क्या आप जानते हैं, लाल किले से लेकर विदेशों में मौजूद भारतीय दूतावास में फहराए जाने वाले झंडे कहां बनते हैं? कर्नाटक के एक गांव में महिलाएं इन झंडों को बनाती हैं और अब यहां से पुरुषों की संख्या लगातार कम हो रही है.
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तिरंगा भारतीयों का मान है. लेकिन कर्नाटक के तुसलीगिरी गांव की महिलाएं जब कहीं भी तिरंगे को फहरता देखती है तो उन्हें खास तौर से गर्व होता है. दुनिया भर में जहां कहीं भी तिरंगा फहर रहा है, वह उन्हीं के हाथों से बना है.
कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ भारत में आधिकारिक तौर पर तिरंगा बनाने वाली अकेली संस्था है. लेकिन यहां काम करने वाले पुरुषों की संख्या लगातार कम हो रही है. ग्रामोद्योग संघ की सुपरवाइजर अन्नपूर्णा कोटी बताती हैं, "पुरुषों में संयम की कमी देखी गई है. वे झंडे का नाप सही नहीं ले पाते जो सबसे महत्वपूर्ण है. उन्हें झंडे को दोबारा खोल कर नाप लेना पड़ता है जिसमें काफी वक्त निकल जाता है. कई पुरुष काम छोड़कर जा चुके हैं."
राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान पर कौन देश कितना संवेदनशील
अमेरिका में फुटबॉल के पेशेवर एनएफएल खिलाड़ी राष्ट्रगान के समय सही मुद्रा में खड़े ना रहने के कारण राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के निशाने पर हैं. देखिए राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज जैसे प्रतीकों पर किस देश में है कितनी सख्ती.
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इस्राएल
इस्राएल की 20 फीसदी अरब आबादी का यहूदी राष्ट्र के राष्ट्रीय प्रतीकों से जुड़ाव नहीं है. इनकी राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के अरब खिलाड़ी भी मैच के पहले और इस्राएली संसद के लिए चुनी गयी एक सांसद भी शपथ से पहले राष्ट्रगान गाने को लेकर आपत्ति कर चुके हैं. इन राष्ट्रीय प्रतीकों को ना मानने वालों में एंटी-जायनिस्ट जैसे अति-रूढ़िवादी यहूदी संप्रदाय के लोग भी हैं, जो सेना में अनिवार्य भर्ती के भी खिलाफ हैं.
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चीन
चीनी राष्ट्रगान "मार्च ऑफ द वॉलंटियर्स" को लेकर हॉन्ग कॉन्ग जैसे अर्धस्वायत्त क्षेत्रों में विवाद रहता है. चीन के साथ हॉन्ग कॉन्ग के खेल मुकाबलों के दौरान अक्सर फैन्स के बीच तनाव का माहौल दिखता है. बीजिंग सरकार ने सितंबर 2017 में ही राष्ट्रगान के गलत इस्तेमाल पर 15 दिनों की जेल की सजा का प्रावधान बना दिया है. हॉन्ग कॉन्ग के मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे फ्रीडम ऑफ स्पीच पर रोक बता रहे हैं.
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रूस
सन 2000 में रूस का राष्ट्रपति बनते ही व्लादिमीर पुतिन 1991 से चले आ रहे राष्ट्रगान की जगह सोवियत एंथम को ले आये. चूंकि मूल सोवियत एंथम में कोई बोल नहीं होते थे, इसलिए पुतिन ने मूल सोवियत एंथम लिखने वाले कवि सर्गेई मिखालकोव को ही फिर से उसके लिए नये बोल लिखने का काम सौंपा. उदारवादी नेता और मीडिया इस कदम को रूस की सोवियत मूल्यों की ओर लौटने और सुधारवाद को नजरअंदाज करने की कोशिश बताते हैं.
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स्पेन
स्पेन के कैटेलोनिया प्रांत में अलग "एस्टेलाडा" झंडा चलता है और इसी झंडे के तले वे अपने लिए आजादी की मांग करते आये हैं. यह झंडा आधिकारिक कातालान झंडे का ही थोड़ा अलग रूप है. यूरोप में फुटबॉल की गवर्निंग बॉडी कई बार क्लब बार्सिलोना पर इसलिए जुर्माना लगा चुकी है क्योंकि स्टेडियम में उनके समर्थन इन्हीं झंडों के साथ कैटेलोनिया की आजादी के नारे लगाते हैं, जैसा कि 2015 के चैंपियंस लीग मुकाबले में हुआ.
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जापान
जापान का राष्ट्रगान "किमिगायो" एक प्राचीन कविता से लिया गया है, जो सम्राट को समर्पित थी. इस विवादित गीत को लेकर कई बार राजनीतिक बहसें छिड़ीं हैं क्योंकि इसमें सम्राट की तारीफ करते हुए जापान के युद्धकालीन सैन्यवाद का समर्थन है. 1999 में दक्षिणपंथी सरकार ने इसे राष्ट्रगान घोषित किया. कुछ कालेजों में ग्रेजुएशन सेरेमनी में राष्ट्रगान के समय छात्रों, शिक्षकों के खड़े होकर इसे ना गाने के कारण बवाल हुआ.
तस्वीर: Reuters/P. Kopczynski
जर्मनी
जर्मनी में नाजी काल के स्वास्तिक चिह्न वाले लाल, काले और सफेद रंगों वाले झंडे के प्रदर्शन पर रोक है. दूसरे नाजी प्रतीकों, नाजी सैल्यूट इत्यादि पर भी. इसका उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है. कई बार जर्मनी घूमने आने वाले विदेशी पर्यटक ऐसा करने के कारण मुश्किल में पड़ चुके हैं. जैसे हाल ही में एक अमेरिकी और दो चीनी पर्यटकों को सार्वजनिक रूप से नाजी सलाम करने के कारण लंबी पुलिस जांच से गुजरना पड़ा.
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भारत
भारतीय कानून में तो ऐसा नहीं लिखा है लेकिन 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान के समय सबको खड़े होने का निर्देश दिया. सिनेमाघरों में भी फिल्म के पहले राष्ट्रगान बजाने और सभी को "सम्मान में खड़े होने" का आदेश है. तिरंगा जलाने या किसी तरह उसका अपमान करने पर 3 साल तक की जेल हो सकती है. भारत का गलत मानचित्र बनाने या छापने पर 1.5 करोड़ डॉलर के जुर्माने और 7 साल की जेल की सजा का भी मसौदा तैयार हुआ है.
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मिस्र
2014 में मिस्र का राष्ट्रपति बनने वाले सेना के पूर्व जनरल अब्देल फतह अल-सीसी ने राष्ट्रभक्ति को शासन के केंद्र में ला दिया. वे अपने भाषण खत्म करते हुए तीन बार "लॉन्ग लिव इजिप्ट!" का नारा देते हैं. राष्ट्रवाद, देशभक्ति का प्रदर्शन आम हो गया है. पहली बार सरकारी विश्वविद्यालयों में छात्रों ने झंडे को सलाम कर और राष्ट्रगान गा कर नयी क्लास की शुरुआत की. देश के राष्ट्रवादी मीडिया ने इसकी खूब तारीफ की.
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इंडोनेशिया
मलेशिया को हाल ही में इंडोनेशिया से माफी मांगनी पड़ी, जब एक समारोह में इंडोनेशियाई झंडा उल्टा छप गया था. उल्टा होते ही उनका झंडा पोलैंड का राष्ट्रीय ध्वज लगने लगा. इससे नाराज इंडोनेशिया में "शेमऑनयूमलेशिया" के नारे वाला ट्विटर हैशटैड खूब चला. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मलेशिया से मांफी की मांग की लेकिन इस गलती को और ना बढ़ाये चढ़ाये जाने की अपील भी की.
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फ्रांस
लंबे समय से इस पर विवाद है कि सॉकर खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मैचों में राष्ट्रगान गाना चाहिये या नहीं. ज्यादातर फ्रेंच खिलाड़ी नहीं गाते लेकिन इसका कारण कोई राजनीतिक विरोध जर्ज कराना नहीं बल्कि बेपरवाही होता है. फ्रांस में मजबूत होते अति दक्षिणपंथी धड़े इसे मुद्दा बनाते रहते हैं. हाल के समय में कई बार आतंकियों का निशाना बने फ्रांस में धीरे धीरे झंडे और राष्ट्रगान को लेकर आसक्ति बढ़ती दिख रही है.
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इस सरकारी संस्था में करीब 400 कामगार है जिसमें महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है. झंडे बनाने काम दो भागों में होता है. पहले तुलसीगिरी में कच्चे माल की प्रोसेसिंग की जाती है और यहां से दो घंटे की दूरी पर स्थित बेंगेरी में फाइनल काम होता है. यहां काम करने वाली महिलाएं कपड़े को कातने से लेकर झंडे को सिलने का काम करती हैं. पिछले साल यहां 60 हजार राष्ट्रीय ध्वज बनाए गए.
भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से झंडे के रंग और नाप निर्धारित है और उसे सभी को लागू करना होता है. यहां 15 वर्षों से काम करने वाली निर्मला इलाकल कहती हैं, "जरा सी गलती पर बनाया गया झंडा रिजेक्ट हो सकता है. हमें सतर्क होकर काम करना होता है."
कोटी के मुताबिक, यहां काम करने वाली महिलाएं ज्यादातर स्थानीय हैं और इन पर दुनियाभर में जाने वाले भारतीय तिरंगे का जिम्मा होता है. इन्हें घर भी संभालना होता है जिसकी वजह से ये ज्यादा बाहर जा नहीं सकतीं. महिलाओं में इस बात की तसल्ली है कि भले ही वे बाहर न जा पाती हो, लेकिन उनके बनाए राष्ट्रीय ध्वज दुनियाभर में फहराए जाते हैं.
वीसी/एके (एएफपी)
आप इन झंडों को पहचानते हैं?
हर देश का झंडा खास होता है. देश के झंडे में मौजूद सभी रंग अपना-अपना एक अलग मतलब लिए होते हैं. कई सारे देशों के झंडों पर विशेष चिह्न बने होते हैं जिनका एक विशेष मतलब होता है. कई देशों के झंडे तो एक जैसे रंगों के होते हैं.
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लाल झंडा और पीली बिंदियां
यह झंडा किसका प्रतिनिधित्व करता है? यह झंडा जर्मन फुटबॉल क्लब बायर्न म्यूनिख का है, डेनमार्क के स्वघोषित स्वायत्त जिले क्रिश्चियाना का है या फिर दक्षिण एशियाई देश भूटान का?
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J.N.Larsen
क्रिश्चियाना
यह झंडा क्रिश्चियाना का है जो डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में पड़ता है. 1971 में इस इलाके के लोगों ने एक पुराने बैरक पर कब्जा कर अपनी स्वायत्त बस्ती की घोषणा की थी और इस झंडे को अपनाया.
फर्न की पत्ती और चार सितारे
यह झंडा कहां से आया है? यह झंडा न्यूजीलैंड का है या फिर मार्शल आइलैंड का है. या फिर यह झंडा किसी भी देश का नहीं है. अगली स्लाइड पर जाने से पहले जरा अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाइये.
तस्वीर: Reuters/R. Ben-Ari
न्यूजीलैंड
एक फर्न की पत्ती और चार सितारों वाला यह झंडा जल्द न्यूजीलैंड का राष्ट्रीय ध्वज हो सकता है. देश के मौजूदा झंडे में लोग औपनिवेशिक ताकत ब्रिटेन की झलक देखते हैं. इसीलिए नये ध्वज की जरूरत महसूस हुई.
काला, लाल और पीला
ये तीन रंग आपने कितने देशों के झंडे में देखे हैं. हमारे नियमित पाठक जरूर जानते होंगे कि जर्मनी के झंडे में ये तीनों रंग आते हैं. और कौन से देश हैं जिनके झंडों में यह रंग दिखते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Brandt
जर्मनी
देश के झंडे के रंग संविधान में परिभाषित हैं. आधिकारिक तौर पर ध्वज में काले और पीले रंग के अलावा सुनहरे रंग है लेकिन उसकी जगह अकसर पीला रंग इस्तेमाल होता है. ये रंग 18वीं सदी में नेपोलियन के खिलाफ लड़े जर्मन सैनिकों की वर्दी से प्रेरित हैं.
यहां भी काला, रंग और पीला
जर्मनी के झंडे के रंग आपको कुछ और भी देशों के ध्वजों में दिखायी देते हैं. क्या आप बता सकते हैं कि यहां जो झंडा आप देख रहे हैं वह किस देश का है. युगांडा, पूर्वी तिमोर या फिर जिम्बाब्वे?
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Gillieron
युगांडा
यह झंडा अफ्रीकी देश युगांडा का है. यहां काला रंग अफ्रीकी लोगों का प्रतीक है जबकि पीला रंग सूरज और लाल रंग भाईचारे को दिखाता है. झंडे के बीच में दिखने वाला क्रेन पक्षी युंगाडा का सबसे अहम राष्ट्रीय प्रतीक है.
केसरिया, सफेद और हरा
यह तिरंगा है जो भारत की पहचान है. लेकिन यही तीन रंग आपको कुछ और देशों के राष्ट्रीय ध्वजों में भी दिखायी पड़ते हैं. अगली स्लाइड पर आपको इन देशों के नाम पता चलेंगे.
तस्वीर: Reuters/UNI
यह जो देश है..
भारत के अलावा केसरिया, सफेद और हरे रंग आइवरी कोस्ट और आयरलैंड के ध्वजों में भी दिखते हैं. तिरंगे में जहां केसरिया रंग साहस और शौर्य का प्रतीक है, वहीं सफेद शांति और हरा रंग समृद्धि को दर्शाता है और बीच में है अशोक चक्र.
रंग बिरंगा झंडा और सितारा
इस झंडे में रंगों की बहार है. जरा गिनिए तो सही कि कितने रंग हैं. कुल छह रंग हैं: हरा, सफेद, लाल, काला, पीला और आसमानी. क्या आप बता सकते हैं कि यह किस देश का झंडा है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/M. Messara
दक्षिणी सूडान
यह झंडा दक्षिणी सूडान का है जो 2011 में सूडान से अलग हो कर एक अलग देश के रूप में अस्तित्व में आया. बड़े तेल भंडारों के बावजूद यह दुनिया के सबसे गरीब देशों में से है. देश में जारी गृह युद्ध के कारण भी लाखों लोग बेघर हैं.
चमकते सूरज वाला झंडा
आसमानी रंग का झंडा और उस पर चमकता हुआ सूरज. क्या आप बता सकते हैं कि यह झंडा किस देश का है. चलिए आपके सामने तीन विकल्प रखते हैं: पलाऊ, बेलारूस या फिर कजाकस्तान.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Japaridze
कजाकस्तान
मध्य एशियाई देश कजाकस्तान के आसमानी रंग के झंडे में चमकते सूरज के अलावा उड़ता हुआ बाज और एक किनारे पर खास डिजाइन भी दिखता है. 1992 में सोवियत संघ से अलग होने के बाद कजाकस्तान ने यह ध्वज अपनाया.
लाल, नीला और सितारे
क्या ये सितारे आपको किसी चीज की याद दिलाते हैं? अगर हैं तो फिर जरूर आपके जेहन में उस देश का नाम भी आ रहा होगा जिसका यह झंडा है. तो वह देश कोसोवो, समोआ या बुरकीना फासो में से कौन है.
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समोआ
प्रशांत महासागर में बसे देश समोआ के झंडे में लाल रंग के अलावा नीली पृष्ठभूमि में चार सितारों को जगह दी गयी है. समोआ में लेखक अल्बर्ट वेंट का जन्म हुआ था जिन्होंने इस इलाके की संस्कृति को मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष किया.
हरा, सफेद, लाल - और साथ में पीला सितारा
क्या यह बुरकीना फासो का झंडा है? घाना या फिर सूरीनाम का भी हो सकता है? इन सभी देशों के झंडों में स्टार है. लेकिन उन तीनों देशों से सिर्फ एक देश का झंडा इस तरह का दिखता है.
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सूरीनाम
सूरीनाम कभी नीदरलैंड्स का उपनिवेश था. इसीलिए आज भी यहां की आधिकारिक भाषा डच है. 1975 से यह एक आजाद देश है और इसकी आबादी लगभग पांच लाख है. आबादी में सबसे ज्यादा 27.4 फीसदी हिस्सेदारी भारतीय मूल के लोगों की है. वहां बोली जाने वाली सरनामी हिंदुस्तानी भाषा बहुत हद तक भोजपुरी से मिलती है.