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तालिबान की सरकार का एलान, मुल्ला हसन अखुंद अंतरिम पीएम

७ सितम्बर २०२१

अफगानिस्तान में तालिबान ने देश की कार्यवाहक सरकार का ऐलान कर दिया है. नई कैबिनेट में उन सभी चेहरों को जगह दी गई है जिन्होंने बीते 20 साल में अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाली फौजों से जंग में अहम भूमिका अदा की.

अफगानिस्तान के नए अंतरिम प्रधानमंत्री
अखुंद इससे पहले भी तालिबान शासन में कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैंतस्वीर: SAEED KHAN/AFP

तालिबान की नई सरकार में मुल्ला हसन अखुंद को अंतरिम प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने ही तालिबान के पिछले शासन के अंतिम सालों में सरकार का नेतृत्व किया था. दो लोगों को अंतरिम उपप्रधानमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. इनमें एक नाम मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का है, जिन्होंने अमेरिका के साथ हुई बातचीत का नेतृत्व किया और अफगानिस्तान से अमेरिका की पूरी तरह विदाई से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए.

तालिबान के प्रवक्ता ने बताया कि आमिर खान मुत्तकी को अंतरिम विदेश मंत्री बनाया गया है, जबकि भारतीय सैन्य अकादमी से पढ़ चुके अब्बास स्टानिकजई को विदेश उप मंत्री नियुक्त किया गया है. कुख्यात हक्कानी नेटवर्क का नेतृत्व करने वाले सिराजुद्दीन हक्कानी को अंतरिम गृह मंत्री बनाया गया है जबकि मुल्ला याकूब को अंतरिम रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी मिली है. मुल्ला याकूब के पिता मुल्ला मोहम्मद उमर ने तालिबान की स्थापना की थी.

अभी तक ऐसे किसी व्यक्ति को नई सरकार में शामिल किए जाने के संकेत नहीं मिले हैं जिसका तालिबान से संबंध ना हो. अंतरराष्ट्रीय समुदाय नई सरकार में तालिबान से अलग दूसरे समुदायों को भी शामिल करने की मांग करता रहा है.

अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद कई तरह की अनिश्चितताएं हैंतस्वीर: Getty Images/AFP/J. Tanveer

तालिबान का भरोसा

लगभग दो दशकों तक अफगानिस्तान में विदेशी सेनाओं के खिलाफ लड़ने वाले तालिबान चरमपंथियों ने पिछले महीने राजधानी काबुल और पूरे देश पर नियंत्रण कर लिया. राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए और बरसों तक अमेरिकी सेनाओं से ट्रेनिंग हासिल करने वाली अफगान सेना ने भी तालिबान के सामने ज्यादा प्रतिरोध नहीं किया.

अफगानिस्तान पर कट्टरपंथी सोच रखने वाले तालिबान का नियंत्रण होने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय वहां मानवाधिकारों के साथ साथ सुरक्षा स्थिति को लेकर चिंतित है. कुछ लोग अफगानिस्तान में मची अफरा तफरी के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐसी आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्तान में हमेशा नहीं रह सकती थीं.

तालिबान बार बार अफगान जनता और विदेशी सरकारों को भरोसा दिला रहा है कि अब वे वैसी बर्बरता नहीं दिखाएं जैसी दो दशक पहले उनके राज में दिखती थी. लेकिन कई पर्यवेक्षक इस बात को भरोसा करने को तैयार नहीं हैं कि तालिबान बदल गए हैं. 

एके/एमजे (एपी, रॉयटर्स)

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