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तुर्की का सामना कर रहे कुर्दों की मदद करने चली सीरियाई सेना

१४ अक्टूबर २०१९

तुर्की का हमला झेल हरे सीरियाई कुर्दों ने सीरिया की सरकार से मदद पाने पर समझौते का एलान किया है. सीरिया की सरकारी सेना उत्तरी सीमा की ओर बढ़ रही है. तुर्की की कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है.

Syrien Regierung Armee ARCHIV
फाइल तस्वीर: Imago-Images/Xinhua/A. Safarjalani

रविवार को अमेरिका ने सीरिया से पूरी तरह जमीनी सेना की वापसी का हुक्म दिया. इसके कुछ ही देर बाद सीरियाई कुर्दों ने समझौते का एलान किया. अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा कि तुर्की आगे बढ़ रहा है ऐसे में अमेरिका ने अपने 1000 सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है. बुधवार को उत्तरी सीमा पर हमले का एलान करने के साथ ही तुर्की ने जमीनी और हवाई हमले तेज कर दिए हैं. इस हमले में सैकड़ों आम नागरिकों और कुर्द लड़ाकों की मौत हुई है. रविवार को इस हमले का फायदा उठाते हुए बड़ी संख्या में इस्लामिक स्टेट के कैदी जेल से भाग गए हैं.

लंबे समय से इस्लामिक स्टेट के खिलाफ जंग में अमेरिका का साथ दे रहे कुर्दों को धोखे का अहसास हो रहा है. इस मुश्किल घड़ी में कुर्द सीरियाई सरकार से हुए समझौते को अहम मान रहे हैं. कुर्द प्रशासन ने बयान जारी कर कहा है, "इस हमले से बचने और इसका सामना करने के लिए सीरियाई सरकार से एक समझौता हुआ है... ताकि सीरिया की सेना सीरिया तुर्की सीमा पर सीरियाई डेमोक्रैटिक फोर्सेज (एसडीएफ) की मदद के लिए तैनात होगी." इस बयान से कुछ ही देर पहले सीरिया की सरकारी समाचार एजेंसी समना ने कहा कि सेना उत्तर की तरफ "तुर्की के आक्रमण का सामना" करने के लिए अपने सैनिकों को भेज रही है.

कुर्द नेता हेवरिन खलाफ के अंतिम संस्कार में कुर्द लड़ाके. खलाफ की मौत तुर्की के हमले में हुई. तस्वीर: AFP/D. Souleiman

फॉरेन पॉलिसी मैगजीन में छपे एक संपदाकीय में एसडीएफ के प्रमुख मजलुम आबदी ने लिखा है, "अगर हमें समझौतों और अपने लोगों के नरसंहार में किसी एक को चुनना होगा तो निश्चित रूप से हम अपने लोगों की जिंदगी चुनेंगे."

कुर्द प्रशासन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने चेतावनी दी है कि इस हमले की वजह से एक बड़ा मानवीय संकट पैदा हो सकता है. दसियों हजार लोग पहले ही अपने घर छोड़ कर भाग चले हैं. इसके साथ ही चेतावनी यह भी दी जा रही है कि इस्लामिक स्टेट के लड़ाके इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं. मानवाधिकार पर नजर रखने वाली सीरियाई एजेंसी का कहना है कि रविवार को कम से कम 26 आम लोगों की मौत हुई है. मरने वालों में साद अहमद नाम के एक पत्रकार भी हैं जो कुर्द समाचार एजेंसी एनएचए के लिए काम करते थे. सीरिया की सीमा में 60 आम लोगों के मरने की बात कही जा रही है. जबकि तुर्की ने कुर्दों की गोलाबारी में 18 लोगों के मरने की बात कही है. 

इस बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा है कि तुर्की के हमले की वजह से "असहनीय मानवीय त्रासदी की स्थिति" पैदा होने का खतरा है. फ्रांस ने तुर्की को हथियारों के निर्यात पर रोक लगा दी है. माक्रों ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने राष्ट्रपति ट्रंप और एर्दोवान से अलग अलग बात की है. इस बातचीत में दोनों राष्ट्रपतियों को साफ संदेश दिया गया है, "हमारी संयुक्त इच्छा है कि इस हमले को रोका जाए. इधर तुर्की को हथियारों की आपूर्ति करने वाले प्रमुख देश इटली का कहना है कि वह तुर्की को हथियारों के निर्यात पर रोक लगाने के लिए यूरोपीय संघ पर दबाव बनाएगा.

पेरिस में कुर्दों के पक्ष में प्रदर्शन.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/F. Mori

उत्तरी सीरिया में कुर्द प्रशासन का कहना है कि विस्थापितों के एक कैंप के पास बम हमले में इस्लामिक स्टेट के सदस्यों के 800 रिश्तेदार फरार हो गए हैं. कुर्दों के गिरफ्त में करीब 12,000 इस्लामिक स्टेट के लड़ाके हैं. इसमें सीरिया और इराक के साथ ही 54 दूसरे देशों के लोग शामिल हैं.

रविवार को ट्रंप ने ट्वीट किया, "अमेरिका के पास सबसे बुरे आईएसआईएस कैदी हैं." इसके साथ ही उन्होंने लिखा, "कुर्दों और तुर्की को उन्हें भागने नहीं देना चाहिए."

एनआर/आईबी (एएफपी)

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