अभी बच्चे को जन्म दिए कुछ ही दिन हुए थे कि सीता का गर्भाशय अपनी जगह से खिसककर योनि तक पहुंच गया. इस तरह की परिस्थिति से गुजरने वाली सीता अकेली नहीं हैं, नेपाल में तीस से कम आयु की उनके जैसी सैकड़ों लड़कियां हैं.
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नींद से निढाल हालत में सीता लड़खड़ाती हुई एक लकड़ी का गट्ठर सिर पर उठाए काठमांडू के बाहरी इलाके में चली जा रही थी कि तभी उसे तकलीफ का एहसास हुआ. उसका गर्भाशय खिसक चुका था. 25 साल की उम्र तक चार बच्चों को जन्म दे चुकी सीता ने बताया, "मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है. बहुत बुरी तरह दर्द हो रहा था."
गर्भाशय भ्रंश यानि गर्भाशय का अपनी जगह से खिसक कर योनि के बाहरी हिस्से तक पहुंच जाना. ऐसा आमतौर पर महिलाओं में रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज के बाद होता है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार नेपाल में ऐसे 44 फीसदी मामले बीस से तीस साल के बीच की महिलाओं के साथ हो रहे हैं. एम्नेस्टी इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्ट में इसके लिए नेपाली गांवों में महिलाओं और पुरुषों के बीच सामाजिक असमानता को जिम्मेदार ठहराया गया है.
कैसे रखें गर्भावस्था में ख्याल
होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखा जाए. इनसे मां और बच्चे दोनों को फायदा होता है.
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गर्भावस्था के दौरान मां कैसा महसूस कर रही है यह बहुत जरूरी है, इससे होने वाले बच्चे की सेहत पर भी असर पड़ता है. मां के लिए उसका बच्चा दुनिया की सबसे बड़ी खुशियों में से एक होता है. जरूरी है कि वह इस खुशी के एहसास को मरने न दे.
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मां औप बच्चे के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी घर के दूसरे सदस्यों पर भी होती है. शरीर में हार्मोन परिवर्तन के कारण मां का मूड पल भर में बदल सकता है. ऐसे में बाकियों को सहयोग बनाकर चलना जरूरी है, खासकर पति को.
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सुबह नहाते समय हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें. इसके बाद जैतून के तेल से मालिश मां के लिए फायदेमंद है, यह सलाह है जर्मन दाई हाएके सोयार्त्सा की.
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मां के शरीर में हो रहे हार्मोन परिवर्तन के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. हफ्ते में एक दिन चेहरे पर मास्क का इस्तेमाल अच्छा है. एक चम्मच दही में कच्चा एवोकाडो मिलाकर लगाएं और दस मिनट बाद धो दें.
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गर्भावस्था के दौरान कसरत जरूरी है. आसन लगाकर पेट के निचले हिस्से से सांस खींचकर छोड़ना तनाव दूर करता है. इस दौरान दिमाग में एक ही ख्याल हो, "यह सांस मेरे बच्चे को छू कर गुजर रही है."
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सुबह बहुत कुछ खा सकना आसान नहीं, अक्सर सुबह के वक्त मां को उल्टी की शिकायत रहती है. हर्बल चाय या फिर हल्का फुल्का बिस्कुट या टोस्ट खाना बेहतर है. नाश्ते में इस बात पर ध्यान दें कि वह फाइबर वाला खाना हो. फल खाना और भी अच्छा है.
अक्सर गर्भावस्था के दौरान बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं. बालों के लिए इस दौरान हल्के केमिकल वाले शैंपू का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. हफ्ते में एक दिन एक चम्मच जैतून के तेल में दही और अंडे का पीला भाग मिलाकर लगाने से बालों की नमी लौट आती है. गर्भावस्था में हेयर कलर का इस्तेमाल ना करें.
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शरीर और दिमाग के स्वस्थ होने के साथ दोनों के बीच संतुलन बहुत जरूरी है. गर्भावस्था के दौरान पैदल चलना भी फायदेमंद है. स्वीमिंग के दौरान पानी से कमर को काफी राहत मिलती है.
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मां के लिए दांतों को साफ रखना भी जरूरी है, दिन में दो बार ब्रश करें लेकिन नर्म ब्रश से. शुरुआती छह महीनों में दांतों का खास ख्याल रखें और डेंटिस्ट से भी नियमित रूप से मिलते रहें.
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विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे के लिए हरी सब्जियां और आयोडीन युक्त भोजन फायदेमंद है. बच्चे को खूब आयरन और कैल्शियम की भी जरूरत होती है. ध्यान रहे कि खानपान में इन चीजों की कमी नहीं होनी चाहिए. नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना भी जरूरी है.
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दिन में करीब दो लीटर पानी पीना स्वस्थ जीवनशैली का हिस्सा है. ज्यादा पानी पीने से मां का शरीर चुस्त महसूस करता है.
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कम उम्र में दबाव
एम्नेस्टी की जाति, लिंग और पहचान कार्यक्रम की निदेशक मधु मलहोत्रा ने बताया, "इस स्थिति को मानवाधिकार मामले के तौर पर देखा जाना चाहिए, न सिर्फ महिला स्वास्थ्य के मामले की तरह." सरकारी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 2011 में किए गए एक सर्वे में गर्भाशय भ्रंश को महिलाओं में खराब स्वास्थ्य का सबसे आम कारण बताया गया था. हर 10 में से एक नेपाली महिला इसकी शिकार है.
सीता नेपाल के दलित परिवार से नाता रखती है. गर्भावस्था के दौरान उसे ज्यादा आराम नहीं मिल पाया. बच्चे की पैदाइश के बाद भी उसे फौरन लकड़ी काटने, पशुओं को चराने और खेतों से लेकर घर तक के भारी भरकम काम काज में जुट जाना पड़ा. बीस साल की होते होते वह तीन बोटियों को जन्म दे चुकी थी. इसके बाद भी उस पर बेटा पैदा करने का दबाव बना रहा. उसने बताया, "मेरा पति शराब के नशे में मुझे मारता और दूसरी शादी करने की धमकी देता था क्योंकि मैं बेटे को जन्म नहीं दे सकी."
पारिवारिक असहयोग
चार साल पहले उसने बेटे को जन्म दिया. लेकिन दो हफ्ते बाद ही उसे भारी रक्तस्राव होने लगा और गर्भाशय लटककर योनि के बाहर आ गया. इसके कारण उसे अक्सर गीलेपन और दूसरी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. ऐसे में पति का गुस्सा भी बढ़ जाता. जब उसने पति को अपनी परेशानी के बारे में बताया तो उसने उसे 'गंदी औरत' कहते हुए और भी मारा. सीता की परेशानी कम होने के बजाय और बढ़ती चली गई.
शिशु की सेहत
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वजन पर दें ध्यान
जन्म के समय जिन बच्चों का वजन चार किलोग्राम या उससे ज्यादा होता है, वह बड़े हो कर मोटापे का शिकार हो सकते हैं. इसीलिए इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि गर्भवती महिलाएं अत्यधिक खानपान से दूर रहें, कसरत करती रहें और उन्हें डायबिटीज न हो.
मां से जुड़ाव
बच्चे मां का स्पर्श, उसकी खुशबू को पहचानते हैं. अक्सर कहा जाता हैं कि मां बच्चे की रुलाई पिता से बेहतर पहचानती है. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं, मां और बाप दोनों अपने बच्चे की रोने की आवाज यकीन के साथ और समान रूप से पहचान सकते हैं.
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सुनहरे सपने
हर बच्चे की नींद का पैटर्न अलग होता है, लेकिन कुल मिला कर नवजात शिशुओं को करीब 16 घंटे की नींद की जरूरत होती है. जैसे जैसे उम्र बढ़ती है यह कम होती जाती है.
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मां का दूध
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जन्म के बाद छह महीने तक तो बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए. थाईलैंड में सिर्फ पांच फीसदी महिलाएं बच्चों को अपना दूध पिलाती हैं. भारत अभी भी इससे बचा है. यूनिसेफ ने कहा कि इस मामले में दुनिया को भारत से सीख लेनी चाहिए.
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हाई टेक बच्चे
इन दिनों बहुत कम उम्र के बच्चों के लिए भी कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर ऐप उपलब्ध हैं, जो बच्चों के विकास में मददगार हैं. पहले दो सालों में दिमाग का आकार तीन गुना बढ़ जाता है, जो कि चीजों को छूने, फेंकने, पकड़ने, काटने, सूंघने, देखने और सुनने जैसी गतिविधियों से मुमकिन होता है.
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मां का तनाव
गर्भावस्था के समय कई बातों का सीधा असर पैदा होने वाले बच्चे और उसके आगे के जीवन पर पड़ता है. यदि गर्भवती महिला तनाव में है तो बच्चे तक पोषक तत्व नहीं पहुंचते. इसी तरह जन्म के बाद भी मां का अपनी सेहत पर ध्यान देना जरूरी है.
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दवाओं से दूर
छोटे बच्चों को अक्सर दवाओं से दूर रखने की कोशिश की जाती है. खास तौर से एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बच्चों के लिए हानिकारक होता है. इनसे शरीर के फायदेमंद जीवाणु मर जाते हैं. मोटापा, दमा और पेट की बीमारियां बढ़ती हैं.
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स्वस्थ जीवन
बच्चों के लिए दुनिया बेहतर बन रही है. पिछले एक दशक में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है.
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भारत के कई गांवों की तरह नेपाल के इन गांवों में भी महिलाएं इस तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में बात करने में झिझकती हैं. काठमांडू में सरकारी स्वास्थ्य विभाग में पिछले बीस सालों से गर्भाशय भ्रंश के मरीजों का इलाज कर रही अरुणा उप्रेती कहती हैं, "ऐसा कम उम्र की युवतियों के साथ ज्यादा होता है क्योंकि उनका शरीर कम उम्र में शादी और फिर बच्चा हो जाने का भार नहीं उठा पाता और वे कुपोषण का शिकार हो जाती हैं." साथ ही उन्होंने बताया कि ज्यादातर औरतें घर पर ही बच्चों को जन्म देती हैं जिससे उनके गर्भाशय को और भी खतरा रहता है.
शर्मनाक स्थिति
नेपाल में हजारों महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद आराम करने का पर्याप्त मौका नहीं मिल पाता है और खेतों इत्यादि में काम करना पड़ता है. 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भाशय भ्रंश के बढ़ते मामलों को महिलाओं के बच्चा पैदा करने के अधिकार का हनन बताते हुए सरकार को इस पर जल्द कदम उठाने के आदेश दिए थे. सरकार ने इस बारे में प्रचार किया और सर्जरियों का खर्च भी उठाया.
लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सर्जरी केवल बहुत ही खराब हो चुके मामलों में की जानी चाहिए. उनका यह भी कहना है कि सर्जरी द्वारा गर्भाशय निकाले जाने के कारण कई युवतियां, जो आगे और बच्चे होने की उम्मीद करती हैं वे मदद के लिए आगे नहीं आतीं. डॉक्टर उप्रेती ने बताया कि इसके अलावा गर्भाशय को सहारा देने वाली सिलिकॉन रिंग की तकनीक महंगी है. उन्होंने कहा, "यह नेपाल के लिए शर्म की बात है कि 21वीं सदी में देश में इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं बीमार हैं."