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तालाबंदी के बीच क्या सब कुछ व्यवस्थित ढंग से चल रहा है?

चारु कार्तिकेय
२५ मार्च २०२०

पूरे देश में तालाबंदी की घोषणा के बाद अब भारत कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक चरण में पहुंच गया है. लेकिन इसके साथ ही ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं जो दिखाती हैं कि कई लोगों के लिए हालात बहुत कठिन बने हुए हैं.

Indien Kalkutta Coronavirus
तस्वीर: DW/P. Tiwari

पूरे देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 519 बताई जा रही है. 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 39 लोग ठीक हो चुके हैं. ये भी बताया जा रहा है कि 1,80,000 से भी ज्यादा लोग निगरानी में हैं. प्रधानमंत्री की मंगलवार रात 8 बजे की घोषणा के बाद देश में कई जगहों से अफरा-तफरी की खबरें आईं. उनके भाषण में जरूरी सामान की आपूर्ति कैसे होगी इस बारे में विस्तृत विवरण नहीं था, इसलिए लोग तुरंत ही जरूरी सामान खरीदने दुकानों पर पहुंच गए, जिस से लम्बी कतारें लग गईं.

बाद में प्रधानमंत्री ने खुद ट्वीट कर जनता को आश्वासन दिया कि आवश्यक चीजों की कमी नहीं होने दी जाएगी और इस वजह से घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी भाषण के बाद विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये, जिनमें साफ लिखा हुआ था कि आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, परिवहन और बिक्री पर रोक नहीं लगाई गई है.

होम डिलीवरी में दिक्कत

कई लोगों ने पहले ही परचून का सामान खरीदने के लिए बाहर जाने की जगह इंटरनेट के जरिये घर पर मंगाने के निर्देश दे दिए थे. लेकिन अब खबर आ रही है कि ई-कॉमर्स कंपनीयों को सामान घर तक पहुंचाने में काफी दिक्कत आ रही है. ग्रोफर्स के संस्थापक सौरभ कुमार ने ट्वीट किया कि पुलिस और स्थानीय अधिकारी ग्रोफर्स के गोदामों को जबरदस्ती बंद करवा दे रहे हैं.

बिगबास्केट ने भी कुछ इसी तरह की शिकायत की.

फ्लिपकार्ट से भी लोग रोजमर्रा का सामान घर पर मंगवा रहे थे लेकिन खबर है कि फ्लिपकार्ट ने अपनी होम डिलीवरी सेवायें अस्थायी रूप से बंद ही कर दी हैं. 

डॉक्टरों का निष्कासन

रविवार 22 मार्च को प्रधानमंत्री के कहने पर पूरे देश में लोगों ने महामारी से लड़ने में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका की सराहना करते हुए उनके लिए तालियां बजाई थीं. लेकिन अब जगह-जगह से खबर आ रही है कि समाज में उन्हीं डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ बहिष्कार जैसा बर्ताव किया जा रहा है. कई शहरों से खबर आ रही है कि डॉक्टरों को कोरोना वायरस का संवाहक समझ कर मकान मालिक उन्हें मकानों से निकाल रहे हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने इस बारे में ट्वीट कर लोगों को ऐसा ना करने के लिए कहा है.

दिल्ली सरकार ने अधिसूचना जारी करके कहा है कि ऐसे मकान मालिकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे.

दंगा पीड़ितों के लिए दोहरी मुसीबत

उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में दंगा पीड़ितों के सामने एक नई मुसीबत आ गई है. इलाके की ईदगाह में जिस राहत शिविर में दंगा पीड़ितों ने आश्रय लिया हुआ था उस शिविर को अब बंद किया जा रहा है. वहां रह रहे लोगों के घर दंगों में जला दिए गए थे इसलिए वे घर तो वापस जा नहीं सकते. ऐसे में वे कहां जाएंगे ये एक बड़ा सवाल बना हुआ है.

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