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ताज उछाले जाएंगे, जब तख्त गिराए जाएंगे

१२ फ़रवरी २०११

18 दिन तक होस्नी मुबारक का गुणगान करने वाले मिस्र के सरकारी अखबार का अब कहना है कि, ''लोगों ने एक युग का अंत कर दिया, युवाओं ने मुबारक को जाने पर मजबूर कर दिया.'' वहीं, चीनी मीडिया ने ज्यादा जानकारी छापी ही नहीं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

शनिवार को दुनिया भर के अखबार मिस्र की क्रांति और जनता की जीत के खबरों से सराबोर रहे. खुद मुबारक का समर्थन कर रहे मिस्र के अल अहरम अखबार को अपने सुर बदलने पड़े. अखबार ने लिखा, ''18 दिन के गुस्से ने मिस्रवासियों की जिंदगी बदल दी.'' एक अन्य सरकारी अखबार अल गोमहोउरिया ने नए नेताओं को नसीहत देते हुए लिखा है, ''भविष्य के राष्ट्रपति को पारदर्शी होना होगा. सत्ता हासिल करने बाद उनकी संपत्ति कितनी बढ़ी, यह जानना हमारा अधिकार है.'' रिपोर्टों के मुताबिक मुबारक और उनके रिश्तेदारों ने बीते तीन दशकों में अकूत संपत्ति बनाई.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

मिस्र सरकार के टेलीविजन चैनल ने भी क्रांति के फल का स्वागत दिल खोलकर किया. चैनल ने कहा, ''महान क्रांति के लिए लोगों को बधाईयां. हम सेना को भी सलाम करते हैं, जिसने क्रांति की राह में कोई दखल नहीं दिया.''

ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी और भारत के अखबारों में मिस्र की क्रांति का स्वागत किया गया है. ब्रिटेन के दिग्गज अखबार द गार्जियन ने लिखा है, ''30 साल की तानाशाही को 30 सेकेंड में खत्म हो गई.'' द टाइम्स ने बर्लिन की दीवार गिरने की घटना का जिक्र करते हुए लिखा है, ''खुशी, उम्मीदें, आजादी मिस्र में हिलोरे ले रही हैं लेकिन साथ ही कई चुनौतियां का खतरा भी बढ़ गया है.'' फाइनेंशियल टाइम्स ने इसे ''नील नदी की क्रांति'' कहा है.

अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जरनल ने अपने संपादकीय में कहा, ''राजनीतिक आजादी के लिए मिस्रवासियों का आंदोलन सिर्फ एक शुरुआत है. आगे कई नाटकीय घटनाक्रम हो सकते हैं.'' लॉस एजेंलिस टाइम्स ने काहिरा के ताहिर चौक की घटना को 'विस्मयकारी' बताया है.

लेकिन पश्चिमी देशों को अब दूसरे किस्म का डर सताने लगा है. अरब देशों में मिस्र और तुर्की ही अब तक पश्चिम का साथ देते आए हैं. लेकिन अब पश्चिमी देशों को आशंका है कि कहीं मिस्र की नई सत्ता उन्हें भाव न दे. अमेरिका और ब्रिटेन के कई अखबारों ने इस डर का जिक्र भी किया है.

मिस्र के मामले में चीनी मीडिया की रिपोर्टिंग हैरान करने वाली रही. सरकार की सख्ती की वजह से चीन के सभी बड़े अखबारों ने मिस्र में सिर्फ सत्ता परिवर्तन की खबर दी. इस क्रांति की विस्तार से जानकारी नहीं दी गई. अंग्रेजी अखबार चाइना डेली ने लिखा है, ''सामाजिक संतुलन को हमेशा तरजीह दी जानी चाहिए. उम्मीद है कि मिस्र की सेना, सरकार और जनता सामाजिक संतुलन को बरकरार रखने और सामान्य स्थिति को बहाल करने के लिए पूरे प्रयास करेगी.'' 18 दिन तक चली क्रांति के दौरान भी चीन के मीडिया ने मिस्र की बहुत नरम अंदाज में खबरें की.

विश्लेषकों के मुताबिक चीन समेत कुछ अन्य देशों के नेताओं को यह डर सताता रहता है कि अन्य देशों में हुई क्रांति की खबरें कहीं उनके भी तख्त और ताज न उछाल दें.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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