता है. कपड़ा फैक्ट्री में हुई इस त्रासदी में 1,100 से अधिक लोग मारे गए थे और 2,000 घायल हो गए थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Abdullah
ढहने के बाद
इस आपदा ने बांग्लादेशी कारखानों में खराब सुरक्षा की पोल खोल दी थी. इन में से कई कारखाने पश्चिमी ब्रांडों के लिए कपड़े बनाते हैं. राना प्लाजा के मालिक सहित दर्जनों लोगों पर लापरवाही के आरोप लगे. अरबों डॉलर के उद्योग में सुरक्षा को सुधारने के लिए कुछ कदम लिए गए मगर अब भी बांग्लादेशी कपड़ा मिल मजदूरों को दुनिया में सबसे कम वेतन मिलता है.
तस्वीर: Imago/Xinhua
टोंगि फैक्टरी में आग, 2016
10 सितंबर को ढाका के उत्तर में एक सिगरेट पैकेजिंग फैक्ट्री में बॉयलर फटने से लगी आग के कारण 31 लोग मारे गए थे. माना जाता है कि टोंगि गोदाम के भूतल में रखे गए रसायनों के कारण यह आग बहुत जल्दी फैल गई थी.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS.com
गाजीपुर कारखाना दुर्घटना, 2017
4 जुलाई 2017 को राजधानी के उत्तर में गाजीपुर शहर में कपड़ा कारखाने के ढहने के पीछे भी एक बॉयलर विस्फोट ही था. इसमें 13 लोग मारे गए थे. संयोगवश उस समय ईद की छुट्टियां होने के कारण हजारों मजदूर फैक्ट्री में काम पर नहीं गए थे.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Hasan
चौकबाजार धमाका, 2019
20 फरवरी 2019 को ढाका के ऐतिहासिक बाजार में स्थित एक अपार्टमेंट ब्लॉक में आग लगने से कम से कम 70 लोग मारे गए. यह धमाका चौकबाजार की एक इमारत में शुरू हुआ, जहां घरेलू उत्पादों में पड़ने वाले रसायनों को अवैध रूप से इकट्ठा कर रखा गया था. दमकलकर्मियों को आग बुझाने में लगभग 12 घंटे लगे.एनआर/आरपी (एएफपी)