महाराष्ट्र में 15 दिनों के लिए आवश्यक सेवाओं के अलावा सभी तरह की आवाजाही बंद कर दी गई है. राज्य सरकार इसे तालाबंदी नहीं कह रही है, लेकिन जानकारों का मानना है कि इसका आर्थिक असर लगभग तालाबंदी जैसा ही होगा.
विज्ञापन
महाराष्ट्र में बुधवार 14 अप्रैल शाम आठ बजे से अगले 15 दिनों तक के लिए पूरे राज्य में धारा 144 लागू कर दी जाएगी, जिसका मतलब है बिना प्रशासन की अनुमति के कहीं पर भी चार से ज्यादा लोग इकठ्ठा नहीं हो सकते हैं. आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर हर तरह की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है. यह प्रतिबंध पूरे राज्य में सुबह सात बजे से शाम आठ बजे तक लागू रहेंगे. उसके बाद से सुबह तक कर्फ्यू लगा रहेगा.
आवश्यक सेवाओं में अस्पताल, बैंक, मीडिया, ई-कॉमर्स और पेट्रोल/डीजल/सीएनजी स्टेशनों को रखा गया है. किराना की दुकानें, फलों, सब्जियों और दूध की दुकानें, बेकरी और हर तरह के खाने पीने से जुड़ी दुकानें खुली रहेंगी. रेस्तरां बंद रहेंगे और उन्हें सिर्फ खाने की डिलीवरी करने की अनुमति मिलेगी. ई-कॉमर्स के डिलीवरी वालों को भी सिर्फ आवश्यक वस्तुएं घरों तक पहुंचाने की अनुमति मिलेगी, वो भी ई-पास ले कर.
शॉपिंग केंद्र, मॉल, फिल्म शूट, सिनेमा घर, समुद्र तट, पार्क, धार्मिक स्थल आदि सभी स्थान बंद रहेंगे. शादियों में सिर्फ 25 और अंतिम संस्कार में 20 लोगों को उपस्थित रहने की अनुमति मिलेगी. बस और लोकल ट्रेन जैसी सार्वजनिक यातायात सेवाएं चलती रहेंगी, लेकिन यात्रा की अनुमति सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को मिलेगी.
घरों में काम करने वालों, खाना पकाने वालों, ड्राइवरों इत्यादि को आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं किया गया है, इसलिए उन्हें आने जाने और काम करने की अनुमति मिलेगी या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है. ऐसे उद्योग जिन्हें काम बंद कर दोबारा शुरू करने में ज्यादा समय लगता है उन्हें 50 प्रतिशत क्षमता पर काम जारी रखने की अनुमति दी गई है.
उनसे उम्मीद की जा रही है कि वो श्रमिकों को परिसर में ही रखेंगे या एक ऐसी अलग जगह रखेंगे जहां से वे अलग से एक 'बबल' जैसे इंतजाम में सिर्फ काम के लिए आना-जाना कर सकें. प्रतिबंधों से होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने 5,476 करोड़ रुपयों के एक पैकेज की भी घोषणा की है. इसके तहत खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को एक महीने के लिए प्रति व्यक्ति तीन किलो आटा और दो किलो चावल मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा.
'शिव भोजन थाली' योजना के तहत दो लाख लोगों को मुफ्त खाना देने की कोशिश की जाएगी. लाइसेंस-प्राप्त पांच लाख रेहड़ी-पटरी वालों और 12 लाख ऑटो रिक्शा वालों को 1,500 रुपए दिए जाएंगे. 12 लाख आदिवासी परिवारों को 2,000 रुपए दिए जाएंगे. निर्माण क्षेत्र के 12 लाख श्रमिकों को भी 1,500 रुपए दिए जाएंगे. जानकारों का कहना है कि इन प्रतिबंधों का आर्थिक असर लगभग तालाबंदी के जैसा ही होगा.
कोरोना लहर के बीच कुंभ में शाही स्नान
देश में कोरोना वायरस की खतरनाक लहर के बीच हरिद्वार में लगे कुंभ में लाखों लोग दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इन तस्वीरों को देख कर आपको विश्वास नहीं होगा कि देश में महामारी ने फिर से पांव पसार लिए हैं.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
ना मास्क, ना सामाजिक दूरी
हरिद्वार में महाकुंभ एक अप्रैल से चल रहा है और इसमें शामिल होने के लिए पूरे देश से लाखों लोग लगातार जा रहे हैं. 12 अप्रैल को एक शाही स्नान की तिथि थी और इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए मेले में लाखों लोगों की भीड़ देखी गई.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
कर्फ्यू भी, कुंभ भी
यह जमावड़ा ऐसे समय पर हो रहा है जब देश में एक दिन में संक्रमण के इतने नए मामले सामने आ रहे हैं, जितने महामारी की शुरुआत से आज तक नहीं आए. कई राज्यों में रात का कर्फ्यू और सप्ताहांत की तालाबंदी लागू है और कई राज्य एक बार फिर पूरी तालाबंदी लगाने का विचार कर रहे हैं. हरिद्वार और उत्तराखंड के दूसरे इलाकों में भी पहले से कहीं ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
प्रशासन लाचार
देश के दूसरे इलाकों में पुलिस कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों का चालान कर रही है और कई तरह के जुर्माने लगा रही है. लेकिन हरिद्वार में कुंभ के लिए उमड़ी भीड़ को प्रशासन बस लाचार हो कर देख रहा है. मेले में आए कुछ संतों समेत कई लोगों को संक्रमण हो चुका है, लेकिन आयोजन जस का तस चल रहा है.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
नियम बेकार
कुंभ शुरू होने से पहले प्रशासन ने कहा था कि मेले में शामिल होने के लिए ई-पास उन्हीं को मिलेंगे जो आरटी-पीसीआर टेस्ट में नेगेटिव पाए जाने का सर्टिफिकेट दिखाएंगे. लेकिन मेले में ही लोगों के संक्रमित पाए जाने के बाद यह इंतजाम बेकार साबित हो गए हैं.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
दी गई थी चेतावनी
मेला शुरू होने से पहले कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रशासन से इस तरह के जमावड़ों की अनुमति ना देने की अपील की थी. उनका कहना था कि इससे महामारी तेजी से फैलेगी, लेकिन आयोजन के समर्थकों ने इन चिंताओं को नकार दिया था.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
चिंताजनक स्थिति
दूसरे शहरों में लगे रात के कर्फ्यू और सप्ताहांत की तालाबंदी की तस्वीरों को कुंभ की तस्वीरों से मिला कर देखें तो यह कहा मुश्किल हो जाएगा कि यह सब एक साथ एक ही देश के अंदर चल रहा है. वो भी ऐसा देश जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में दूसरे पायदान पर खड़ा है. इस समय पूरी दुनिया में संक्रमण के हर छह मामलों पर एक मामला भारत में है.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
अभी बढ़ेगा संकट
कुंभ मेला अभी 18 दिन और चलेगा. 12 अप्रैल जैसे दो और शाही स्नान अभी आने बाकी हैं, जिनमें से एक 14 अप्रैल को होना है और दूसरा 27 अप्रैल को. दूसरे तरफ हरिद्वार के साथ साथ पूरे देश में संक्रमण पहले से भी तेज गति से फैल रहा है.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
क्या लग पाएगा अंकुश?
कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आस्था के नाम पर लोगों की जान के साथ ऐसी लापरवाही ठीक है?