अकादमिक स्टाफ के देश से बाहर जाने पर रोक लगाने के फैसले के साथ ही तुर्की सरकार के खिलाफ तख्तापलट की साजिश रचने के आरोप में करीब 50,000 लोग घिर चुके हैं. कथित मास्टरमाइंड को अमेरिका से तुर्की लाने की कोशिशें जारी.
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तुर्की के सरकारी मीडिया ने देश के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के देश से बाहर जाने पर लगे प्रतिबंध को अस्थायी बताया है. सरकार को शक है कि युनिवर्सिटी के कुछ लोग तख्तापलट की योजना से जुड़े थे.
बीते सप्ताहांत तुर्की में राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन की सरकार को पलटने के सेना के असफल प्रयास के बाद से ही सरकार ने कई व्यक्तियों और संस्थानों पर शिकंजा कसा है. सरकारी मीडिया टीआरटी ने खबर दी है कि इस्तांबुल युनिवर्सिटी ने अपने अकादमिक स्टाफ से 95 लोगों को नौकरी से हटा दिया है.
तुर्की सरकार कू की योजना का मास्टरमाइंड अमेरिका में रहने वाले धर्मोपदेशक फतेहुल्ला गुलेन को मान रही है. नौकरी से बर्खास्त सरकारी शिक्षा संस्थानों से 15,200 कर्मचारियों और प्राइवेट-सरकारी युनिवर्सिटी के 1,600 डीनों का कथित संबंध गुलेन से माना जा रहा है.
दूसरी ओर गुलेन ने कोई "आतंकी समूह" चलाने के आरोपों से इंकार किया है और अमेरिका से अंकारा के उन कथित सबूतों को ना मानने की अपील की है जिसके आधार पर उसे तुर्की भेजने की मांग की जा रही है.
तुर्की में तख्तापलट नाकाम क्यों हुआ था?
तुर्की में तख्ता पलट की यह कोई पहली कोशिश नहीं थी. इससे पहले चार बार तख्तापलट हो चुका है. लेकिन 2016 में यह विफल हो गया था. क्यों? जानिए...
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हैरतअंगेज कदम
15 जुलाई को तुर्की की राजधानी अंकारा में सैनिकों की बगावत ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि तख्तापलट की इस तरह की कोशिश हो सकती है.
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20 साल बाद
20 साल पहले 1997 में तुर्की में पिछली बार तख्तापलट हुआ था. लेकिन 2016 में ऐसा नहीं हो पाया. क्या तैयारी नहीं थी?
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इरादा तो बड़ा था
जानकारों का मानना है कि तैयारी पूरी थी और बागियों ने रणनीति भी ठोस बनाई थी. इस रणनीति को अंजाम भी सलीके से दिया गया था. फिर भी वे विफल हो गए. क्यों?
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औचक और तेज हमला
बागियों ने तेजी से कार्रवाई की. वे चौंकाने में भी कामयाब रहे. देश के तीन चार-स्टार जनरल इसके पीछे थे. तैयारी पूरी थी.
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12 बागी टीमें
12 बागी टीमों को अलग अलग जगहों पर नियंत्रण के लिए भेजा गया था. तीनों सैन्य प्रमुखों को हिरासत में ले लिया गया था. रेडियो और टेलिविजन चैनल पर भी कब्जा कर लिया गया. लेकिन गलती कहां हुई?
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तीन बड़ी गलतियां
बागियों ने तीन बड़ी गलतियां कीं. एक तो वे राष्ट्रपति एर्दोआन को काबू करने में देर कर बैठे. एर्दोआन कुछ ही मिनट पहले निकल भागने में कामयाब रहे थे.
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महल पर नाकामी
दूसरी सबसे बड़ी गलती थी, अंकारा में राष्ट्रपति महल पर कब्जे में ढील. ऐसा लगता है कि बागी महल के सुरक्षाकर्मियों की ताकत को पूरी तरह आंक नहीं पाए. सुरक्षाकर्मियों ने महल पर हमले का करारा जवाब दिया और उन्हें वहीं हरा दिया.
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पुलिस से दूरी
तीसरी गलती पुलिस के साथ निपटने में हुई. बागियों ने पुलिस को अपने साथ नहीं मिलाया था. हालांकि शुरू में पुलिस निष्पक्ष होकर सिर्फ देख रही थी. लेकिन जैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि बागी हार रहे हैं, पुलिस ने पूरी ताकत से उन्हें कुचल दिया.
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कट्टरपंथियों को छोड़ दिया
एक गलती धार्मिक कट्टरपंथियों के मामले में भी हुई थी. बागियों ने उन पर नियंत्रण नहीं किया. नतीजतन देशभर की मस्जिदों से उनके खिलाफ फरमान जारी हो गए और लोग उनके विरोध में निकल आए.
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नेताओं पर ढील
बागी तत्कालीन प्रधानमंत्री बिनाली यिल्दरिम और गृह मंत्री एफकान एला को भी गिरफ्तार नहीं कर पाए थे. वे गृह मंत्रालय पर भी कब्जा नहीं कर पाए थे.
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टीवी चैनलों पर ढील
निजी टीवी चैनलों पर कब्जा न करना भी बागियों की बड़ी गलती साबित हुई थी. इन टीवी चैनलों से उनके खिलाफ खूब प्रचार हुआ था.
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तख्तापलट की घटना के बाद पहली बार तुर्की राष्ट्रपति एर्दोआन बुधवार को अंकारा में एक सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं. आशंका जताई जा रही है कि इस बैठक के बाद वे देश में मृत्युदंड की सजा को फिर से बहाल कर सकते हैं, जिसे लेकर यूरोप के साथ संबंध खट्टे हो सकते हैं. सरकार ने कू की साजिश में शामिल होने के आरोप में अब तक 50,000 से अधिक लोगों को या तो कब्जे में लिया गया है या उनकी नौकरियों से निकाल दिया गया है.
तुर्की वायु सेना उत्तरी इराक में कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) के खिलाफ हमले शुरु कर चुकी है. एर्दोआन के 13 साल के शासन के दौरान पहली बार तख्तापलट की इतनी गंभीर कोशिश हुई थी, जो कि असफल रही. इस दौरान 300 से भी अधिक लोगों की जान चली गई और राजधानी अंकारा की कई सरकारी इमारतों पर एफ-16 फाइटर जेट विमानों की रेड पड़ने से नागरिकों में डर फैल गया.
9,000 से ज्यादा लोग अब तक कू की योजना में शामिल होने के आरोप में हिरासत में लिए जा चुके हैं. इनमें तुर्की सेना के कुछ वरिष्ठ जनरल, हजारों अधिकारी, पुलिस और अन्य लोग शामिल हैं. एर्दोआन ने आज पहली अंतरराष्ट्रीय द्विपक्षीय वार्ता भी की और जॉर्जिया के प्रधानमंत्री का अंकारा में अपने राष्ट्रपति निवास में स्वागत किया. इसके अलावा वे अपने कैबिनेट से भी वार्ता करने वाले हैं, जिनके मंत्रालय की कई इमारतें कू की कोशिश में ध्वस्त हो गई हैं.