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तीन चौथाई कंपनियां मनमोहन सरकार से नाखुश

१३ जून २०११

भारत में तीन चौथाई कंपनियां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार से नाखुश हैं. उनका कहना है कि घोटालों में फंसी सरकार नीतियां तय नहीं कर पा रही है जिससे देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो रही है.

FILE - In this Tuesday, Feb. 1, 2011 file photo, Indian Prime Minister Manmohan Singh gestures during a conference of chief ministers of Indian states on internal security, in New Delhi, India. India's prime minister defended his embattled government against a string of corruption scandals Wednesday, Feb. 16, 2011, saying the allegations would be thoroughly investigated and those involved would be punished, no matter their position. (AP Photo/Manish Swarup, File)
मनमोहन पर उठते सवालतस्वीर: AP

इकॉनोमिक टाइम्स अखबार और भारतीय व्यापार और वाणिज्य परिसंघ (फिक्की) की तरफ से कराए गए 75 बड़ी कंपनियों के सर्वे में कॉरपोरेट सेक्टर ने केंद्र सरकार से अपनी नाराजगी का इजहार किया. इस सर्वे में ऐसी बातें सामने आईं जिनकी सार्वजनिक तौर पर बहुत कम चर्चा होती है. सोमवार को प्रकाशित सर्वे में 80 फीसदी कंपनियों का मानना है कि सरकार में फैसला लेने की प्रक्रिया धीमी हुई है. 72 प्रतिशत कंपनियां मानती हैं कि इससे देश में होने वाले निवेश पर असर हो सकता है.

फिक्की के अध्यक्ष हर्ष महापात्रा के हवाले से इकनॉमिक्स टाइम्स ने लिखा है, "घरेलू निवेशकों के बीच मौजूद नकारात्मक भाव विदेशी निवेशकों के रुझान पर भी असर डालेंगे." इकनॉमिक्स टाइम्स और सिनोवेट के एक अन्य सर्वे में 43 बड़ी कंपनियों के आला अधिकारियों में से 63 प्रतिशत का मानना है कि सरकार का संकट देश की आर्थिक वृद्धि पर असर डालेगा.

तस्वीर: AP

भारत में खास कर टेलीकॉम सेक्टर में हुए घोटाले ने आर्थिक और राजनीतिक, दोनों स्तरों पर सरकार का संकट बढ़ाया. इनमें मनमर्जी तरीके से 2जी स्पेक्ट्रम बांटे गए जिससे सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इसी घोटाले में पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा और कई बड़े अफसरों को जेल काटनी पड़ रही है. यहां तक कि इस मामले में अनिल अंबानी और प्रशांत रुइया जैसे बड़े उद्योगपतियों से भी पुलिस ने पूछताछ की.

जनवरी में उद्योगपतियों से लेकर केंद्रीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नरों तक 14 अहम लोगों ने सरकार को खुला पत्र लिखा और कहा कि भ्रष्टाचार और कुप्रशासन से भारतीय आर्थिक वृद्धि को खतरा पैदा हो रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः उभ

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