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तनाव से हार्ट अटैक का कैसा रिश्ता

१२ जुलाई २०१४

दिल की बीमारी और पक्षाघात के लिए तनाव को दोषी ठहराया जाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अब उन्हें यह पता चल गया है कि ऐसा क्यों होता है. असल में तनाव से श्वेत रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ जाता है.

तस्वीर: unitypix - Fotolia

लगातार तनाव से शरीर में रोगों से लड़ने वाली रक्त की श्वेत कोशिकाओं का उत्पादन काफी तेज हो जाता है. इनके बहुत अधिक मात्रा में होने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता हैं. अतिरिक्त कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं की अंदरूनी दीवार में चिपक जाती हैं और खून के प्रवाह को रोकती हैं. इसकी वजह से खून के थक्के बनने लगते हैं. थक्कों से खून के बहाव में तो रूकावट आती ही है साथ ही ये थक्के शरीर के दूसरे हिस्सों में भी चले जाते हैं.

इस अध्ययन के सहलेखक बॉस्टन के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मथियास नारेनडॉर्फ का कहना है, "श्वेत ब्लड सेल इंफेक्शन और उपचार के लिए जरूरी हैं, लेकिन यदि वे बड़ी मात्रा में हों और गलत जगह पर हों तो वे नुकसानदेह होते हैं." डॉक्टरों को काफी समय से पता है कि क्रोनिक तनाव कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का कारण है लेकिन इसका कारण सामने नहीं आया था. इनके बीच संबंध का पता करने के लिए नारेनबर्ग और उनकी टीम ने इंटेसिव केयर यूनिट में काम करने वाले 29 डॉक्टरों पर स्टडी की गई.

(हार्ट अटैक में क्या होता है?)

डॉक्टरों के काम की जगह और उसके माहौल को जीवन-मरण तय करने वाले तेज फैसलों और भारी जिम्मेदारी के कारण निरंतर तनाव का मॉ़डल माना गया. काम के समय और ड्यूटी के बाद उनके खून का सैंपल लिया गया और उनसे तनाव के बारे में सवाल पूछे गए. इन नतीजों के आधार पर शोधकर्ताओं ने तनाव और इम्यून सिस्टम के बीच संबंध पाया. उन्होंने देखा कि तनाव बोन मैरो स्टेमसेल को सक्रिय करता है जिसका वजह से श्वेत रक्त कोशिकाओं का जरूरत से ज्यादा बनना शुरु हो जाता है.

ल्यूकोसाइट्स कही जाने वाली श्वेत रक्त कोशिकाएं घाव के ठीक होने और इंफेक्शन से लड़ने में मददगार होती है. लेकिन यह अपने मेजबान के खिलाफ हो सकती हैं, जिसका एथरोक्लेरोसिस बीमारी वाले लोगों पर घातक असर होता है. इसके बाद यह रिसर्च चूहों पर दोहराया गया. भीड़भाड़ और पिंजरे को उलटने पुलटने जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर एथरोक्लेरोसिस वाले चूहों को तनाव दिया गया.

रिसर्चरों ने पाया कि तनाव की वजह से पैदा हुई श्वेत रक्त कोशिकाएं धमनियों में जमा हो गई और थक्कों के बनने को बढ़ावा मिला. नारेनडॉर्फ कहते हैं, "यहां कोशिकाएं एंजाइम रिलीज करती हैं जो जोड़ने वाले टिशु को नरम बनाती हैं और थक्कों के टूटने की वजह बनती है. यह हार्ट अटैक और स्ट्रोक की आम वजह है." उनका कहना है कि कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, धूम्रपान और जेनेटिक कारण भी इसमें योगदान देते हैं. तनाव उन्हें और खतरनाक बना देता है.

(इन नौकरियों में टेंशन ही टेंशन​​​​​​​)

एमजे/आरआर (एएफपी)

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