2008 में अमेरिकी सैनिकों की हत्या के लिए हाजी नजीबुल्लाह पर आरोप ऐसे समय में लगाया गया है जब अफगानिस्तान पर हमले के बीस साल हो रहे हैं.
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अमेरिकी न्याय विभाग की तरफ से 7 अक्टूबर को जारी एक बयान में कहा गया है, "हाजी नजीबुल्लाह जो पहले से ही 2008 में एक अमेरिकी पत्रकार के अपहरण का आरोपी है, उसपर अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के सदस्यों पर सदस्यों पर हमलों के लिए दोषी ठहराया जा रहा है.
हमले में तीन अमेरिकी सैनिक और उनके अफगान अनुवादक की मौत हो गई थी. इस हमले में अमेरिकी हेलीकॉप्टर भी गिराया था.
अफगानिस्तान पर अमेरिका के नेतृत्व वाले हमले की 20वीं बरसी के मौके पर हाजी नजीबुल्लाह के अमेरिकियों की हत्या में शामिल होने की खबर आई है. अमेरिका ने 7 अक्टूबर 2001 को अफगानिस्तान पर हमला किया था.
आरोप 2007 और 2009 के बीच अमेरिकी सैनिकों पर हुए हमलों से संबंधित हैं. हाजी नजीबुल्लाह 26 जून 2008 को हुई एक घटना में आरोपी हैं, जब एक अमेरिकी सैन्य काफिले पर हमला किया गया था. हमले में तीन सैनिक मारे गए थे.
एक और घटना अक्टूबर 2008 में हुई. हाजी नजीबुल्लाह के नेतृत्व में उनके लड़ाकों ने कथित तौर पर एक रॉकेट लॉन्चर से एक अमेरिकी सैन्य हेलीकॉप्टर को मार गिराया था. तालिबान ने उस समय दावा किया था कि हेलीकॉप्टर में सवार सभी लोग मारे गए थे. हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि हमले में कोई भी नहीं मारा गया.
पूर्व तालिबान कमांडर पर नवंबर 2008 में एक अमेरिकी पत्रकार और उसके साथ काम करने वाले दो अफगान नागरिकों के अपहरण में शामिल होने का भी आरोप लगाया गया है.
तीन बंधकों को सीमा पार कर पाकिस्तान ले जाया गया, जहां उन्होंने अगले सात महीने कैद में बिताए. अमेरिकी न्याय विभाग के एक बयान में आरोप लगाया गया है कि अपहरणकर्ताओं ने पत्रकार की पत्नी को फोन किया और उसे बंदूक की नोक पर अपनी जान की भीख मांगने के लिए मजबूर किया.
सरकारी वकील ऑड्रे स्ट्रॉस ने एक बयान में कहा, "अफगानिस्तान में संघर्ष के सबसे खतरनाक दौर में से एक के दौरान हाजी नजीबुल्लाह ने तालिबान आतंकियों के एक खतरनाक समूह का नेतृत्व किया, जो अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में सक्रिय हैं."
हाजी नजीबुल्लाह को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और यूक्रेन से अमेरिका भेज दिया गया था, जहां वह इस समय जेल में हैं.
अमेरिका का सबसे लंबा युद्ध
अमेरिका ने सबसे ज्यादा समय तक किसी विदेशी धरती पर युद्ध लड़ा है तो वह है अफगानिस्तान. अमेरिका 9/11 के आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान पर धावा बोला था. तस्वीरों में देखिए अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध.
तस्वीर: U.S. Central Command/dpa/picture alliance
अफगानिस्तान युद्ध
अफगानिस्तान में अमेरिका का अभियान साल 2001 से शुरू होकर 2021 में खत्म हुआ. यह करीब 20 साल तक चला. अफगानिस्तान में 2400 के करीब अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई जबकि 20,660 अमेरिकी सैनिक युद्ध के दौरान घायल हुए. तालिबान का कहना है कि उसकी जंग में जीत हुई है.
तस्वीर: Isaiah Campbell/US MARINE CORPS/AFP
वियतनाम युद्ध
वियतनाम में 1964 तक सीआईए और दूसरे स्रोतों से मिली जानकारी को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम में लुकी छिपी जंग शुरू कर दी. जमीन पर 1965 में युद्ध तेज हुआ और 1969 में चरम पर पहुंचा. उस समय तक करीब साढ़े पांच लाख सैनिक इसमें शामिल हो चुके थे. 10 साल की लड़ाई और 58,000 अमेरिकी सैनिकों के मरने के बाद 30 अप्रैल 1975 को साइगोन (हो-ची मिन्ह सिटी) पर वियतनाम का कब्जा हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/UPI
इराक युद्ध
इराक में अमेरिकी फौज साल 2003 से लेकर 2012 तक जंग लड़ी. अमेरिकी हमले के बाद इराक को सद्दाम हुसैन से छुटकारा तो मिला लेकिन लाखों लोग युद्ध के बाद मारे गए. अमेरिका का आरोप था कि इराक के पास सामूहिक विनाश के हथियार हैं. हालांकि इसको साबित नहीं कर पाया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S.Zaklin
द्वितीय विश्व युद्ध
अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में 8 सितंबर 1941 को प्रवेश किया और 1945 तक युद्ध में रहा. करीब तीन साल 8 महीने अमेरिका ने जंग में भाग लिया और उस दौरान हजारों अमेरिकी सैनिक मारे गए.
तस्वीर: picture alliance/Usis-Dite/Lee
कोरियाई युद्ध
अमेरिका ने कोरियाई युद्ध 1950 से लेकर 1953 तक लड़ा. यह युद्ध 3 साल एक महीने तक चला था.
तस्वीर: picture-alliance/CPA Media/Pictures From History
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संकट में अफगानिस्तान
अफगानिस्तान इस समय मानवीय और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. अगस्त में तालिबान द्वारा देश पर नियंत्रण करने के बाद से विदेशी फंडिंग बंद हो गई है और अफगानिस्तान की विदेशी संपत्ति को फ्रीज कर दिया गया है.
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नई तालिबान सरकार संसाधनों को मुक्त करने के प्रयास में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संबंध बनाने की कोशिश कर रही है. एक पूर्व अफगान राजनयिक उमर समद ने डीडब्ल्यू को बताया, "नई सरकार के लिए राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए कई विकल्प नहीं हैं." उन्होंने कहा, "हमारे पास सीमित विकल्प हैं. या तो हम अफगानिस्तान को अलग-थलग कर दें, या हम तालिबान को अलग-थलग कर दें और हाल के वर्षों के बाद हमने 3.5 करोड़ लोगों को अलग-थलग कर दिया है. या हम इस तरह से मिले कि यह उचित संदेश दे लेकिन उत्पीड़न को बढ़ावा नहीं दे."
उमर समद ने कहा, "हमें तालिबान को कुछ शर्तों के साथ पहचानना चाहिए और उम्मीद करनी चाहिए कि वे समय के साथ बदल जाएंगे और यह भी उम्मीद है कि वे आतंकवाद विरोधी सहित कई क्षेत्रों में एक अच्छे भागीदार होंगे."
रिपोर्ट- कीरेन बर्के
तालिबान राज में कुछ ऐसी है आम जिंदगी
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की स्थापना के बाद लोगों को कट्टरपंथी मिलिशिया के तहत जीवन में वापस लौटना पड़ा है. लोगों के लिए बहुत कुछ बदल गया है, खासकर महिलाओं के लिए.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
बुर्के में जिंदगी
अभी तक महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कई महिलाएं कार्रवाई के डर से ऐसा करती हैं. इस तस्वीर में दो महिलाएं अपने बच्चों के साथ बाजार में पुराने कपड़े खरीद रही हैं. देश छोड़कर भागे हजारों लोग अपने पुराने कपड़े पीछे छोड़ गए हैं, जो अब ऐसे बाजारों में बिक रहे हैं.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture alliance
गलियों और बाजारों में तालिबानी लड़ाके
पुराने शहर के बाजारों में चहल-पहल है, लेकिन सड़कों पर तालिबान लड़ाकों का भी दबदबा है. वे गलियों में सब कुछ नियंत्रित करते हैं और उनके विचारों या नियमों के खिलाफ कुछ होने पर तुरंत दखल देते हैं.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
दाढ़ी बनाने पर रोक
तालिबान ने नाइयों को दाढ़ी काटने और शेव करने से मना किया है. यह आदेश अभी हाल ही में हेलमंद प्रांत में लागू किया गया है. यह अभी साफ नहीं है कि इसे देश भर में लागू किया जाएगा या नहीं. 1996 से 2001 तक पिछले तालिबान शासन के दौरान पुरुषों की दाढ़ी काटने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.
तस्वीर: APTN
महिलाओं के चेहरे मिटाए जा रहे
ब्यूटी पार्लर के बाहर तस्वीरें हों या विज्ञापन तालिबान महिलाओं की ऐसी तस्वीरों को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करता है. ऐसी तस्वीरें हटा दी गईं या फिर उन्हें छुपा दिया गया.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
लड़कियों को अपनी शिक्षा का डर
तालिबान ने लड़कियों को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने की इजाजत दी है, लेकिन लड़कियों ने अभी तक माध्यमिक विद्यालयों में जाना शुरू नहीं किया है. यूनिवर्सिटी में लड़के और लड़कियों को अलग-अलग बैठने को कहा गया है.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture alliance
क्रिकेट का खेल
क्रिकेट खेलने के लिए काबुल के चमन-ए-होजरी पार्क में युवकों का एक समूह इकट्ठा हुआ है. जबकि महिलाओं को अब कोई खेल खेलने की इजाजत नहीं है. क्रिकेट अफगानिस्तान में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
बढ़ती बेरोजगारी
अफगानिस्तान गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. विदेशी सहायता रुकने से वित्त संकट खड़ा हो गया है. इस तस्वीर में ये दिहाड़ी मजदूर बेकार बैठे हैं.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
नमाज भी जरूरी
जुमे की नमाज के लिए लोग इकट्ठा हुए हैं. मुसलमानों के लिए शुक्रवार का दिन अहम होता है और जुमे की नमाज का भी खास महत्व होता है. इस तस्वीर में एक लड़की भी दिख रही है जो जूते पॉलिश कर रोजी-रोटी कमाती है.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
आम नागरिक परेशान, तालिबान खुश
अफगान नागरिक एक अजीब संघर्ष में जिंदगी बिता रहे हैं, लेकिन तालिबान अक्सर इसका आनंद लेते दिखते हैं. इस तस्वीर में तालिबान के लड़ाके स्पीडबोट की सवारी का मजा ले रहे हैं.