कोई नियमित रूप से दफ्तर में साथी कर्मचारियों से झगड़ता रहता है या कोई इसलिए परेशान रहता है कि बॉस एक के बाद एक काम थोप रहा है. इस तनाव से बचने के लिए लोग कॉफी का सहारा लेते हैं. लेकिन कॉफी आखिर तनाव को दूर करती कैसे है?
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तनाव का शिकार होने वाले लोगों की तादाद बढ़ रही है. नौकरी में तनाव, सड़क और हवाई जहाज के शोर से तनाव, और निजी जिंदगी का तनाव अलग से. ज्यादातर लोग तनाव पर काबू पाने में कामयाब नहीं हो पाते. तनाव बीमार करता है. बॉन यूनिवर्सिटी में फार्मेसी इंटस्टीट्यूट की प्रोफेसर क्रिस्टा मुलर बताती हैं कि नियमित तनाव के कारण लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं, " वे डरने लगते हैं और कोई फैसला लेने की हालत में नहीं रहते. वे ठीक से सोच नहीं पाते. यह तनाव के मुख्य नतीजे हैं."
बहुत से लोग तनाव में होने पर कॉफी पीते रहते हैं. ये लोकप्रिय शक्तिवर्धक सिर्फ तरोताजा ही नहीं रखता बल्कि वह याददाश्त मजबूत करने के साथ तनाव के असर को भी कम करता है. क्रिस्टा मुलर ने एक अंतरराष्ट्रीय शोध ग्रुप के साथ इसकी जांच की है. शोध के अनुसार कैफीन दिमाग के एक मैकेनिज्म को ब्लॉक कर देता है जो शरीर में तनाव के विभिन्न लक्षण पैदा करता है. रिसर्चरों ने चूहों पर साबित किया है कि इस मैकेनिज्म के ब्लॉक होने पर तनाव के लक्षण दूर हो जाते हैं. क्रिस्टा मुलर बताती हैं, "चूहे फिर से एकदम सामान्य हो गए. उनमें तनाव के कोई लक्षण नहीं रहे. उनकी सोचने की ताकत बेहतर हो गई. वे कम डरे दिख रहे थे और डिप्रेसिव भी नहीं थे." मुलर मानती हैं कि ये नतीजे इंसानों पर भी दिखेंगे. इस बात के संकेत हैं कि कैफीन का एंटीडिप्रेसिव असर होता है और वह सोचने की ताकत बढ़ाता है.
कैसे काम करता है कैफीन
दरअसल तनाव पैदा करने वाला तत्व आडेनोसिन दिमाग की कोशिका के एक ज्वाइंट से जुड़ जाता है. इससे तनाव के लक्षण पैदा होते हैं. यदि कैफीन तनाव पैदा करने वाले तत्व को दबा दे तो तनाव के लक्षण पैदा नहीं होते. कैफीन रिसेप्टर की प्रतिस्पर्धा जीत जाता है. बॉन यूनिवर्सिटी के डॉक्टर डोमिनिक थिम का कहना है कि यह संभव है कि रिसेप्टर पर आडेनोसिन नहीं जुड़े, बल्कि कैफीन जुड़े, "यदि कैफीन जुड़ता है तो फिर वहां आडेनोसिन नहीं जुड़ता. इसका मतलब यह होता है कि तनाव के सिग्नल नहीं पैदा होते."
लेकिन कैफीन की बड़ी मात्रा का अनिच्छित साइड इफेक्ट भी होता है. यह जगा कर रखता है जिसकी वजह से पेशाब का दबाव पैदा होता है और इससे रक्तचाप बढ़ सकता है. इसलिए वैज्ञानिक ऐसे कंपोनेंट की खोज में हैं जो कैफीन की तरह तनाव से बचाए लेकिन कोई साइड इफेक्ट न हो. इसमें उन्हें काफी सफलता भी मिल रही है. लेकिन क्या यह नया तत्व इंसान के तनाव और उसके असर का इलाज करने में सहायक होगा, इसकी जांच मरीजों के साथ क्लीनिकल टेस्ट में करनी होगी. तब तक इंसान को तनाव कम करने के लिए कैफीन के सहारे ही रहना होगा.
हर रोज कॉफी के फायदे और नुकसान
भारतीय समाज में भी धीरे धीरे कॉफी पीने का चलन बढ़ रहा है. रिसर्चरों के मुताबिक कॉफी से दिमाग, त्वचा और शरीर को कई फायदे होते हैं. लेकिन इसकी लत भी अच्छी नहीं.
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तनाव से छुटकारा
सिओल नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने चूहे पर प्रयोग करके पाया कि चूहे को देर तक जागती हालत में रखने के बाद जब उसे कॉफी सुंघाई गई तो दिमाग में उन प्रोटीन पर असर पड़ा जो तनाव के लिए जिम्मेदार होते हैं. सिर्फ तनाव ही नहीं नींद पूरी ना होने पर होने वाली थकावट भी कॉफी से दूर होती है.
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पार्किंसंस से मुकाबला
साइंस डेली पत्रिका के मुताबिक पार्किंसंस से जूझ रहे लोगों में कॉफी शरीर पर नियंत्रण बनाने में मददगार साबित होती है. इस स्टडी को करने वाले एक रिसर्चर रोनाल्ड पोस्टूमा के मुताबिक, "वे जो कॉफी के जरिए कैफीन लेते हैं उन्हें पार्किंसंस का कम खतरा होता है."
दिल के लिए अच्छी
2006 की एक स्टडी के मुताबिक वे जो हर रोज एक कप कॉफी पीते हैं उन्हें लीवर सिरॉसिस का 20 फीसदी कम खतरा रहता है. लीवर सिरॉसिस जिगर की बीमारी है जो अत्यधिक शराब पीने से होती है, इसमें जिगर खराब हो जाता है या कैंसर भी हो सकता है.
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खुशी का एहसास
जो लोग हर रोज एक से चार कप कॉफी पीते हैं उन्हें अवसाद होने का 10 फीसदी कम खतरा रहता है. यह सिर्फ कैफीन के ही कारण नहीं, बल्कि कॉफी में एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं जो खुश रहने में मदद करते हैं.
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त्वचा के कैंसर का कम खतरा
ऐसा सिर्फ महिलाओं के लिए ही है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने 1,12,897 महिलाओं और पुरुषों पर 20 साल के आंकड़ों का अध्ययन करके पाया कि वे महिलाएं जो हर रोज करीब तीन कप कॉफी पीती हैं उन्हें त्वचा का कैंसर होने का कम खतरा होता है.
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स्टैमिना में मदद
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक कैफीन से रक्त में फैटी एसिड का संचार होता है, जिसे एथलीट्स की मांसपेशियां सोख लेती हैं और दौड़ते समय ईंधन की तरह इस्तेमाल करती हैं.
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डायबिटीज में मदद
अमेरिकन केमिकल सोसाइटी की एक स्टडी के मुताबिक दिन में तीन से चार कप कॉफी पीने से टाइप टू डायबिटीज का 50 फीसदी खतरा घट जाता है.
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स्वस्थ दिमाग
साउथ फ्लोरिडा और मियामी यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने एक स्टडी में पाया कि 65 साल से ज्यादा उम्र के जो लोग नियमित रूप से कॉफी पीते हैं उन्हें अल्जाइमर का कम खतरा रहता है.
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अति अच्छी नहीं
"कॉफी तंत्रिकाओं के लिए बुरी है", ऐसी बातें हम अक्सर सुनते हैं. लेकिन रिसर्चरों का कहना है कॉफी ज्यादा ही बदनाम है. असल में कॉफी कैंसर को दूर रखने में मदद करती है. लेकिन कहते हैं ना किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं.
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लत ना लग जाए
कॉफी में कैफीन होता है. यह रासायनिक पदार्थ दिल की धड़कन बढ़ाता है. नसों को शरीर में तो चौड़ा कर देता है लेकिन दिमाग में खून ले जानी वाली नसों को संकरा. कॉफी की लत भी पड़ सकती है. कॉफी पीना बंद करने पर सिर दर्द भी हो सकता है.
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स्मार्ट रहें
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कॉफी पीकर आप ज्यादा चुस्त, दरुस्त और स्मार्ट रह सकते हैं. टाइम पत्रिका के रिपोर्टर मिषाएल लेमोनिक के मुताबिक, "अगर आप कम सोते हैं और कॉफी पीते हैं, हर वह काम जो आप करेंगे, बेहतर होगा. प्रतिक्रिया, चौकन्ना रहना, एकाग्रता, तर्कसंगत होने जैसे सभी मुश्किल काम जो अक्लमंदी से जुड़े हुए हैं."