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तालिबान ने दुनिया भर के मुसलमानों से मांगा चंदा

१९ अप्रैल २०१२

अफगानिस्तान के तालिबान ने मुस्लिमों से विद्रोह के लिए दान देने की अपील की है. इस तरह सार्वजनिक रूप से तालिबान ने दान पहले भी कभी मांगा हो इसमें शक है. तालिबान के जानकार मुहिम को उनकी मीडिया वार का हिस्सा बता रहे हैं.

तस्वीर: AP

टेलीफोन हॉटलाइन का पूरा नंबर, ईमेल का पता और दूसरी सभी जरूरी जानकारियों के साथ दान की अपील तालिबान ने वेबसाइट पर लगाई है. दुनिया भर के मुस्लिम समुदाय से विद्रोहियों की "जिहाद" के लिए मदद मांगी गई है. तालिबान ने यह "जिहाद" गैर मुस्लिम "आक्रमणकारियों" के खिलाफ बताई है. मुस्लिम धर्म में जिहाद का मतलब धर्मयुद्ध है जो धर्म की रक्षा के लिए लड़ा जाता है.

तालिबान ने वेबसाइट पर जारी अपील में लिखा है, "इस्लामी शरीया के मुताबिक सभी मुस्लिम जो चाहे कहीं भी रह रहे हों उनका कर्तव्य है कि इस जिहाद में पैसे और मन से शरीक हों." इसके साथ ही लिखा गया है, "तालिबान अभी भी अपने दम पर जायज जिहाद छेड़े हुए है उसे इस्लाम से प्यार करने वाले बस कुछ आम लोगों की मदद मिल रही है और उसे मुस्लिम भाइयों से अपने सैन्य और असैन्य खर्चों के लिए पैसों की सख्त जरूरत है."

तालिबान पर नजर रखने वाले सुरक्षा विश्लेषक अब्दुल वहीद वाफा इसे तालिबान की मीडिया वार का हिस्सा मानते हैं. उनके मुताबिक कोशिश यह जताने की है कि उनकी गतिविधियों को आम जनता का समर्थन है. काबुल यूनिवर्सिटी में अफगानिस्तान सेंटर के निदेशक वाफा ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "मेरे ख्याल से यह तालिबान के दुष्प्रचार की जंग का हिस्सा है. वो दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि जिहाद को लोगों का समर्थन है और उनके पास पैसा भी लोग ही भेज रहे हैं."

पश्चिमी देशों और अफगान खुफिया एजेंसियों के मुताबिक तालिबान को मुख्य रूप से क्षेत्रीय मुस्लिम समुदाय और खाड़ी के देशों में मुस्लिम नेटवर्क से पैसा मिलता है. इसके अलावा अफीम की खेती से अरबों डॉलर की होने वाली कमाई भी उनकी बड़ी मददगार है. दुनिया भर का 90 फीसदी अफीम केवल अफगानिस्तान में पैदा होता है. देश की सत्ता पर काबिज पश्चिमी देशों के समर्थन वाली सरकार पड़ोसी देश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी पर भी तालिबान की गुपचुप तरीके से मदद का आरोप लगाती है. पाकिस्तान इन आरोपों से इनकार करता है.

तस्वीर: AP

तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर 1996 से 2001 तक काबिज रहा. न्यू यॉर्क पर 11 सितंबर के आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया और उसे सत्ता से बाहर कर नॉर्दर्न अलायंस के हाथ में सत्ता सौंप दी. हमले की वजह थी तालिबान का ओसामा बिन लादेन को अमेरिका के हवाले करने से इनकार करना. 11 सितंबर को न्यू यॉर्क और अमेरिका के दूसरे शहरों पर हुआ हमला अल कायदा ने कराया था जिसका मुखिया बिन लादेन तब अफगानिस्तान में रह कर ही अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था. सत्ता से बाहर होने के बाद बाकी बचे लड़ाकों ने खूनी विद्रोह छेड़ दिया.

एनआर/एजेए(एएफपी)

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