तालिबान का पाक जेल पर हमला, 380 कैदी भागे
१५ अप्रैल २०१२![](https://static.dw.com/image/15884066_800.webp)
प्रांतीय सूचना मंत्री मियां इफ्तखार हुसैन ने बताया कि उग्रवादियों ने पहले जेल के आस पास रास्ता रोका और फिर मुख्य दरवाजे से अंदर घुस गए. यह हमला तीन घंटे चला. स्थानीय पुलिस ने कहा है कि हमलावरों की संख्या डेढ़ सौ से दो सौ के बीच थी. हुसैन ने बताया, "शुरुआत में चौकीदारों ने हमले का जवाब देने की कोशिश की लेकिन बाद में छोड़ दिया. यह पहला ऐसा हमला था और खतरनाक भी. हमने जांच के आदेश दे दिए हैं कि क्यों जेल के चौकीदारों को पास के पुलिस थानों से मदद नहीं मिली और अगर रास्ते ब्लॉक कर दिए गए थे तो उन्हें हटाया क्यों नहीं गया."
खतरनाक अपराधी भागे
पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी कि हमला रॉकेटों से चलने वाले ग्रेनेड और बंदूकों से किया गया. वहीं एक अन्य अधिकारी ने बताया कि बन्नू से भाग निकले कैदियों में कई उग्रवादी भी शामिल हैं. अदनान रशीद नाम का खतरनाक अपराधी भी जेल से भाग गया है. "वह मुशर्रफ पर हमले के षडयंत्र का मास्टरमाइंड था. ये लोग उसी के थे और अपने साथ और 383 लोग ले गए." वहीं अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मीर साहिब जान ने बताया, "बन्नू की केंद्रीय जेल में रविवार सुबह कई दर्जन उग्रवादियों ने हमला किया और इस दौरान 300 से ज्यादा कैदी भाग गए. काफी गोलीबारी हुई. रॉकेट से चलाए जाने वाले ग्रेनेड्स का भी इस्तेमाल किया गया था. बन्नू में कुल 944 कैदी थे जिसमें से 384 भाग गए हैं. उग्रवादियों ने जेल के छह ब्लॉक्स पर हमला किया."
तहरीक ए तालिबान का दावा
पाकिस्तान के अल कायदा से जुड़े तालिबान ने दावा किया है कि उसके लड़ाकों ने यह हमला किया. रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने तालिबान प्रवक्ता के हवाले से लिखा है, "हमने बन्नू से अपने कई साथियों को इस हमले से छुड़ा लिया है. हमारे अधिकतर साथी अपने इलाकों में पहुंच गए हैं और बाकी पहुंच रहे हैं." इस दावे की पुष्टि नहीं की जा सकी है. बन्नू पाकिस्तान का अफगानिस्तान सीमा से लगा इलाका है."
अगर तालिबान कैदियों को इस तरह भगाने का जिम्मेदार साबित होता है तो पाकिस्तानी सेना के लिए यह बड़ा झटका है, जो दावा करती रही है कि सेना की कार्रवाई से तालिबान कमजोर हुआ है. अफगानिस्तान में तालिबान ने कई बार जेल पर इस तरह हमला कर कैदियों को भगाया है. लेकिन पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएं नहीं हुई हैं.
पाकिस्तान में तहरीक ए तालिबान सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं. हाल के दिनों में आत्मघाती हमलों की संख्या कम हुई है. लेकिन यह साफ नहीं है कि यह सेना की सफलता है या तालिबान लड़ाकों की नीति में बदलाव.
एएम/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)