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तुर्की को अमेरिका और ईयू की चेतावनी

आरपी/एमजे (एपी)१८ जुलाई २०१६

तुर्की में एर्दोआन सरकार का तख्ता पलटने की सेना की असफल कोशिश के बाद भी देश में अस्थिरता बनी हुई है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने तुर्की को हर हाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को बरकरार रखने को कहा.

Belgien John Kerry und Federica Mogherini EU Außenministertreffen in Brüssel
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Thys

सैनिक विद्रोह की विफलता के बाद राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोआन के नेतृत्व में तुर्की की सरकार पर इस राजनीतिक मौके का फायदा उठाकर अपने आलोचकों को निशाना बनाने के आरोप लग रहे हैं. ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ की बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई. ईयू के विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी हिस्सा लिया.

ईयू और अमेरिका ने सेना के तख्तापलट की कोशिश के बाद तुर्की सरकार की प्रतिक्रिया पर चर्चा की. नाटो के सदस्य और ईयू की सदस्यता पाने के इच्छुक तुर्की को लोकतंत्र और मानवाधिकार के क्षेत्र में हर हाल में अपना रिकॉर्ड अच्छा रखना होगा. राष्ट्रपति एर्दोआन की सरकार सैनिक विद्रोह से जुड़े सैन्यकर्मियों के अलावा न्यायपालिका को भी निसाना बना रहे हैं. बहुत से सरकारी वकीलों और जजों को हटा दिया गया है.

तस्वीर: picture-alliance/abaca/T. Adanali

अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी के साथ प्रेस को संबोधित करते हुए ईयू की विदेश नीति प्रमुख फेडेरिका मोगेरिनी ने कहा, "देश को मूल अधिकारों और कानून व्यवस्था से दूर ले जाने का यह कोई बहाना नहीं हो सकता, और हमारी इस पर कड़ी नजर रहेगी." केरी ने कहा कि तुर्की को हर हाल में "देश में लोकतांत्रिक संस्थानों और कानून व्यवस्था को बरकरार" रखना होगा. तख्तापटल की साजिश रचने वालों को पकड़ने की मंशा को समझते हुए केरी ने कहा कि इस दौरान भी एक सीमा पार नहीं होनी चाहिए.

ब्रसेल्स में मिले ईयू के 28 देशों के विदेश मंत्रियों के सामने तुर्की में 6,000 से भी अधिक लोगों को पकड़े जाने का मुद्दा आया. इनमें कई सौ जज और वकील भी शामिल हैं. मोगेरिनी ने साफ कहा कि तुर्की अगर मृत्युदंड जैसी सजा को फिर से बहाल करने के बारे में सोचता है तो ईयू की सदस्यता के बारे में होने वाली बातचीत ही बंद हो जाएगी. इस बात का समर्थन जर्मनी ने भी किया.

तस्वीर: picture-alliance/abaca/T. Adanali

तुर्की की राजधानी अंकारा में शुक्रवार रात सेना के एक हिस्से ने तख्तापलट कर देश का नियंत्रण अपने हाथों में लेने का प्रयास किया था. कई महत्वपूर्ण सरकारी केंद्रो पर युद्धक विमान से हमले किए गए और शहर की सड़कों पर सेना के टैंक घूमने लगे. लेकिन विद्रोह करने वाले सेना के इस धड़े को पर्याप्त समर्थन ना मिले होने के कारण सरकार-समर्थक बलों ने इसे कुचल दिया. इस दौरान हुई हिंसा में कम से कम 294 लोग मारे गए और 1,400 से अधिक लोग घायल हुए.

कड़ी हिदायत तो अपनी जगह है लेकिन अमेरिका या ईयू भी तुर्की को नाराज नहीं करना चाहते. अमेरिका अपने इस नाटो सदस्य के साथ मिलकर इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ रहा है. वहीं यूरोप पहुंचने की कोशिश करने वाले शरणार्थियों को रोकने में ब्रसेल्स को तुर्की की मदद चाहिए.

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