नाजी काल में लाखों यहूदियों को यातना शिविर में रखा गया, जहां जहरीली गैस दे कर उनकी जान ले ली गयी. सबसे बड़े यातना शिविर आउश्वित्स के एक पहरेदार पर 3,00,000 हत्याओं का आरोप लगाया गया है.
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93 साल के ऑस्कर ने मई से जुलाई 1944 के बीच आउश्वित्स शिविर में काम किया. इस दौरान हंगरी से साढ़े चार लाख लोगों को वहां लाया गया था. शिविर में पहुंचते ही लोगों की जांच की जाती थी कि क्या उनसे किसी तरह का काम करवाया जा सकता है. जिन लोगों को काम करने लायक नहीं समझा जाता, उन्हें गैस चैम्बर में भेज दिया जाता था. मारे गए लोगों में से अधिकतर यहूदी थे.
शिविर में लाने के बाद उन लोगों से उनका सब सामान छीन लिया जाता था. ऑस्कर का काम इस सामान को नष्ट करना था. सामान की तलाशी लेने के बाद वह नकद और कीमती चीजों को अलग कर लेता और अधिकारियों को सौंप देता. अभियोगपक्ष के वकीलों ने एक बयान में कहा है कि ऑस्कर उन लोगों में शामिल था जिन्होंने चालीस के दशक में नरसंहार को अंजाम देने में मदद की. हालांकि ऑस्कर के वकील ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी है. ऑस्कर का कहना है कि उसने किसी भी तरह के अत्याचार में हिस्सा नहीं लिया, ना ही किसी को नुकसान पहुंचाया, बल्कि वह केवल अपनी नौकरी कर रहा था.
साल 2005 में जर्मन पत्रिका श्पीगल को दिए एक इंटरव्यू में ऑस्कर ने माना कि उसने शिविर में कई दर्दनाक हादसों को देखा. समाचार एजेंसी एपी को उसने एक घटना के बारे में बताया जिसमें एक अन्य पहरेदार ने एक बच्चे की किलकारी को बंद करने के लिए उसे पैरों से पकड़ा और एक ट्रक पर दे मारा.
ऑस्कर के मामले को इतने सालों बाद इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि 2011 में जर्मन सरकार ने एक बिल पारित किया, जिसके तहत नाजी काल में छोटे पद पर काम करने वाले लोगों पर भी नकेल कसी जा सके. इस कानून के आने से पहले केवल उन्हीं लोगों पर मुकदमे चलाए जा सकते थे जिन्होंने खुद किसी तरह का अत्याचार किया हो.
कानून बनने के बाद जांच दल ने तीस लोगों की सूची जारी की. ऑस्कर इन्हीं में से एक है. हनोवर की अदालत में यह इस तरह का चौथा मुकदमा है. आरोपियों की सेहत के कारण दो मुकदमों को स्थगित करना पड़ा, जबकि तीसरे की मुकदमे के दौरान ही मौत हो गयी.
आईबी/एएम (एएफपी, डीपीए)
दूसरा विश्व युद्ध तस्वीरों में
01 सितंबर, 1939 को अडोल्फ हिटलर के आदेश पर जर्मन सेना ने पोलैंड पर हमला किया. 08 मई, 1945 तक यूरोप के देश एक दूसरे से लड़ते रहे. जानिए कब क्या हुआ.
तस्वीर: AP
1939
पहली सितंबर के दिन जर्मनी ने पोलैंड पर हमला किया. पोलैंड के सहयोगियों फ्रांस और ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ तीन सितंबर को युद्ध का ऐलान किया.
अप्रैल 1940
अप्रैल 1940 में जर्मन सेना डेनमार्क की ओर बढ़ी और नॉर्वे पहुंचने के लिए इस देश को प्लेटफॉर्म बनाया. वहां से जर्मनी को युद्ध के लिए जरूरी कच्चा माल मिलता था. ब्रिटेन इस आपूर्ति को रोकना चाहता था, इसलिए उसने नॉर्वे सेना भेजी. लेकिन जून में नॉर्वे में भी सहयोगी देशों ने घुटने टेक दिए.
लक्जेम्बर्ग
10 मई को जर्मन सेना ने नीदरलैंड्स, बेल्जियम और लक्जेम्बर्ग पर हमला किया. इसके बाद सेना ने पेरिस का रुख किया. 22 जून के दिन फ्रांस ने हाथ खड़े कर दिए. और फ्रांस दो हिस्सों में बंटा. एक हिटलर के राज का हिस्सा और दूसरा विषी फ्रांस जहां जनरल पेटां का शासन था.
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ब्रिटेन का रुख
इसके बाद हिटलर ने ब्रिटेन का रुख किया. उसके बमों ने कोवेंट्री जैसे शहरों को तहस नहस कर दिया. साथ ही उत्तरी फ्रांस और दक्षिणी इंग्लैंड के बीच हवाई लड़ाई भी हुई. ब्रिटेन की रॉयल एयर फोर्स ने जर्मन विमानों को ध्वस्त कर दिया. 1941 की शुरुआत में जर्मन हवाई हमले काफी कम हो गए.
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1941
इंग्लैंड में हवाई मार खाने के बाद हिटलर ने ब्रिटेन के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों की ओर रुख किया. इसके बाद उत्तरी अफ्रीका, बाल्कान, सोवियत संघ और फिर युगोस्लाविया पर भी हमला किया गया.
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1942
शुरुआत में रेड आर्मी ने ज्यादा कार्रवाई नहीं की. लेकिन रूस पर चढ़ाई ने जर्मनी की हालत खराब कर दी. भारी नुकसान और मुश्किलों से जर्मनी का हमला कमजोर हुआ. हिटलर के हाथ में करीब करीब पूरा यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और सोवियत संघ के कुछ हिस्से थे. लेकिन साल 1942 निर्णायक साबित हुआ.
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यातना शिविर
इटली की मदद से जर्मनी ने उत्तरी अफ्रीका में ब्रिटिश सेना पर जीत हासिल की लेकिन बाद में जर्मनी ढीला पड़ा. इधर पूर्वी इलाकों में हिटलर ने आउश्वित्स जैसे यातना गृह बना लिए थे. करीब 60 लाख लोग हिटलर के नस्लभेद का शिकार हुए.
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1943
उस साल जर्मनी के खिलाफ खड़ी सेनाएं मजबूत हुईं. और लड़ाई में रुख पलटने का प्रतीक स्टालिनग्राड बना. इस शहर के लिए लड़ाई में जर्मनी का उत्साह कमजोर हुआ. उत्तरी अफ्रीका में जर्मन और इटैलियन सैनिकों की हार के बाद मित्र देशों के लिए इटली का रास्ता खुला था.
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1944
रेड आर्मी ने जर्मनी की सेना को पछाड़ना शुरू किया. युगोस्लाविया, रोमानिया, बुल्गारिया, पोलैंड, एक एक कर सारे सोवियत संघ के पास चले गए. छह जून को अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और दूसरे देशों की सेना उत्तरी अफ्रीका की नॉर्मैंडी में उतरी. 15 अगस्त को पश्चिमी मित्र देशों ने दक्षिणी फ्रांस पर जवाबी हमला किया. 25 अगस्त के दिन पैरिस को जर्मन कब्जे से छुड़ा लिया गया.
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1944-45
1944-45 की सर्दियों में जर्मन सेना ने हमला करने की कोशिश की लेकिन पश्चिमी देश इस हमले को रोकने में कामयाब रहे. धीरे धीरे वे पश्चिम और पूर्व की ओर से जर्मन साम्राज्य की ओर बढ़े.
तस्वीर: imago/United Archives
1945
08 मई, 1945 को नाजी जर्मनी ने बिना किसी शर्त घुटने टेक दिए. 30 अप्रैल को हिटलर ने खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली ताकि कोई उसे गिरफ्तार न कर सके. यूरोप के अधिकतर शहर छह साल के युद्ध के बाद मलबे में तब्दील हो चुके थे. दूसरे विश्व युद्ध में करीब पांच करोड़ लोग मारे गए. जनरल फील्ड मार्शल विल्हेल्म काइटेल ने मई 1945 को बर्लिन में संधिपत्र पर हस्ताक्षर किए.