'तीसरा बड़ा देश यूट्यूब'
२१ मार्च २०१३दुनिया भर के वीडियो देखने के लिए एक अरब लोग हर महीने यूट्यूब पर आते हैं. बुधवार को इन आंकड़ों की जानकारी देते हुए यूट्यूब ने कहा, "अगर यूट्यूब एक देश होता तो हम चीन और भारत के बाद तीसरा बड़ा देश होते."
दुनिया भर में अपना हाई स्पीड डाटा नेटवर्क फैलाकर यूट्यूब ने यह जगह बनाई है. इंटरनेट से लैस स्मार्टफोनों की वजह से भी यूट्यूब को एक अरब लोगों तक पहुंचने में मदद मिली है. रुझान को देखते हुए कहा जा रहा है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स और वीडियो शेयरिंग वेबसाइट का कारोबार गजब की तेजी बढ़ रहा है.
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने बीते सितंबर में एक अरब का आंकड़ा पार किया. फेसबुक के मुताबिक उसके पास एक अरब एक्टिव यूजर हैं. एक अरब यूजर्स तक पहुंचने में फेसबुक और यूट्यूब दोनों को आठ साल लगे.
ऑनलाइन भुगतान की सुविधा देने वाली पेपाल वेबसाइट के तीन पूर्व कर्मचारियों ने 2005 में यूट्यूब की शुरुआत की. शुरुआत के एक साल बाद ही यूट्यूब यूजर्स की संख्या 10 लाख हो गई. 2006 में यूट्यूब को गूगल ने 1.65 अरब डॉलर में खरीदा.
गूगल कमाई के लिए इंटरनेट सर्च और विज्ञापनों पर निर्भर करता है. अब यूट्यूब भी गूगल के लिए आय का एक बड़ा स्रोत बन चुका है. यूट्यूब के कई वीडियो देखने से पहले विज्ञापन देखने पड़ते हैं. विज्ञापनों से होने वाली आय गूगल और वीडियो बनाने वाले में बंटती है.
यूजर्स की नजर से भी यूट्यूब खास है. अपने हुनर का प्रदर्शन करने के लिए नए नए लोग यूट्यूब का सहारा ले रहे हैं. 2008 में कनाडा के जस्टिन बीबर 15 साल के थे. यूट्यूब पर उन्होंने अपने गाने अपलोड किए. देखते ही देखते जस्टिन बीबर के वीडियो दुनिया भर में फैल गए. आज 19 साल के बीबर दुनिया से सबसे महंगे पॉप स्टारों में से एक हैं.
दक्षिण भारतीय अभिनेता और गायक धनुष का कोलावरी डी गाना भी यूट्यूब और फेसबुक के जरिए पूरी दुनिया में बुखार की तरह चढ़ा. यूट्यूब के ही जरिए दक्षिण कोरिया के रैपर का गाना गैंगनम स्टाइल दुनिया भर में फैल गया. यूट्यूब और गैंगनेम ने एक दूसरे को बड़ा फायदा पहुंचाया. यूट्यूब पर अब तक गैंगनम स्टाइल वीडियो 1.45 अरब बार देखा जा चुका है.
इस बीच यूट्यूब एक ऐसा रास्ता बन चुका है कि जिसके जरिए आम लोग घर बैठे बैठे अपनी प्रतिभा दुनिया के सामने रख रहे हैं. यूट्यूब इतना अहम हो चुका है कि अब बड़े गायक और फिल्म निर्माता भी अपने गाने या नई फिल्मों के ट्रेलर को यूट्यूब पर अपलोड करने लगे हैं. यूट्यूब के जरिए उन्हें पता चल रहा है कि लोग उनके काम को पंसद कर रहे हैं या नहीं.
ओएसजे/एमजी (रॉयटर्स)