तुर्की के राष्ट्रपति ने अरब देशों को क्यों 'गद्दार' कहा
३ फ़रवरी २०२०
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान ने मध्य पूर्व को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नई योजना पर सवाल उठाया है और इसका समर्थन करने वाले अरब देशों को 'गद्दार' कहा है.
विज्ञापन
हाल में तुर्की की राजधानी अंकारा में एक रैली के दौरान राष्ट्रपति एर्दोवान सऊदी अरब समेत अमेरिका का साथ देने वाले अरब देशों पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा, "कुछ अरब देश इस योजना का समर्थन कर रहे हैं. वे ना सिर्फ येरुशलम के खिलाफ, बल्कि खुद अपने लोगों और सबसे अहम पूरी मानवता से गद्दारी कर रहे हैं."
एर्दोवान इस्राएल के कड़े आलोचक हैं और फलस्तीनी लोगों की तरफ झुकाव रखते हैं. उन्होंने ट्रंप की योजना का समर्थन करने वाले देशों में सऊदी अरब, ओमान, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात का नाम लिया और उनके रुख पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "खास तौर से सऊदी अरब, तुम खामोश हो. तुम कब बोलोगे. तुम ओमान, बहरीन और इसी तरह अबु धाबी की तरफ देख रहे हो. शर्म करो, शर्म करो. (ट्रंप की योजना पर) ताली बजाने वाले हाथ अपनी इस गद्दारी का हिसाब कैसे देंगे." एर्दोवान ने कहा कि उनका देश पूरी तरह इस योजना को खारिज करता है जो "बुनियादी तौर पर फलस्तीन को तबाह करता है और येरुशलम के टुकड़े करता है."
पिछले दिनों राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से पेश मध्य पूर्व योजना में इस्राएल को पश्चिमी तट और जॉर्डन घाटी का नियंत्रण दिया गया है. साथ ही इस योजना के मुताबिक येरुशलम में कई अहम धार्मिक स्थल इस्राएल के पास ही रहेंगे. ट्रंप ने कहा कि येरुशलम इस्राएल की "अविभाजित राजधानी" रहेगा. अमेरिका येरुशलम को पहले ही इस्राएल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे चुका है और 2017 में उसने वहां अपना दूतावास भी खोल दिया.
मुस्लिम देश इस्राएल को मध्यपूर्व में विवादों का केंद्र कहते हैं. एक तरफ उसके आलोचक हैं तो दूसरी तरफ उसके मित्र. लेकिन इस रस्साकसी से इतर बहुत कम लोग जानते हैं कि इस्राएल आखिर कैसा है.
तस्वीर: picture-alliance/ dpa/dpaweb
राष्ट्र भाषा
आधुनिक हिब्रू के अलावा अरबी इस्राएल की मुख्य भाषा है. ये दोनों 1948 में बने इस्राएल की आधिकारिक भाषाएं हैं. आधुनिक हिब्रू 19वीं सदी के अंत में बनी. पुरातन हिब्रू से निकली आधुनिक हिब्रू भाषा अंग्रेजी, स्लाविक, अरबी और जर्मन से भी प्रभावित है.
तस्वीर: Fotolia/Ivan Montero
छोटा सा देश
1949 के आर्मिस्टिक समझौते के मुताबिक संप्रभु इस्राएल का क्षेत्रफल सिर्फ 20,770 वर्ग किलोमीटर है. इस समझौते पर मिस्र, लेबनान, जॉर्डन और सीरिया ने दस्तखत किए थे. लेकिन फिलहाल पूर्वी येरुशलम से लेकर पश्चिमी तट तक इस्राएल के नियंत्रण में 27,799 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है. इस्राएल के उत्तर से दक्षिण की दूरी 470 किमी है. देश का सबसे चौड़ा भूभाग 135 किलोमीटर का है.
अनिवार्य सैन्य सेवा
इस्राएल दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां नागरिकों और स्थायी रूप से रहने वाली महिला व पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है. 18 साल की उम्र के हर इस्राएली को योग्य होने पर तीन साल सैन्य सेवा करनी पड़ती है. महिलाओं को दो साल सेना में रहना पड़ता है.
तस्वीर: dapd
फलीस्तीन के समर्थक
नेतुरेई कार्टा का मतलब है कि "सिटी गार्ड्स." यह 1939 में बना एक यहूदी संगठन है. यह इस्राएल की स्थापना का विरोध करता है. इस संगठन का कहना है कि एक "यहूदी मसीहा" के धरती पर आने तक यहूदियों को अपना देश नहीं बनाना चाहिए. इस संगठन को फलीस्तीनियों का समर्थक माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
राष्ट्रपति पद ठुकराया
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइनस्टाइन भले ही पूजा नहीं करते थे, लेकिन जर्मनी में यहूदियों के जनसंहार के दौरान उनका यहूदी धर्म की तरफ झुकाव हो गया. उन्होंने यहूदी आंदोलन के लिए धन जुटाने के लिए ही अमेरिका की पहली यात्रा की. बुढ़ापे में उन्हें इस्राएल का राष्ट्रपति बनने का न्योता दिया गया, आइनस्टाइन ने इसे ठुकरा दिया.
तस्वीर: Imago/United Archives International
ईश्वर को चिट्ठियां
हर साल येरुशलम के डाक घर को 1,000 से ज्यादा ऐसे खत मिलते हैं, जो भगवान को लिखे जाते हैं. ये चिट्ठियां कई भाषाओं में लिखी होती हैं और विदेशों से भी आती हैं. ज्यादातर खत रूसी और जर्मन में होते हैं.
तस्वीर: Fotolia/V. Kudryashov
येरुशलम की पीड़ा
इतिहास के मुताबिक येरुशलम शहर दो बार पूरी तरह खाक हुआ, 23 बार उस पर कब्जा हुआ, 52 बार हमले हुए और 44 बार शहर पर किसी और का शासन हुआ. गिहोन झरने के पास शहर का सबसे पुराना इलाका है, कहा जाता है कि इसे 4500-3500 ईसा पूर्व बनाया गया. इसे मुसलमानों, ईसाइयों और यहूदियों का पवित्र शहर कहा जाता है.
तस्वीर: DW/S. Legesse
पैसेंजर फ्लाइट का रिकॉर्ड
24 मई 1991 को इस्राएली एयरलाइन कंपनी एल अल का बोइंग 747 विमान 1,088 यात्रियों को लेकर इस्राएल पहुंचा. किसी जहाज में यह यात्रियों की रिकॉर्ड संख्या है. इथियोपिया के ऑपरेशन सोलोमन के तहत यहूदियों को अदिस अबाबा से सुरक्षित निकालकर इस्राएल लाया गया.
तस्वीर: JACK GUEZ/AFP/Getty Images
खास है मुद्रा
इस्राएली मुद्रा शेकेल दुनिया की उन चुनिंदा मुद्राओं में से है जिनमें दृष्टिहीनों के लिए खास अक्षर हैं. दृष्टिहीनों की मदद करने वाली मुद्राएं कनाडा, मेक्सिको, भारत और रूस में भी हैं.
तस्वीर: picture alliance/landov
9 तस्वीरें1 | 9
फलस्तीनी नेताओं ने इस योजना को खारिज कर दिया है. एर्दोवान ने कहा, "अगर आज हम अल अक्सा मस्जिद की पवित्रता की रक्षा करने में नाकाम रहे, तो फिर हम कल शैतान की आंख से काबा को भी नहीं बचा पाएंगे." एर्दोवान का इशारा इस्लाम की सबसे पवित्र जगहों में से दो की तरफ था. काबा मक्का में है जबकि येरुशलम की अल अक्सा मस्जिद मुसलमानों के लिए तीसरा सबसे पवित्र स्थल है. एर्दोवान ने कहा, "इसीलिए हम कहते हैं कि येरुशलम हमारे से लिए लक्ष्मण रेखा है."
एर्दोवान ने कहा, जो भी इस्राएल को प्रोत्साहन दे रहा है उसे गंभीर परिणामों के लिए तैयार चाहिए. तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि वह इस बारे में फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और हमास के नेता इस्लाइल हानिया से बात करेंगे.
इस्तांबुल के सऊदी कंसुलेट में 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब और अबु धाबी के साथ तुर्की के रिश्ते खराब हुए हैं. तुर्की का कहना है कि सऊदी नेतृत्व के कहने पर खशोगी की हत्या हुई जो अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में लिखते थे. सऊदी अरब ऐसे सभी आरोपों से इनकार करता है. वहीं लीबिया में जारी संकट में तुर्की संयुक्त राष्ट्र की मान्यता वाली सरकार का समर्थन करता है जबकि सऊदी अरब और यूईए इस सरकार के खिलाफ लड़ रहे पूर्वी कमांडर खलीफा हफ्तार का समर्थन करते हैं. लीबिया के तीन चौथाई हिस्से पर हफ्तार का ही नियंत्रण है.
कभी अमेरिका के साथ अच्छे संबंधों के चलते, तो कभी फलस्तीनियों के साथ विवाद के चलते इस्राएल चर्चा में बना रहता है. लेकिन पर्यटन के लिहाज से भी यह देश बेहद ही खूबसूरत है. यहां मौजूद धार्मिक स्थलों की भी काफी मान्यता है.
तस्वीर: picture-alliance/Design Pics/R. Meinse
तेल-अवीव-जाफा
बेशुमार आर्ट गैलेरियां, रेस्तरां, बार और क्लबों वाले इस शहर को काफी उदार, कॉस्मोपॉलिटन और सुकून वाला माना जाता है. साल 1909 में इस शहर की स्थापना हुई थी और पुराने बंदरगाह शहर जाफा को इसमें मिलाया गया. इसलिए शहर का सही नाम तेल-अवीव-जाफा है. यह इस्राएल का दूसरा सबसे बड़ा शहर और एक पॉपुलर टूरिज्म डेस्टिनेशन है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Kaufhold
समंदर के किनारे
इस्राएल की 270 किलोमीटर लंबी भूमध्यसागरीय तट रेखा है. तेल अवीव शहर का बीच ही 14 किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां सनबाथ, तैराकी और वाटर-स्पोर्ट्स के लिए भरपूर जगह है. इस्राएल के दक्षिणी हिस्से में लाल सागर को छूता शहर एलत गोताखारी के लिए बेहतरीन जगह माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Grimm
वास्तुशिल्प
वास्तुशिल्प के प्रशंसकों के लिए तेल-अवीव एक अच्छी सौगात हो सकती है. व्हाइट सिटी नाम से मशहूर तेल-अवीव अपनी बाउहाउस शैली की इमारतों के लिए मशहूर हैं. शहर की करीब 4000 से ज्यादा प्रॉपर्टी यूनेस्को विश्व धरोहरों की सूची में शामिल हैं. साल 1920 से 1940 के दशक के दौरान इस्राएल के हाइफा और येरुशलम जैसे शहरों में बाउहाउस शैली के कई घर बनाए गए थे.
तस्वीर: picture-alliance/Hanan Isachar
मृत सागर
अगर कोई मृत सागर में बैठकर अखबार के पन्ने पलटने की ख्वाहिश रखता है तो ऐसा किया जा सकता है. लवण की अधिकता और जल का उच्च घनत्व यह सुनिश्चित करता है कि इंसान का शरीर जल की ऊपरी सतह पर ही बना रहे. ऐसा करना स्वास्थ्यवर्धक भी है. पानी में मौजूद खनिज पदार्थ और मिट्टी त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं के इलाज में उपयुक्त मानी जाती है.
इस्राएल-फलस्तीन के बीच येरुशलम विवाद की अहम जड़ है. यहां विवाद शहर के पूर्वी हिस्से से जुड़ा है. जहां येरुशलम के सबसे महत्वपूर्ण यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धार्मिक स्थल हैं. यहां दुनिया का सबसे पुराना और अभी भी इस्तेमाल हो रहा यहूदी कब्रिस्तान है. इस्लाम में तीसरा सबसे अहम धार्मिक स्थल माने जाने वाली अल अक्सा मस्जिद भी यहां मौजूद है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/O. Messinger
याद वेशम
येरुशलम में ही याद वेशम होलोकास्ट मेमोरियल म्यूजियम है. नाजी दौर में साल 1933-1945 के बीच जर्मनी में यहूदियों पर किए गए अत्याचारों की पीड़ा यह म्यूजियम बयां करता है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी इस्राएल यात्रा के दौरान इस म्यूजियम का दौरा किया था.
तस्वीर: picture-alliance/Dumont/E. Wirba
कीबुत्स
कीबुत्सम का विचार इस्राएल के साथ नजदीकी तौर पर जुड़ा है. यहां गांवों में लोग एक सामाजिक समुदाय बना कर रहते थे. ये समुदाय मुख्यत: कृषि पर निर्भर होते थे. आज कुछ ही इस्राएली ऐसे रहते हैं. पहला कीबुत्स दीगानिया साल 1910 में बनाया गया था जिसे आज भी देखा जा सकता है. कुछ कीबुत्स में पर्यटक रात में ठहर भी सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Peteranderl
इस्राएली भोजन
इस्राएली शहरों में हर कोने पर आपको फलों का ताजा जूस बेचने वाली दुकानें नजर आएंगी. यहां स्थानीय खाने से लेकर आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई वैरायटी भी मिलेगी. यदि आप खुद खाना बनाना पसंद करते हैं तो आपको ताजा सब्जियां, मसाले आदि भी आराम से मिल सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/DUMONT Bildarchiv
बैथलेहम
इस्राएल में आप उस जगह भी जा सकता है जिसे यीशु की जन्मस्थली माना जाता है. यह चर्च यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है. चर्च ऑफ नेटिविटी में ईसा मसीह का जन्म हुआ था. चर्च के निचले हिस्से में वह गुफा है जहां उनका जन्म हुआ था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/N. Nasser
गेलीली सागर
इस्राएल में लोग इस झील को किनेरेट कहते हैं. यह इस्राएल में मीठे पानी का सबसे बड़ा जलाशय है. बाइबिल में भी अकसर इसका जिक्र आता है और इसे यीशु की जिंदगी की सबसे अहम जगहों में से एक माना जाता है. धार्मिक-ऐतिहासिक यात्रा के बाद पर्यटक चाहें तो यहां पानी में कूदकर खुद को तरोताजा भी कर सकते हैं. (लीना एल्टर/ एए)