एसिड हमला करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान, जुर्माने और पीड़ित के लिए जल्दी न्याय की व्यवस्था है. लेकिन अपराधियों के मन में इन सबका डर नहीं बल्कि भरोसा है कि कई दूसरे मामलों की ही तरह बच निकलना मुश्किल ना होगा.
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दो साल पहले ही एसिड हमले के दोषियों के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया. लगातार बढ़ रही वारदातों के चलते क्रिमिनल लॉ में संशोधन हुआ, जिसमें अप्रैल 2014 में कुछ और सुधार लाए गए. तेजाब की खरीद-फरोख्त के नियम कड़े किए गए और उन्हें पहचान पत्र या पते के साक्ष्यों के साथ जोड़ने की कोशिश हुई. लेकिन हमेशा की तरह कुछ लूपहोल रह गए, जिनका फायदा उठा कर अब भी कोई भी कुत्सित मानसिकता वाला इंसान जब चाहे अपनी नजदीकी दुकान से तेजाब खरीद कर उसका मनचाहा इस्तेमाल कर सकता है और ऐसा हो भी रहा है.
कानून में पीड़ितों के लिए मुआवजा और उनके लिए मुफ्त इलाज की भी व्यवस्था है. इसके अलावा तेजाबी हमलों के पीड़ितों को जल्द न्याय दिलाने के लिए इन मामलों की कार्यवाही तय समय सीमा में पूरा करने की भी कोशिश है. लेकिन यह एक ऐसा अपराध है जो केवल कड़े नियम कानूनों से नियंत्रण में नहीं आने वाला. तेजाब फेंके जाने के ज्यादातर मामलों में अपराध की जड़ में बदले और सबक सिखाने की भावना पाई गई. इसकी जड़ में भी वही कोढ़ दिखता है जो बलात्कार की कई घटनाओं का कारण बनता है. महिलाओं के चेहरे-मोहरे, कपड़ों और बर्ताव के लिए हर समाज के पुरुष वर्ग ने सदियों से अपनी सुविधा को ध्यान में रखते हुए जो सख्त नियम बना रखे थे, वही आज बदलते समय के साथ पुरुषों के बराबर ही नहीं उनसे आगे भी निकल रही महिलाओं के खिलाफ उनके रवैये में भी झलकता है.
घर में बहन, पत्नी और बेटी के साथ परिवार के पुरुषों का बर्ताव बचपन से ही छोटे लड़कों के जेहन में एक गाइडलाइन बनता है. यही लड़के बड़े होकर अपनी क्लास में सहपाठी लड़की के साथ या गर्लफ्रेंड के साथ कैसे पेश आते हैं, वह काफी हद तक उसी सीख का प्रतिबिंब होता है. अगर घर में लड़का होने के कारण ही उनकी हर बात मानी जाती रही है तो फिर बाहर की किसी लड़की से भी वे ऐसे ही बर्ताव की उम्मीद करते हैं. आश्चर्य नहीं कि तथाकथित एकतरफा प्रेम के मामले सबसे ज्यादा एसिड हमलों की वजह बनते हैं. किसी लड़की का इनकार लड़के के दिमाग में गहरी पैठ चुकी खुद की सुपीरियर इमेज के साथ सही नहीं बैठता और वह बौखला कर आपा खो देता है.
यह सबक हर घर में सिखाना होगा कि बिना सही गलत का ख्याल किए हर मामले में अपनी मर्जी चलाना और लड़की की वैयक्तिकता और उसकी मर्जी का महत्व ना समझना गलत है. जब इनकी नींव परिवार में पड़ेगी तभी आने वाली पीढ़ी के लिए यह बीते समय की एक कुरूप कुप्रथा के रूप में सीमित रह पाएगी. तब तक कानूनों का सख्ती से पालन और पीड़ितों के लिए पुनर्वास की अच्छी सुविधाएं दिलाना जरूरी है.
चेहरे के साथ इंसान की पहचान जुड़ी होती है लेकिन याद रखना चाहिए कि जब कोई बच्चा मां के गर्भ में होता है, तब तो मां बिना उसका चेहरा देखे ही उससे इतना प्रेम करती है. जीवन में चेहरे की सुंदरता से कहीं कीमती है खुद जीवन. किसी अपराध का शिकार बनने के बावजूद अपना आत्मविश्वास बरकरार रखना हमलावर के मुंह पर सबसे बड़ा तमाचा होगा.
ब्लॉग: ऋतिका राय
एसिड अटैक का मुकाबला!
जर्मनी की फोटोग्राफर ऐन क्रिस्टीने वोर्ल ने दुनिया भर में उन महिलाओं की तस्वीरें लीं जिन्होंने खुद पर एसिड अटैक जैसे खतरनाक और जघन्य अपराध को झेला और उससे मजबूत होकर उबरीं.
तस्वीर: Ann-Christine Woehrl/Echo Photo Agency
भारत से निहारी
निहारी जब केवल 19 साल की थी, उसने खुदखुशी की कोशिश की थी. वह अपने जीवन से पूरी तरह निराश हो चुकी थी. वह अपने पति की ओर से मिल रही शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से बेहद परेशान थी.
तस्वीर: Ann-Christine Woehrl/Echo Photo Agency
बांग्लादेश से फरीदा
फरीदा के पति को ड्रग्स और जुए की इतनी बुरी लत थी कि उसके लिए अपना घर तक बेच दिया. तंग आकर जब फरीदा ने उसे छोड़ने की धमकी दी तो उसके पति ने सोती हुई फरीदा पर एसिड डाल कर उसे कमरे में बंद कर दिया. उसके दर्द से बिलबिला कर चीखने से पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर फरीदा को बाहर निकाला.
तस्वीर: Ann-Christine Woehrl/Echo Photo Agency
जीवनभर का जख्म
हमले के समय फरीदा की उम्र केवल 24 साल थी. तबसे अब तक वह 17 बार सर्जरी करवा चुकी हैं. फरीदा की मां भी उसके जख्मों की नियमित देखभाल करती हैं. अब फरीदा अपनी बहन के साथ रहती हैं. उनका अपना कोई घर नहीं रहा.
तस्वीर: Ann-Christine Woehrl/Echo Photo Agency
युगांडा से फ्लाविया
साल 2009 में फ्लाविया पर उसके घर के ही ठीक सामने एक अजनबी ने एसिड फेंक दिया. उसे आजतक नहीं पता कि वह हमलावर कौन था और उसने ऐसा क्यों किया. कई साल तक घर की चारदिवारी में छुप कर काटने के बाद उसने तय किया कि उसे अपनी जिंदगी आगे बढ़ानी ही होगी. यहां फ्लाविया एक साल्सा डांस नाइट में जाने के लिए तैयार होती दिख रही हैं.
तस्वीर: Ann-Christine Woehrl/Echo Photo Agency
परिवार का सहारा
फ्लाविया हर हफ्ते कम से कम एक बार डांस के लिए जरूर जाती हैं. बेहतरीन डांस करने के कारण उन्हें सब पसंद भी करते हैं. अपने परिवार और दोस्तों से मिल रही मदद से फ्लाविया अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर ला पाई है.
तस्वीर: Ann-Christine Woehrl/Echo Photo Agency
नई खूबसूरती
यहां जिस कमरे में निहारी मेकअप करती दिख रही है, यहीं उसने खुद को आग लगा ली थी. आज वह अपने उस कदम पर शर्मिंदा है और अब जली हुई महिलाओं को लेकर अपना एक संगठन चलाती है. निहारी के संगठन का नाम है 'ब्यूटी ऑफ दी बर्न्ड विमेन'.
तस्वीर: Ann-Christine Woehrl/Echo Photo Agency
पाकिस्तान से नुसरत
नुसरत पर दो बार एसिड हमला हुआ. पहले पति ने और फिर परिवार के एक और शख्स के उस पर एसिड फेंक दिया. किस्मत से वह बच गईं. एक नए दिन का सामना करने के लिए तैयार होती हुई नुसरत.
तस्वीर: Ann-Christine Woehrl/Echo Photo Agency
उम्मीद से भरी
एसिड के कारण नुसरत के सिर के कुछ हिस्सों से बाल खत्म हो गए. अपने डॉक्टर की सलाह से खुद को ठीक करने के तरीकों और अपनी हेयरस्टाइल पर राय लेती नुसरत.
तस्वीर: Ann-Christine Woehrl/Echo Photo Agency
दोस्तों का साथ
नुसरत अपने जैसी दूसरी औरतों से मिल कर एक दूसरे की तकलीफें साझा करना बहुत जरूरी मानती है. एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन की बैठकों में नियमित रूप से जाकर हर किसी को तसल्ली मिलती है कि दुनिया में वह अकेली नहीं हैं.