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तिकड़ी की ओर फेटल की रेस

७ अक्टूबर २०१२

फॉर्मूला वन की एक रेस ने पूरे साल की चैंपियनशिप में रोमांच भर दिया. लगातार दो बार से खिताब जीत रहे फेटेल की जीत उन्हें इस साल भी खिताब के पास ले आई, जबकि जापान के कोबायाशी ने तीसरा स्थान पाकर तहलका मचा दिया.

तस्वीर: Reuters

पोल पोजीशन पाने के बाद से ही फेटेल की जीत की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि इस सीजन में सबसे आगे चल रहे फरारी ड्राइवर फर्नांडो ओलोन्जो कुछ भी नहीं कर पाएंगे. जापान के सुजुका की रेस ने सब उलटा पुलटा कर दिया. फेटेल स्टार्ट लाइन से गोली की तरह निकले, जबकि ओलोन्जो उन्हें पकड़ने के लिए पीछे भागे. लेकिन पहले ही मोड़ पर ओलोन्जो गच्चा खा गए और उन्हें रेस से बाहर होना पड़ा.

अफरा तफरी में शुरू हुई रेस को फेटेल ने बड़े करीने से पूरा किया और जब वह फिनिश लाइन छू चुके थे तो अगले 20 सेकंड तक कोई वहां नहीं पहुंच पाया. इस जीत के साथ उन्हें पूरे 25 अंक मिल गए और अब इस सीजन में उनके पास 190 प्वाइंट हो गए हैं. दूसरी तरफ ओलोन्जो को पुराने स्कोर 194 पर ही संतोष करना पड़ेगा. यानी अब दोनों ड्राइवरों के अंकों का फासला सिर्फ चार अंक का है और इस सीजन में पूरे पांच रेस बाकी हैं.

पहले ही मोड़ पर लोटस ड्राइवर किमी राइकोनन की कार ओलोन्जो की कार से टकरा गई और फरारी ड्राइवर की कार पंक्चर हो गई. इसके बाद उन्हें रेस छोड़नी पड़ी. फेटेल का रास्ता इससे आसान हो गया और उन्होंने अपने करियर की 24वें रेस इत्मिनान से पूरी की. दूसरे नंबर पर फरारी के फेलिपे मासा और तीसरे नंबर पर जापान के कामुई कोबायासी रहे.

फेटेल ने रेस जीतने के बाद कहा, "मैंने शुरू में ही देखा कि सेफ्टी कार चलने लगी है. लेकिन मैंने अच्छी शुरुआत की थी और यह मेरे लिए जरूरी था. बाद में मैंने देखा कि एक फरारी कार को बाहर किया जा रहा है लेकिन मुझे नहीं पता था कि यह कौन सी फरारी है. लगभग आधी रेस के बाद मैंने देखा कि दूसरी फरारी कार चल रही है और उसमें फिलिपे हैं. मुझे नहीं मालूम था कि फर्नांडो के साथ क्या हुआ."

तस्वीर: Reuters

आम तौर पर जापान ग्रां प्री जीतने वाला ही सीजन का चैंपियन बनता है. पिछले 17 साल में सिर्फ एक बार ऐसा नहीं हुआ है. 2003 में फरारी ड्राइवर रुबेन्स बारिकेलो ने जापानी ग्रां प्री जीती लेकिन खिताब जर्मनी के मिषाएल शूमाकर के नाम हुआ. लेकिन फेटेल इन समीकरणों के चक्कर में नहीं फंसने वाले, "आज की कामयाबी बहुत अहम रही. लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करना है. आप श्पा (बेल्जियम) के बाद के रेसों को देखें तो आपको पता लगेगा कि उतार चढ़ाव तेजी से हो रहा है."

उनका कहना है, "मुझे नहीं मालूम कि अगली रेस में क्या होगा. लेकिन हमें अंक जुटाने की कोशिश करनी चाहिए. यह एक लंबा सीजन है."

दूसरी तरफ ओलोन्जो इस रेस से दुखी दिखे. उन्होंने ट्वीट किया, "पांच महान रेस अभी बाकी हैं. अगर दुश्मन सोचता है कि पहाड़ से हमला होगा, तो समुद्र से हमला करो. अगर वे समझते हैं कि समुद्र से होगा, तो पहाड़ से करो."

दूसरे नंबर पर रहे मासा ने 35 रेस के बाद पोडियम पर चढ़ने का नसीब हासिल किया. लेकिन उनकी कामयाबी मेजबान ड्राइवर कोबायाशी की कामयाबी से फीकी पड़ गई. वहां जमा जनता "कामुई, कमुई" का नारा लगाने लगी और कोबायाशी ने पोडियम पर तीसरे स्थान पर मुस्कुराते हुए अपने कदम रखे. उन्होंने सबका शुक्रिया अदा किया, "आप सबका बहुत शुक्रिया. मैं पहली बार पोडियम पर चढ़ा हूं और वह भी जापान में. यकीन नहीं हो रहा है."

रेस में मैकलैरेन के जेनसन बटन चौथे नंबर पर रहे, जबकि उनकी टीम के लुइस हैमिल्टन ने पांचवां नंबर हासिल किया. किमी राइकोनन छठे नंबर पर रहे. इस सीजन के बाद रिटायर होने का एलान कर चुके जर्मनी के ड्राइवर मिषाएल शूमाकर ने 11वां स्थान हासिल किया. यानी उन्हें कोई अंक नहीं मिला. इस सीजन में उनके हिस्से में सिर्फ 43 अंक हैं और वह 13वें नंबर पर हैं. रेस जीतने वाले को 25 अंक, उपविजेता को 18 अंक, तीसरे स्थान वाले को 15 अंक और उसके बाद शुरू के 10 ड्राइवरों को घटते क्रम में अंक दिए जाते हैं. इस सीजन में भारत के नारायण कार्तिकेयन सहित सात ड्राइवर खाता नहीं खोल पाए हैं.

एजेए/एमजी (एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)

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