तुर्की का कहना है कि उसकी सेना सीरिया के कुर्दों पर सैन्य कार्रवाई किए बिना वापस नहीं लौटेगी. सीरिया ने तुर्की को चेतावनी देते हुए कहा है कि यह कोई "पिकनिक" नहीं है.
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तुर्की के रक्षा मंत्री नुरेतिन कानिक्ली ने हाबेर टेलिविजन से बात करते हुए कहा कि पश्चिमोत्तर सीरिया के कुर्द उसके लिए बड़ा खतरा बने हुए हैं. पश्चिमोत्तर सीरिया में आफरिन समेत कुछ इलाके कुर्दों के नियंत्रण में हैं. तुर्क रक्षा मंत्री के मुताबिक कुर्द नियंत्रित इलाकों के "आतंकवादी" तुर्की के लिए असली और लगातार बढ़ने वाला खतरा हैं.
तुर्क सेना ने कुर्द इलाकों में बमबारी शुरू कर दी है. सीरिया के कुर्द गुटों को चेतावनी देते हुए कानिक्ली ने कहा, "'ऑपरेशन होकर रहेगा, आतंकवादी संगठन का सफाया किया जाएगा." तुर्की का आरोप है कि सीरिया में सक्रिय कुर्द संगठन पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स के तुर्क कुर्द अलगाववादी गुटों से रिश्ते हैं.
तुर्की चाहता है कि सीरिया से सटी उसकी सीमा पर कोई भी कुर्द गुट सक्रिय न रहे. यही वजह है कि बीते कुछ हफ्तों में तुर्की ने सीमा पर बड़ी संख्या में टैंक वाहिनी और फौज तैनात कर रखी है. रक्षा मंत्री के मुताबिक संदिग्ध ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है. तुर्क सरकार का कहना है कि सैन्य कार्रवाई के लिए योजना बनाई जा रही है. तुर्की के सैन्य ऑपरेशन को सीरिया के विद्रोहियों का भी समर्थन मिलने का दावा किया जा रहा है.
अब देखना है कि अमेरिका क्या करता है. इस्लामिक स्टेट के खिलाफ सैन्य अभियान के दौरान अमेरिका और पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स के रिश्ते काफी बेहतर हुए. कुर्दों ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाई. सीरिया, तुर्की, इराक और ईरान के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले कुर्द लंबे अरसे से कुर्दिस्तान देश की मांग कर रहे हैं. इराक में तो कुर्द इसके लिए जनमत संग्रह भी करा चुके हैं. कुर्दिस्तान की मांग के चलते ही तुर्की, इराक और ईरान कुर्दो को दुश्मन की तरह देखते हैं.
वहीं सीरिया ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सीरिया पर तुर्की के लड़ाकू विमानों ने हवाई हमला किया तो सीरियाई फाइटर जेट तुर्क विमानों को निशाना बनाएंगे. सीरिया के उप विदेश मंत्री फैसल मेकदाद ने कहा कि आफिरिन में सैन्य दखल देना तुर्की के लिए कोई "पिकनिक" नहीं हैं. दमिश्क इसे "आक्रामक हरकत" मानेगा.
कौन हैं आजादी मांग रहे कुर्द लोग
इराक में आजादी के हक में कुर्द लोगों के जनमत संग्रह ने सबका ध्यान खींचा था. चलिए जानते हैं कौन कुर्द लोग.
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आबादी और इलाका
कुर्दों की आबादी ढाई से साढ़े तीन करोड़ के बीच माना जाती है. ये लोग पांच देशों इराक, सीरिया, तुर्की, ईरान और अर्मेनिया में फैले पहाड़ी इलाके में रहते हैं.
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सहज नहीं संबंध
कुर्दों का अपना अलग देश नहीं है. लेकिन वे स्वायत्ता या फिर आजादी के लिए लंबे समय से मुहिम चला रहे हैं. इसीलिए तुर्की, इराक, सीरिया और ईरान की सरकारों से उनके संबंध सहज नहीं रहे हैं.
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कुर्दिस्तान
1992 में इराक में कुर्दिस्तान रीजनल गवर्नमेंट बनी. इराक के कुर्दिस्तान इलाके में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई संसद कुर्दिस्तान नेशनल असेंबली ने यह सरकार बनायी थी.
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आबादी में हिस्सेदारी
कुर्दिस्तान की सरकार के मुताबिक इराकी कुर्दिस्तान में 52 लाख कुर्द रहते हैं. वहीं सीआईए फैक्टबुक के अनुसार आबादी के लिहाज से सीरिया में 10 प्रतिशत, तुर्की में 19 प्रतिशत, इराक में 15-20 प्रतिशत और ईरान में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी कुर्दों की है.
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अपनी सेना
इस सरकार की अपनी संसद होने के साथ साथ सेना (पेशमर्गा) भी है. आईएस से लोहा लेने में पेशमर्गा लड़ाके अकसर सुर्खियों में रहते हैं. कुर्दिस्तान सरकार के अपने बॉर्डर और विदेश नीति भी है.
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धार्मिक विश्वास
कुर्दों में ज्यादातर लोग सुन्नी इस्लाम को मानने वाले हैं, लेकिन इस समुदाय में कई और धर्मों के मानने वाले लोग भी शामिल हैं. साझा संस्कृति इन लोगों को आपस में जोड़ती है.
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अलग देश का सपना
ऑटोमन साम्राज्य के पतन और पहले विश्व युद्ध के बाद विजेता पश्चिमी गठबंधन ने 1920 की सेवरेस संधि में कुर्दों के अलग देश का प्रावधान रखा था, लेकिन बीते 80 साल में ऐसी हर कोशिश को कुचला गया है.
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विरोध
कुर्दिस्तान में अलग देश के समर्थन में हुए जनमत संग्रह को न सिर्फ इराक ने खारिज किया है, बल्कि तुर्की के राष्ट्रपति ने इस इलाके की नाकेबंदी कर देने की धमकी दी है.
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तुर्की और ईरान का डर
तुर्की और ईरान को लगता है कि ऐसे जनमत संग्रह के चलते उनके यहां भी कुर्द आजादी की मांग उठा सकते हैं. इन दोनों देशों के कुर्दिस्तान इलाके के साथ व्यापारिक संबंध हैं, जिन्हें अब वे खत्म करने की धमकी दे रहे हैं.
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अमेरिका भी साथ नहीं
कई पश्चिमी देशों ने भी कुर्दों के जनमत संग्रह को मानने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि इससे मध्यपूर्व में हालात और भी अस्थिर होंगे. हालांकि कुर्दों के लिए अधिक स्वायत्ता की कई देश पैरवी करते हैं.