अंटार्कटिका में एक झटके में एम्परर पेंग्विन के हजारों बच्चे डूबने से मारे गए. बहुत ही खराब मौसम ने बर्फ की उस मोटी परत को तबाह कर दिया, जिस पर वे बच्चे जीना सीख रहे थे.
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दक्षिणी ध्रुव में अंटार्कटिक के एक सर्द इलाके में पेंग्विन प्रजनन करते हैं और बच्चों को बड़ा करते हैं. इसके लिए समंदर के ऊपर बर्फ की मोटी परत का होना जरूरी है. लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि 2016 से अंटार्कटिका के वेडल सागर से एक बर्फीला इलाका गायब है. यह इलाका एम्परर पेंग्विन का दूसरा बड़ा ब्रीडिंग ग्राउंड था.
2016 से लेकर अब तक उस इलाके में एक भी पेंग्विन नहीं दिखाई पड़ा है. ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे की टीम के मुताबिक 2016 में आई मौसमी त्रासदी में बर्फ की तबाह हो गई. तबाही के दौरान बर्फ पर मौजूद एम्परर पेंग्विनों के हजारों बच्चे भी डूब गए. आपदा के बाद पेंग्विन वहां लौटने के कोई संकेत और सबूत नहीं मिले हैं.
हेली बे कहे जाने वाले उस इलाके में आम तौर पर पेंग्विनों के 15,000 से 24,000 जोड़े रहते थे. ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के कंजर्वेशन बायोलॉजी के प्रमुख फिल ट्राथन कहते हैं, "बीते 60 साल में हमने कभी इतने बड़े स्तर पर प्रजनन में आई नाकामी नहीं देखी है. इतनी बड़ी कॉलोनी का पूरी तरह प्रजनन में नाकाम हो जाना बेहद अस्वाभाविक है."
शोध के लेखक ट्रॉथन के मुताबिक दुनिया भर में मौजूद एम्परर पेंग्विनों की आठ फीसदी आबादी हेली बे पर प्रजनन और बच्चों का लालन पालन करती थी. काले-सफेद रंग के एम्परर पेंग्विन को कान और गले पर पीले रंग से पहचाना जाता है. यह पेंग्विनों की सबसे बड़ी प्रजाति है. एक वयस्क एम्परर पेंग्विन का वजन 40 किलोग्राम तक हो सकता है. इनका औसत जीवनकाल करीब 20 साल का होता है.
दक्षिणी ध्रुव की कड़ाके की सर्दी के दौरान मादा एम्परर पेंग्विन अंडे देती है. इन अंडों को नर सेकते हैं. गर्मियों से ठीक पहले अंडों से बच्चे निकलते हैं. शुरुआत में करीब पांच महीने तक बच्चे बर्फ में ही रहते हैं. इस दौरान माता पिता समंदर में गोता लगा कर बच्चों के लिए भोजन का इंतजाम करते हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक जिस दौरान हेली बे पर बच्चे मौजूद थे, उसी दौरान मौसमी आपदा आई. नवजात और कमजोर बच्चे उसी का शिकार हुए और डूब कर मारे गए. रिसर्च टीम का कहना है कि 2016 के बाद हेली बे में फिर से बर्फ जमनी शुरू हुई. लेकिन वह बर्फ इतनी मजबूत और मोटी नहीं है कि पेंग्विन का झुंड उस पर भरोसा कर सके. ट्राथम कहते हैं, "यह उन बातों की चेतावनी है जो भविष्य में बेहद अहम साबित हो सकती हैं."
(अंटार्कटिका की दुलर्भ तस्वीरें और जानकारी)
अंटार्कटिका की दुलर्भ तस्वीरें और जानकारी
बर्फीली वादियों के बीच गुलाबी जमीन, 100 डिग्री की भाप और 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती हवाएं. अति दुर्गम धरती का दक्षिणी ध्रुव अंटार्कटिका कुछ ऐसा ही है.
तस्वीर: Natalia Messer
नौसेना के जहाज पर
दक्षिण अमेरिकी देश चिली की नौसेना चिलियन अंटार्कटिक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों को लेकर दक्षिणी ध्रुव की ओर बढ़ी. चलिये हम भी उनके साथ इस रोमाचंक यात्रा पर चलते हैं.
तस्वीर: Natalia Messer
शेटलैंड आर्किपेलागो
वैज्ञानिक अभियान दक्षिण शेटलैंड द्वीपों से शुरू हुआ. यह इलाका अंटार्कटिका के 11 द्वीपों से मिलकर बना है. आगे जाना का रास्ता यहीं से निकलता है.
तस्वीर: Natalia Messer
अंटार्कटिका में स्वागत
दिसंबर से फरवरी को गर्मियों का मौसम कहते हैं. लेकिन इस दौरान भी तापमान अधिकतम -20 डिग्री सेल्सियस था. बीच बीच में 160 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा भी चल सकती है.
तस्वीर: Natalia Messer
गुलाबी धरती
एकदम दक्षिणी हिस्से में चिली का वैज्ञानिक अड्डा येल्चो है. यहां बर्फ गुलाबी दिखाई पड़ती है. असल में एक विशेष प्रकार की काई के चलते बर्फ गुलाबी दिखाई पड़ती है. इसे वॉटरमेलन स्नो भी कहते है.
तस्वीर: Natalia Messer
येल्चो बेस
दक्षिणी खाड़ी पर चिली का यह वैज्ञानिक बेस 1962 में बनाया गया. यहां अंटार्कटिक महासागर में हो रहे बदलावों का अध्ययन किया जाता है.
तस्वीर: Natalia Messer
अकल्पनीय विरोधाभास
बाहर हाड़ जमाने वाली ठंड और भीतर उबलती धरती. अंटार्कटिका के कुछ द्वीपों के नीचे आज भी ज्वालामुखी सुलग रहे हैं.
तस्वीर: Natalia Messer
तस्वीर से धोखा न खाएं
जहाज पर वापस लौटने के बाद हमें एक विशाल हिमखंड भी दिखाई पड़ा. तस्वीर में भले ही यह छोटा सा दिखाई पड़े, लेकिन नंगी आंखों से देखने पर ऐसे हिमखंड गगनचुंबी इमारत जैसे दिखते हैं.
तस्वीर: Natalia Messer
बैक्टीरिया की खोज
चिली के वैज्ञानिकों ने वहां से बैक्टीरिया के कुछ नमूने जुटाये हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इतने दुश्वार हालात में जीने वाले यह बैक्टीरिया असरदार एंटीबायोटिक दवाएं बनाने में मददगार होंगे.
तस्वीर: Natalia Messer
कौन सा जीव
भालू या भेड़िये सा दिखता यह जीव असल में अंटार्कटिक फर सील है. आम सील से बहुत अलग दिखने वाली इस फर सील के कान बाहर निकले होते हैं, छोटी नाक और बहुत लंबी मूंछें होती है.
तस्वीर: Natalia Messer
धुआं छोड़ती जमीन
वैज्ञानिक एक ऐसी जगह भी पहुंचे जहां धरती लगातार भाप और धुआं सा छोड़ती है. इस जगह पर गंधक यानि सल्फर की तीखी गंध मौजूद है. सतह का तापमान करीब 100 डिग्री है.
तस्वीर: Natalia Messer
इंसानी दखल के सबूत
एक द्वीप पर नॉर्वे का व्हेलिंग स्टेशन हेक्टर भी दिखा. यहां कई दशकों तक व्हेल मछलियों का तेल निकाला जाता था.
तस्वीर: Natalia Messer
स्टेशन बी
1944 में व्हेलर में एक ब्रिटिश बेस भी बनाया गया. इसे स्टेशन बी नाम दिया गया. लेकिन 1967 और 1969 के ज्वालामुखीय विस्फोट के बाद यह अड्डा छोड़ना पड़ा.
तस्वीर: Natalia Messer
चिली का ओ हिगिंस
एक और चिली का बेस, बेर्नांडो ओ'हिगिंस. यहीं जर्मनी का पोलार रिसर्च सेंटर भी है. यहां लगे एंटीना सैटेलाइट से सिग्नल पाकर इस जगह को दुनिया से जोड़ते हैं.
तस्वीर: Natalia Messer
मेरे इलाके में ये कौन
अभियान के अंत में हमें अंटार्कटिका के असली बाशिंदे पेंग्विन भी दिखाई पड़े. पापुआ प्रजाति के ये पेंग्विन 71 से 75 सेंटीमीटर बड़े और छह किलोग्राम तक भारी होते हैं. रिपोर्ट: नतालिया मेसर/ओएसजे