हिरासत में मौत के लिए हो सकता है पुलिसकर्मियों पर मुकदमा
चारु कार्तिकेय
३० जून २०२०
तमिलनाडु में पुलिस हिरासत में दो व्यक्तियों के मारे जाने के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दायर करने के आधार नजर आ रहे हैं. अदालत ने दोनों मृतकों के पोस्टमोर्टेम के आधार पर यह कहा.
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तमिलनाडु पुलिस पर हिरासत में दो व्यक्तियों के मारे जाने के आरोप के मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है. मामले पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि उन दोनों की हत्या के आरोप में पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दायर करने के आधार नजर आ रहे हैं. अदालत ने दोनों मृतकों के शवों के पोस्टमोर्टेम के आधार पर यह कहा.
58 वर्षीय जयराज और उनके 31 वर्षीय पुत्र बेनिक्स को 19 जून को तमिलनाडु के थूथिकोरिन में पुलिस ने उनकी मोबाइल फोन की दुकान को प्रशासन द्वारा तय समय से 15 मिनट ज्यादा खुला रखने के लिए गिरफ्तार कर लिया था. आरोप है कि पुलिस ने हिरासत में उनका बुरी तरह से उत्पीड़न किया. 22 जून की शाम पुलिस ने बेनिक्स को अस्पताल में भर्ती कराया और उसके लगभग एक घंटे बाद उसकी अस्पताल में ही मौत हो गई.
उसी रात पुलिस ने जयराज को भी अस्पताल में भर्ती कराया और अगली सुबह उसकी भी मौत हो गई. पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि उन दोनों ने पुलिसकर्मियों से लड़ाई की थी और गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए सड़क पर लेट कर खुद को घायल कर लिया था. मृतकों के संबंधियों ने पोस्टमोर्टेम के पहले दोनों के शरीरों को देखा था और उनके अनुसार दोनों के शरीरों पर गहरे घाव थे. संबंधियों के अनुसार, विशेष रूप से दोनों के कूल्हों और मलद्वार के आस पास इतनी गहरी चोट थी कि वहां जरा भी चमड़ा नहीं बचा था. माना जा रहा है कि इस तरह की चोट के निशान यौन हिंसा के सबूत हैं.
मामले को लेकर पुलिस के खिलाफ राज्य में भारी विरोध प्रदर्शन देखते हुए मुख्यमंत्री एडापड़ी पलानीसामी ने सीबीआई द्वारा जांच का आदेश दे दिया है. एक न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा मामले की जांच में अवरोध पैदा करने के लिए एक कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया है और दो पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. हाई कोर्ट ने तीनों के खिलाफ अदालत का निरादर करने के लिए भी कार्रवाई शुरु करने के आदेश दे दिए हैं.
इसी बीच कुछ मीडिया संगठनों ने उसी समय की सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक की है जब जयराज को पुलिस उनकी दुकान के बाहर से अपने साथ ले गई थी. सीसीटीवी में कैद कई दृश्य पुलिस द्वारा एफआईआर में किए गए दावों को झुट्लाते हैं. दुकान खुली रखने के तय समय से बस 2-3 मिनट बाद तक दुकान खुली थी जब दो पुलिसवाले वहां आए और जयराज से बात कर वहां से चले गए.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकल सर्किल ने 'इंडिया करप्शन सर्वे 2019' की रिपोर्ट में बताया है कि भारत में 2018 के मुकाबले 2019 में भ्रष्टाचार में 10 प्रतिशत की कमी आई है. यह सर्वे 20 राज्यों में किया गया है.
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संपत्ति निबंधन और भूमि मामला
भारत में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार संपत्ति निबंधन और भूमि से जुड़े मामलों है. सबसे अधिक 26 प्रतिशत घूस के मामले इस विभाग से जुड़े हैं. जानकारों का मानना है कि भारत के कई राज्यों में चकबंदी नहीं होने और जमीन के कागजात पुरखों के नाम पर होना इसकी बड़ी वजह है. दूसरी वजह तेजी से संपत्ति की कीमतों में इजाफा होना है. बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक में जमीन की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों सामने आते रहते हैं.
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पुलिस
भ्रष्टाचार और घूसखोरी के मामले में पुलिस दूसरे स्थान पर है. 19 प्रतिशत घूस के मामले इस विभाग से जुड़े हैं. कुछ ही दिनों पहले बिहार की राजधानी पटना में घूसखोरी का बड़ा मामला सामने आया था. महात्मा गांधी सेतु पुल पर ओवरलोडेड वाहनों को पार कराने के लिए घूस लेने के आरोप में एक साथ 45 पुलिस वालों को निलंबित किया गया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP
नगर निगम
घूस लेने के मामले में नगर निगम भी पीछे नहीं है. 13 प्रतिशत घूस के मामले इसी विभाग से जुड़े हैं. बिहार की राजधानी पटना के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि वे अपने घर का नक्शा पास कराने के लिए महीनों से कोशिश कर रहे थे लेकिन आज-कल की बात कर महीनों तक उन्हें कार्यालय का चक्कर लगवाया गया. आखिरकार कर्मचारी को पैसे देने के बाद उनका काम हुआ.
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बिजली विभाग
सर्वे शामिल 3 प्रतिशत लोगों ने बिजली विभाग में घूस देने की बात कही है. प्रीपेड मीटर आने के बाद से इस विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आई है लेकिन पैसे लेकर कनेक्शन जोड़ने और काटने का मामला चलता रहता है. कुछ महीने पहले झारखंड झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के सहायक अभियंता को एंटी करप्शन ब्यूरो ने 20 हजार रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था.
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ट्रांसपोर्ट ऑफिस
सर्वे में शामिल 13 प्रतिशत लोगों ने ट्रांसपोर्ट ऑफिस में घूस देने की बात कही है. जानकार बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारी हाइवे पर वाहनों को पास देने से लेकर कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बनावने तक के काम के लिए घूस लेते हैं. कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में प्रदूषण के नाम पर उगाही करने वाला वीडियो वायरल हुआ था, जिसने ट्रांसपोर्ट विभाग में खलबली मचा दी थी.
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टैक्स डिपार्टमेंट
सर्वे में शामिल 8 प्रतिशत लोगों ने टैक्स विभाग में घूस देने के बात कही. टैक्स विभाग में घूसखोरी की बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्र की मोदी सरकार भ्रष्टाचार के आरोपित टैक्स अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जबरन रिटायर कर रही है.
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जल विभाग
5 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्होंने जल विभाग में घूस दी है. वहीं 13 प्रतिशत लोगों ने अन्य विभागों में घूस देने की बात कही है.
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सर्वेक्षण में शामिल लोग
'इंडिया करप्शन सर्वे 2019' में 20 राज्यों के 248 जिलों के 1,90,000 लोग शामिल हुए. सर्वे के अनुसार 51 प्रतिशत भारतीयों ने पिछले 12 महीनों में एक बार घूस जरूर दी है.
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इन राज्यों में ज्यादा भ्रष्टाचार
भारत के राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड और पंजाब में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है.
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इन राज्यों में कम भ्रष्टाचार
दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, केरल, गोवा और ओडिशा में कम भ्रष्टाचार है. भारत भर में 2018 के मुकाबले 2019 में भ्रष्टाचार के कुल स्तर में 10 प्रतिशत की कमी आई है.