79 साल के तेलुगु लेखक वरावारा राव अगस्त 2018 से पुलिस की हिरासत में हैं. दो सालों में उन्होंने कई बार अपील की लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली. अब उनके कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें रिहा करने की मांग बढ़ गई है.
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वरावारा राव को जनवरी 2018 में महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव इलाके में हुई हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किया गया था. उन पर गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत भीमा-कोरेगांव हिंसा के पीछे साजिश में शामिल होने का आरोप है. यूएपीए एक बेहद सख्त कानून है जिसे मूलतः आतंकवाद और देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया गया था.
राव ने पहले भी अपनी जमानत की याचिकाओं में कहा था कि उनकी उम्र की वजह से उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण होने का ज्यादा खतरा है, लेकिन उनकी दलील को नजरअंदाज कर दिया गया. मई में उनकी तबीयत खराब हो जाने के बाद उन्हें मुंबई के जे जे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे कर फिर से जेल भेज दिया गया. जुलाई में एक बार फिर उनकी तबियत काफी खराब हो गई और उन्हें एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया.
अब राव के करीबी लोगों और पत्रकारों ने दावा किया है कि अस्पताल में भी उनका ख्याल नहीं रखा जा रहा है और उनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है. उनकी हालत को देखते हुए राव को रिहा करने की मांग बढ़ती जा रही है. पूर्व सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने डीडब्ल्यू से कहा कि वैसे भी भारत में विचाराधीन कैदियों के लंबे समय तक जेल में फंसे रहने की बहुत बड़ी समस्या है, राव का मामला उनकी उम्र और उनकी हालत की वजह से विशेष रूप से गंभीर है.
गांधी कहते हैं, "उपहार सिनेमाघर में लगी आग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघर के मालिक अंसल बंधुओं को दोषी पाए जाने के बावजूद उनकी उम्र की वजह से गिरफ्तार करने से मना कर दिया था. राव को भी इसी आधार पर रिहा कर दिया जाना चाहिए."
राव के अलावा और भी कई वकीलों, पत्रकारों और एक्टिविस्टों को पिछले कुछ सालों में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था. इनमें भीमा-कोरेगांव मामले में ही गिरफ्तार किए गए अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वर्नोन गोंसाल्वेस, शोमा सेन और दूसरे मामलों में गिरफ्तार किए गए अखिल गोगोई, डॉ कफील खान इत्यादि शामिल हैं. एक्टिविस्टों का कहना है कि भारत की भीड़ वाली जेलों में कोविड-19 के फैलने के खतरे को देखते हुए इन सभी को रिहा कर देना चाहिए.
डॉ कफील खान नागरिकता कानून के खिलाफ भाषण देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जनवरी से जेल में हैं.तस्वीर: IANS
बीजपी के आईटी सेल के पूर्व राष्ट्रीय सह-संयोजक विनीत गोयनका मानते हैं कि राव एक 'आतंकवादी' हैं और उनके खिलाफ देश को तोड़ने के और देश के लोगों के बीच नफरत फैलाने के प्रयास करने के गंभीर आरोप हैं. गोयनका पूछते हैं कि क्या ऐसे व्यक्ति के साथ कानून को अलग से पेश आना चाहिए? उनका यह भी कहना है कि इस बात पर जरूर देश में बहस होनी चाहिए कि चाहे जेल में कैद कोई "चोर हो, बलात्कारी हो या खूनी हो", उसे कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद जेल में रखना चाहिए या नहीं.
चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को जेल की सजा हुई. पी. चिदंबरम आईएनएक्स मामले में तिहाड़ गए. एक नजर उन नेताओं पर जिन्हें जेल जाना पड़ा.
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पी. चिदंबरम
कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपी हैं. उन्हें इस मामले में तिहाड़ भेजा गया.
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लालू यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चारा घोटाले के तीन मामले में अब तक दोषी ठहराने के साथ ही सजा सुनाई जा चुकी है. फिलहाल वे झारखंड की जेल में बंद हैं.
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सुखराम
हाल के दशकों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम पहले राजनेता थे जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उछला और उन्हें जेल जाना पड़ा.
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जे जयललिता
रंगीन टेलिविजन खरीद घोटाले में आरोपी के तौर पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता को गिरफ्तार किया गया.
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एम करुणानिधि
तमिलनाडु में ओवरब्रिज घोटाले में उनके शामिल होने के आरोप में उन्हें तब गिरफ्तार किया गया जब वो विपक्ष में थे.
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शिबू सोरेन
शिबू सोरेन को अपने सहयोगी शशिकांत झा की हत्या के सिलसिले में दोषी करार दिया गया. उनके खिलाफ नरसिम्हा राव की सरकार को बचाने के लिए घूस लेकर वोट देने का मामले में भी उन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया.
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बंगारु लक्ष्मण
बीजेपी के अध्यक्ष रहे बंगारु लक्ष्मण को तहलका स्टिंग ऑपरेशन में पैसे लेते हुए दिखाने के बाद ना सिर्फ पार्टी प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा बल्कि उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने चार साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई.
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अमर मणि त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के नौतनवा से चार बार विधायक रहे अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के लिए दोषी करार दिया गया.
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मोहम्मद शहाबुद्दीन
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन पर हत्या और जबरन वसूली के दर्जनों मामले चल रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के नेता और सांसद रहे शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहाई मिली थी लेकिन जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी.
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अमित शाह
सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी के एनकाउंटर मामले में अमित शाह को ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि उन्हें गुजरात से तड़ीपार भी कर दिया गया. दो साल तक बाहर रहने के बाद उन्हें अदालत से राहत मिली.
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ए राजा
यूपीए की सरकार में मंत्री रहे ए राजा को भी टेलिकॉम घोटाले में ही जेल जाना पड़ा था लेकिन फिलहाल उन्हें भी अदालत ने बरी कर दिया है.
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माया कोडनानी
2002 में गुजरात के दंगों के दौरान लोगों को भड़काने और उन्हें हिंसा के लिए उकसाने का दोषी करार दिया गया. गुजरात सरकार में मंत्री और पेशे से डॉक्टर रहीं कोडनानी को आखिरकार जेल जाना पड़ा.
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कनीमोझी
करुणानिधि की बेटी कनीमोझी को 2जी घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
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ओमप्रकाश चौटाला
हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला को टीचर भर्ती घोटाला में दोषी करार दिया गया. जिसके कारण उन्हें जेल में रहना पड़ा.
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सुरेश कलमाड़ी
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी जेल गए.
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मधु कोड़ा
मधु कोड़ा पर झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति जुटाने का केस चला. इनमें से एक मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया और तीन साल की सजा दी गई.