तुर्की ने अपने नागरिकों को अमेरिका न जाने की सलाह दी है. तुर्की ने कहा है कि अगर तुर्की के नागरिक अमेरिका जाते हैं तो संभव है कि उन्हें मनमाने ढंग से गिरफ्तार कर लिया जाए.
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तुर्की ने अपने नागरिकों को अमेरिका यात्रा को लेकर चेतावनी जारी की है. तुर्की ने कहा है कि यहां के लोगों को अमेरिका में बेवजह गिरफ्तार किया जा सकता है. इन जोखिमों के बाद भी अगर नागरिक जाने का फैसला लेते हैं तो वे एहतियात बरतें. तुर्की के विदेश मंत्रालय की ओर से यह बयान, अमेरिकी चेतावनी के बाद आया है. कुछ दिनों पहले अमेरिका ने अपने नागरिकों को कुछ ऐसी ही चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि अमेरिकी नागरिक तुर्की जाने की योजना बनाने से पहले आतंकवाद और बेवजह गिरफ्तारियों के बारे में भी विचार करें.
तुर्की और अमेरिका दोनों ही सैन्य संगठन नाटो के सदस्य है. साथ ही आतंकी गुट आईएसआईएस के खिलाफ भी दोनों देश साथ खड़े हैं. लेकिन फिलहाल दोनों देशों के रिश्ते तनाव के दौर से गुजर रहे हैं. ईरान प्रतिबंध से जुड़े मामले को लेकर पिछले दिनों अमेरिका में तुर्की के एक बैंकर को गिरफ्तार कर लिया गया था. जिसके बाद दोनों देशों में तनाव नजर आ रहा है.
तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा, "अमेरिका में मनमाने ढंग से तुर्की के नागरिकों को किसी के भी बयान के बाद गिरफ्तार किया जा सकता है." तुर्की के मुताबिक, "बैंकर के खिलाफ मामला गलत सबूतों पर आधारित है. साथ ही उलेमा फतेह उल्लाह गुलेन का नेटवर्क इसे समर्थन दे रहा है." तुर्की, फतेह उल्लाह को साल 2016 के असफल तख्तापलट के लिए दोषी ठहराता है. फतेह उल्लाह साल 1999 से अमेरिका में निर्वासन में रह रहा है. लेकिन उन्होंने ऐसे किसी भी आरोप का खंडन किया है.
तुर्की है पत्रकारों के लिए सबसे बड़ी जेल
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) के आंकड़ों मुताबिक साल 2017 में दुनिया भर के 65 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की मौत हो गई. बीते 14 सालों के मुकाबले इसमें कमी आई है.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
दुनिया में खतरनाक
आरएसएफ ने अपनी रिपोर्ट में गृह युद्ध से जूझ रहे सीरिया को पत्रकारों के लिए बेहद ही खतरनाक देश बताया है. आरएसएफ के मुताबिक साल 2017 में यहां 12 पत्रकार मारे गए. इसके बाद मेक्सिको का स्थान आता है जहां 11 पत्रकारों को हत्या कर दी गई.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
एशिया में खतरनाक
वहीं एशिया में फिलीपींस को पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश बताया गया है. यहां पांच पत्रकारों को गोली मार दी गयी, जिनमें से चार की मौत हो गई. हालांकि ये सिलसिला फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे की एक टिप्पणी के बाद बढ़ा. डुटेर्टे ने कहा था, "आप सिर्फ एक पत्रकार है इसलिए सजा से नहीं बच सकते"
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कम हुए मामले
संस्था के मुताबिक पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में साल 2017 अच्छा माना जा सकता है. रिपोर्ट मुताबिक पिछले 14 सालों में पत्रकारों के खिलाफ होने वाले अपराधों में साल 2017 के दौरान कमी आई है. जो 65 पत्रकार और मीडिया कर्मी इस साल मारे गये, उनमें से 39 की हत्या की गयी वहीं अन्य ड्यूटी पर रहते हुए किसी न किसी परिस्थिति का शिकार बने.
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बेहतर ट्रेनिंग का नतीजा
संस्था ने इस साल पत्रकारों की मौत का संख्या कम रहने का एक कारण परीक्षण को दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अब पत्रकारों को युद्ध क्षेत्र में भेजने के लिए अधिक प्रशिक्षित किया जाता है. साथ ही ऐसे देश जहां उन्हें खतरे का अंदाजा होता है वे वहां से निकल आते हैं.
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यहां गये जेल
तुर्की दुनियाभर के पत्रकारों के लिए साल 2017 में सबसे बड़ी जेल साबित हुई. यहां तकरीबन 42 पत्रकारों को सलाखों के पीछे भेज दिया गया. हालांकि ब्लॉगर्स के मामले में चीन ने सबसे अधिक 52 ब्लॉगर्स को जेल भेज कर अपना ये रिकॉर्ड कायम रखा.
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अन्य जेल
चीन और तुर्की के बाद जिन देशों में पत्रकारों को सबसे अधिक जेल का सामना करना पड़ा उनमें, 24 पत्रकारों के साथ सीरिया, 23 पत्रकारों के साथ ईरान और 19 पत्रकारों के साथ वियतनाम का नंबर आता है.
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भारत के ये मामले
साल 2017 भारत भी पत्रकारों के लिए सुरक्षित साबित नहीं हुआ. सितंबर में कन्नड़ पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलूरु में हत्या कर दी गयी. इसके अलावा त्रिपुरा के पत्रकार शांतनु भौमिक पर एक कार्यक्रम के दौरान अचानक हमला कर दिया गया जिसमें उनकी मौत हो गई. वहीं त्रिपुरा के एक अन्य पत्रकार सुदीप दत्त पर एक झगड़े के दौरान त्रिपुरा स्टेट राइफल्स के एक अधिकारी ने हमला कर दिया था. इसमें उनकी मौत हो गई.
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इन चेतावनियों से पहले दोनों देशों ने पिछले साल दिसंबर में ही एक-दूसरे के खिलाफ लगाए गए सभी वीजा प्रतिबंध हटा दिए थे. साथ ही वीजा से जुड़े लंबे विवादित मुद्दे भी खत्म कर दिए थे. लेकिन अब दोनों देशों के बीच तनाव फिर दिख रहा है.