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तनाव मुक्ति के लिए योग

सोनिया फलनिकर/एमजे२१ जून २०१५

दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है. लेकिन भारत में यह दिन विवादों में मन रहा है. स्ट्रेचिंग और प्राणायाम में विवादास्पद क्या हो सकता है? तैयारी के दौरान सरकार के उत्साह ने इसे विवादों के घेरे में ला दिया.

तस्वीर: Florent Martin

सूरज का पारा गर्म होने से पहले चादर और मैट लिए लोगों का दस्ता राजधानी दिल्ली में पॉश लोदी गार्डन में पहुंचने लगता है. 15वीं सदी के मुस्लिम मकबरे के सामने लोग एक्सरसाइज करते हैं, गहरी सांस लेते हैं, हंसते हैं और ध्यान करते हैं. पिछले आठ सालों से यहां योग कर रहे ग्रोसरी स्टोर मालिक आरपी गोयल कहते हैं, "यह दिन शुरू करने का स्वस्थ तरीका है. मैं हल्का और ऊर्जावान महसूस करता हूं." 26 वर्षीया टीचर दीपिका लखवानी कहती हैं, "मैंने एक महीने पहले ही योग शुरू किया है लेकिन अंतर देख रही हूं. मैं ज्यादा शांत, कम तनाव और ज्यादा केंद्रित महसूस करती हूं."

भारत के सबसे प्रसिद्ध सांस्कृतिक निर्यात को मुख्य तौर पर तनाव कम करने से जोड़ कर देखा जाता है. लेकिन कम से कम भारत में पिछले हफ्तों में एकदम उल्टा असर दिखाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाना तय किया है. इसे खुद योग करने वाले और पिछले साल सत्ता में आने के बाद योग के प्रचार को अपना मिशन बनाने वाले मोदी की व्यक्तिगत जीत माना जाता है. पिछले साल उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा और योग के लिए अलग मंत्रालय बनाया है. हाल के महीनों में सरकार ने देश के मोटे पुलिस और सिविल अधिकारियों को पूरे देश में योग करने को प्रेरित किया है.

तस्वीर: Florent Martin

सांस्कृतिक बहुमत

पश्चिम में चुस्त रहने के लिए जाने वाले योग पर भारत में इतनी बहस क्यों? विश्लेषकों का कहना है कि योग पर चल रही बहस धर्मनिरपेक्षता पर मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर संदेह से जुड़ी है. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की गुरप्रीत महाजन का कहना है, "सारी बहस को बढ़ा चढ़ा दिया गया है. लोग सजग हैं क्योंकि पहलकदमी बीजेपी की ओर से आई है." इनमें दक्षिणपंथी आरएसएस जैसे संगठन शामिल हैं जिसके साथ मोदी ने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया. आरएसएस ने पिछले साल एक प्रस्ताव पास कर स्कूलों और कॉलेजों में योग को अनिवार्य करने की मांग की थी.

विशेषज्ञों के अनुसार कुछ प्रांतों में बीफ पर प्रतिबंध लगाया जाना, मुस्लिमों को वोट देने की अनुमति न देने जैसे बयान, स्कूल की किताबों में संशोधन कर हिंदू उपलब्धियों को शामिल करने की मांग, जबरन धर्मांतरण और गरीबों के खाने में प्रोटीन बहुल अंडे को शामिल किए जाने से इंकार और बीजेपी के करीबी संगठनों के कई उकसाने वाले बयानों ने पिछले महीनों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को चिंतित किया है. महाजन कहती हैं, "सांस्कृतिक बहुमतवाद का माहौल बनाने के ढेर सारे प्रयास हुए हैं."

हर भारतीय का योग

योग दिवस पर उठे विवाद के कारण सूर्य नमस्कार और ओम शब्द को औपचारिक समारोह से हटा लिया गया है. सरकार ने कहा है कि योग दिवस में भागीदारी अनिवार्य नहीं है. उसने यह भी कहा है कि योग धर्मनिरपेक्ष है. बीजेपी के प्रवक्ता नलिन कोहली कहते हैं, "योग हर भारतीय का है. यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है." वे इस बात की ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि 47 मुस्लिम देशों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को भारत के साथ स्पॉन्सर किया था. यह दिखाता है कि इसका कोई धार्मिक कोण नहीं है.

लोदी गार्डन में हो रहे योग अभ्यास में भाग लेने वाले लोग योग के राजनीतिकरण को सही नहीं समझते. उनमें से ज्यादातर का मानना है कि योग धर्म की ओर जाने का दार्शनिक और आध्यात्मिक विज्ञान है. 51 वर्षीय सिख कारोबारी रोहित सिंह पूछते हैं, "क्या फर्क पड़ता है कि आप आंतरिक संतुलन बनाने के लिए योग का अभ्यास करते हुए या प्राणायाम करते हुए ओम कहते हैं, अल्लाह या वाहे गुरू." वह योग मुद्रा में आकाश की ओर हाथ उठाकर कहते हैं, "योग सार्वलौकिक है."

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