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तालिबान ने पाक सरकार के साथ शांति वार्ता की पुष्टि की

१० दिसम्बर २०११

पाकिस्तानी तालिबान के डिप्टी कमांडर ने कहा है कि उनका संगठन पाकिस्तानी सरकार के साथ शांति पर बातचीत कर रहा है. तालिबान के इस बयान से अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों पर असर पड़ सकता है.

तस्वीर: picture alliance / dpa

बजौर कबायली एजेंसी में पाकिस्तानी तालिबान के कमांडर मौलवी फकीर मोहम्मद ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी से कहा, "हमारी बातचीत सही दिशा में जा रही है. अगर यह सफल हुए और हम बजौर में एक शांति समझौता पर फैसला कर सके, तो स्वात, मोहमंद, ओरकजई और दक्षिण वजीरिस्तान के तालिबान नेता भी समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. बाजौर बाकी क्षेत्रों के लिए मिसाल होगा." तालिबान के साथ वार्ताओं के बारे में सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.

पाकिस्तानी तहरीक ए तालिबान के साथ अमन पर बातचीत अब तक सफल नहीं हुई है. माना जाता है कि बातचीत का बहाना बनाकर तालिबान अपने लड़ाकों को दोबारा जमा करती है और सरकार पर नए हमलों की योजना बनाती है. हालांकि इस बार मोहम्मद फकीर का कहना है कि पाकिस्तानी सरकार ने उसके संगठन के 145 लोगों को हिरासत से आजाद कर दिया है. तालिबान के अपने लड़ाकों ने युद्ध विराम की घोषमा कर दी है.

तस्वीर: dapd

फकीर मोहम्मद बाजौर में तालिबान के प्रमुख है और तहरीक ए तालिबान का उप प्रमुख माना जाता हैं. इसके बारे में कहा जाता बै कि वह अल कायदा के बहुत करीब है. उसके साथियों पर आरोप है कि उन्होंने अफगानिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमलों से पहले कई हमले कराए हैं. फकीर मोहम्मद के बारे में यह भी कहा जाता है कि उसने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हमले किए हैं.

पिछले साल पाकिस्तानी सेना ने बाजौर इलाके में सैन्य कार्रवाई की थी और इलाके से लड़ाकों को भगा दिया था.इस साल सितंबर के अंत में पाकिस्तान की सरकार ने शांति को एक मौका देने का एलान किया और कहा कि वह अपने देश में आतंकवादी संगठनों से बातचीत करने को तैयार है. माना जा रहा है कि तहरीक ए तालिबान और पाकिस्तानी सरकार के साथ बातचीत को लेकर अमेरिका आपत्ति जता सकता है. पिछले महीने नाटो हमले में पाकिस्तान के 24 सैनिक मारे गए थे जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच तनाव पहले से बना हुआ है. इसके अलावा पाकिस्तान काफी हद तक अपनी वित्तीय जरूरतों के लिए अमेरिकी सहायता पर निर्भर है.

रिपोर्टः एपी, रॉयटर्स/एमजी

संपादनः एन रंजन

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