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तुर्की के चुनावों में एर्दोआन की पार्टी हारी

८ जून २०१५

तुर्की के चुनावों में राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोआन को बड़ा झटका लगा है. 13 साल से सत्ता में रहे एर्दोआन की पार्टी इस बार संसद में बहुमत हासिल नहीं कर पाई और अन्य पार्टियों ने उसके साथ गठबंधन बनाने से इंकार कर दिया है.

Recep Tayyip Erdogan
तस्वीर: Reuters/M. Sezer

रविवार को हुए मतदान में एर्दोआन की जस्टिस एंड डेवलपमेंट एकेपी पार्टी को मात्र 41 फीसदी वोट ही मिले हैं. रिपोर्टों के अनुसार एकेपी को 550 में से 258 सीटें मिलने की संभावना है. सत्ता में आने के लिए पार्टी को और 18 सीटों को जरूरत है. आधिकारिक रूप से नतीजे आ जाने के बाद तुर्की में 45 दिन के भीतर नई सरकार बननी है. ऐसे में एकेपी के लिए छोटी पार्टियों का साथ जरूरी है, लेकिन तीनों विपक्षी पार्टियां एचडीपी, सीएचपी और एमएचपी एकेपी का साथ देने से इंकार करती नजर आ रही हैं.

वहीं कुर्दिस्तान के लिए सालों से चल रहे संघर्ष का समर्थन करने वाली एचडीपी पार्टी को पहली बार 13 प्रतिशत वोट मिले हैं. संसद में पहुंचने के लिए कम से कम दस फीसदी वोट हासिल करना जरूरी है. एकेपी के लिए यह सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है. पार्टी एचडीपी से संसद के अंदर और बाहर समर्थन की उम्मीद कर रही थी. लेकिन एचडीपी के नेता सलाहत्तीन देमिर्तास ने कहा, "हमने अपने लोगों से वादा किया है कि हम एकेपी के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं होने देंगे. इस बात को ले कर हमारा पक्ष बिलकुल साफ है."

इसके अलावा रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी सीएचपी को 25 फीसदी और नेशनलिस्ट मूवमेंट पार्टी एमएचपी को 16.5 फीसदी वोट मिले हैं. इसके साथ सीएचपी को 132, एमएचपी को 81 और एचडीपी को 79 सीटें प्राप्त हुई हैं.

निरंकुश शासन का डर

2002 में सत्ता में आने के बाद से तुर्की की राजनीति में एकेपी का ही दबदबा रहा है. 2011 में हुए चुनावों में एकेपी को लगभग पचास फीसदी वोट मिले थे. लेकिन आर्थिक संकट और एर्दोआन के इर्दगिर्द रहे विवादों के कारण पिछले कुछ समय में पार्टी की लोकप्रियता में कमी आई है. इस बार के चुनाव प्रचार में एर्दोआन ने संविधान में बड़े बदलावों की बात कही थी. हालांकि इसके लिए उन्हें संसद में दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ती. ऐसे में मात्र 41 फीसदी वोटों से पार्टी की योजनाएं धाराशायी हो गयी हैं. वहीं राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर अहमेत इनसेल का कहना है, "एकेपी चुनाव नहीं हारी है लेकिन एर्दोआन की तुर्की की प्रणाली बदलने की सभी उम्मीदें खत्म हो गयी हैं." विपक्ष का मानना था कि इस बार एर्दोआन की जीत से देश में निरंकुश शासन की शुरुआत हो सकती थी.

अगला कदम क्या होगा, इस बारे में पार्टी सोच विचार कर रही है. सोमवार को अंकारा में एकेपी मुख्यालय की बालकनी से लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष अहमेत दावुतोग्लू ने कहा, "चुनाव का विजेता एक बार फिर एकेपी है, इसमें कोई शक नहीं." पारंपरिक रूप से चुनाव जीतने के बाद ही पार्टी अध्यक्ष इस बालकनी में आ कर भाषण देता है. दावुतोग्लू ने कहा, "हमारे लोगों का फैसला अंतिम है. यह सबसे अहम है और हम उनके मुताबिक ही काम करेंगे."

आईबी/एमजे (एपी, एएफपी)

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