सऊदी अरब को उम्मीद है कि रूस दुनिया के तेल उत्पादक देशों के क्लब में शामिल होगा ताकि अंतरराष्ट्रीय बाजार को स्थिर बनाया जा सके. लेकिन इसके कारण तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक की भूमिका सवालों में हैं.
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माना जा रहा है कि सऊदी अरब और रूस के नेतृत्व में होने वाला नया गठजोड़ 14 सदस्यों वाले ओपेक से कहीं बड़ा होगा. बीते छह दशकों से दुनिया के तेल बाजार में ओपेक का ही दबदबा है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि तेल उत्पादक देशों के क्लब में रूस के शामिल होने से अगर ओपेक पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ तो उसका असर कम जरूर हो जाएगा.
जनवरी में ओपेक के अहम देश सऊदी अरब ने प्रस्ताव रखा कि 2016 में ओपेक और गैर ओपेक तेल उत्पादक 24 देशों के बीच उत्पादन को घटाने और कीमतें बढ़ाने के लिए जो सहयोग समझौता हुआ था, उसमें विस्तार किया जाए. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और सऊदी ऊर्जा मंत्री खालेद अल फालेह समेत आला सऊदी अधिकारियों ने कहा कि तेल उत्पादक देशों के बीच एक दीर्घकालीन सहयोग समझौता होना चाहिए. इस प्रस्ताव को संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत जैसे कई ओपेक सदस्य देशों का समर्थन मिला.
रूसी सरकार के प्रवक्ता ने पिछले महीने कहा कि रूस और सऊदी अरब वैश्विक तेल बाजार में सहयोग को लेकर "व्यापक विकल्पों" पर बात कर रहे हैं. तेल उत्पादक देश अपने व्यापक होते सहयोग की शुरुआती सफलता से उत्साहित हैं. तेल के जो दाम 26 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए, वे अब 70 डॉलर से ऊपर हो गए हैं.
यहां मिलता है सबसे सस्ता पेट्रोल
पेट्रोल और डीजल की कीमतें दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करती हैं. लेकिन बहुत सारे देश ऐसे हैं जहां यह कौड़ियों के भाव बिकता है.
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10. ईरान
ईरान में पेट्रोल 42 अमेरिकी सेंट यानि करीब 28 रुपये लीटर है. सस्ते ईंधन के मामले में ईरान दुनिया में 10वें नंबर पर आता है. जर्मन विकास सहयोग एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में पेट्रोल का औसत दाम 66 रुपये प्रति लीटर है.
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9. संयुक्त अरब अमीरात
आम तौर पर पेट्रोल का उत्पादन करने वाले देशों में कीमत कम है. तेल उत्पादक देशों के संघ ओपेक के सदस्य संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में पेट्रोल 41 अमेरिकी डॉलर प्रति लीटर है.
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8. कजाखस्तान
कजाखस्तान में पेट्रोल 40 सेंट प्रति लीटर है. उसके पास कैस्पियन सागर इलाके में करीब 30 अरब डॉलर का तेल भंडार है. यही वजह है कि अन्य देश उसके साथ मधुर संबंध चाहते हैं.
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7. ओमान
खाड़ी के देश ईंधन के लिहाज से समृद्ध हैं. ओमान भी इसका फायदा उठा रहा है. वहां पेट्रोल करीब 40 अमेरिकी सेंट प्रति लीटर है. ओमान के पास भी कच्चे तेल का बड़ा भंडार है.
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6. इक्वाडोर
दक्षिण अमेरिका का यह देश अब भी घरेलू बाजार में बहुत सस्ते दाम पर ईंधन बेचता है. वहां पेट्रोल 39 सेंट प्रति लीटर बिकता है. अर्थव्यवस्था में 30 फीसदी राजस्व पेट्रोलियम उत्पादों से आता है.
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5. कतर
ओपेक सदस्य देश कतर में भी पेट्रोल 39 सेंट प्रति लीटर है. खाड़ी के बाकी देशों की तरह वहां भी तेल की कीमतें फिक्स हैं.
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4. अल्जीरिया
उत्तरी अफ्रीका के देश राजनीतिक उथल पुथल और कच्चे तेल के गिरे हुए दामों से प्रभावित हुए हैं. फिर भी अल्जीरिया में पेट्रोल 31 सेंट प्रति लीटर यानि करीब 20 रुपये लीटर है.
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3. तुर्कमेनिस्तान
कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे मध्य एशिया के देशों के पास भी तेल का भंडार है. भयानक सर्दी वाले इन देशों में तेल और गैस ऊर्जा का मुख्य साधन हैं. तुर्कमेनिस्तान में पेट्रोल करीब 20 रुपये लीटर है.
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2. सऊदी अरब
सस्ते तेल के मामले में सऊदी अरब दूसरे नंबर पर है. अथाह तेल भंडार वाले सऊदी अरब में एक लीटर पेट्रोल करीब 26 अमेरिकी सेंट यानि करीब 17.30 रुपये लीटर है.
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1. कुवैत
करीब 10,000 करोड़ बैरल तेल भंडार वाले कुवैत में पेट्रोल सबसे सस्ता है. वहां एक लीटर पेट्रोल का दाम 23 अमेरिकी सेंट यानि करीब 15.30 रुपये लीटर है.
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बुरे दौर से निकलें
ओपेक के महासचिव मोहम्मद बारकिंदो ने इस सहयोग समझौते को बड़ी कामयाबी बताया और कहा कि इससे "तेल के इतिहास के सबसे बुरे दौर" से निकलने में मदद मिली. कुवैती तेल विशेषज्ञ कामेल अल हरमी कहते हैं कि "अकेले ओपेक देशों के साथ यह कामयाबी हासिल करना मुश्किल होता." उन्होंने कहा कि नया समझौता दरअसल सऊदी-रूस गठबंधन जैसा दिखाई देता है.
समझौते के तहत प्रति दिन तेल के उत्पादन में 18 लाख बैरल की कमी की गई है, जिससे बाजार में अतिरिक्त 30 करोड़ बैरल तेल को हटाया गया है और बाजार में कच्चे तेल का भंडार सिर्फ 5 करोड़ बैरल है. गैर ओपेक देश ओमान के तेल मंत्री मोहम्मद अल-रुहमी ने कुवैत में हुए एक सम्मेलन में कहा कि उत्पादन में कटौती करने से ही यह कामयाबी मिल पाई है. लेकिन उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि "खेल अभी खत्म नहीं हुआ है." वह बाजार में ऐसी ही परिस्थितियां बनाए रखने के लिए तेल उत्पादक देशों के बीच सहयोग जारी रखने को कहते हैं.
ज्यौं फ्रांसुआ सेजने अमेरिका की हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में तेल के विशेषज्ञ हैं. वह कहते हैं, "सऊदी अरब और रूस दुनिया में पारंपरिक तेल के दो सबसे बड़े उत्पादक हैं. या तो वे साथ रह कर तेल की कीमतों को स्थिर बना सकते हैं या फिर आपस में लड़ते रहें और तेल उत्पादन बढ़ाते रहें जिससे बाजार को खत्म कर दें और खुद भी खत्म हो जाएं." उनके मुताबिक असली मूल मंत्र यही है कि तेल के दामों को स्थिर रखा जाए.
इन देशों के पास है सबसे बड़ा ऑयल रिजर्व
विश्व की राजनीति तेल में सनी रहती है. जिन देशों के पास तेल है, वे या दोस्त हैं या दुश्मन. अमेरिकी एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन की यह सूची इसकी झलक भी देती है.
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10. नाइजीरिया
ऑयल रिजर्व: 37.2 अरब बैरल
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09. लीबिया
ऑयल रिजर्व: 48 अरब बैरल
तस्वीर: DW/K. Zurutuza
08. रूस
ऑयल रिजर्व: 80 अरब बैरल
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07. संयुक्त अरब अमीरात
ऑयल रिजर्व: 97.8 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa
06. कुवैत
ऑयल रिजर्व: 104 अरब बैरल
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Al-Zayyat
05. इराक
ऑयल रिजर्व: 141.35 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa
04. ईरान
ऑयल रिजर्व: 154.58 अरब बैरल
तस्वीर: imago/Xinhua
03. कनाडा
ऑयल रिजर्व: 173.1 अरब बैरल
तस्वीर: AFP/Getty Images/M. Ralston
02. सऊदी अरब
ऑयल रिजर्व: 267.9 अरब बैरल
तस्वीर: M. Naamani//AFP/Getty Images
01. वेनेजुएला
ऑयल रिजर्व: 287.6 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Sanchez
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कामयाबी का मंत्र
2014 में तेल के दाम धड़ाम से नीचे आ गिरे क्योंकि तेल उत्पादक देशों और खासकर सऊदी अरब ने उत्पादन में कटौती से इनकार कर दिया, ताकि अमेरिका के शेल ऑइल के मुकाबले बाजार में उसकी हिस्सेदारी कम न हो. इसका नतीजा यह हुआ कि बाजार में बहुत अधिक तेल का भंडार जमा हो गया और कीमतें गिरने लगीं. बाद में सऊदी अरब को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने बड़ी कटौती की.
बारकिंदो सऊदी-रूस गठबंधन को तेल के इतिहास में "एक नया अध्याय" बताते हैं. संयुक्त अरब अमीरात के ऊर्जा मंत्री सुहैल अल-माजरोई ने पिछले महीने कहा कि नए गठबंधन का "ड्राफ्ट चार्टर" 2018 के आखिर तक तैयार कर लिया जाएगा.
सऊदी ऊर्जा मंत्री फालेह मानते हैं कि रूस के साथ साझेदारी "दशकों और पीढ़ियों" तक चलेगी. उनका कहना है कि इससे यह संदेश भी जाएगा कि सऊदी अरब ओपेक के दायरे से बाहर भी तेल उत्पादक देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है. लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि इस नए गठबंधन से तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में ओपेक की भूमिका कमजोर होगी. हरमी की राय है, "जब से रूस इस सहयोग समझौते में शामिल हुआ है, तब से ओपेक की चमक कुछ कम हो गई है.. संदेश साफ था कि सिर्फ ओपेक से काम नहीं चल सकता." वहीं हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के सेजने कहते हैं कि "ओपेक तो एक तरह से खत्म हो गया है," लेकिन यह फिर भी उपयोगी है क्योंकि इसके जरिए सऊदी अरब को छोटे तेल निर्माता देशों के साथ आदान प्रदान का मंच मिलता है.
एके/आईबी (एएफपी)
कच्चे तेल से क्या क्या मिलता है
कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल या डीजल ही नहीं मिलता है, इससे हर दिन इस्तेमाल होने वाली ढेरों चीजें मिलती हैं. एक नजर कच्चे तेल से मिलने वाले अहम उत्पादों पर.
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ब्यूटेन और प्रोपेन
कच्चे तेल के शोधन के पहले चरण में ब्यूटेन और प्रोपेन नाम की प्राकृतिक गैसें मिलती हैं. बेहद ज्वलनशील इन गैसों का इस्तेमाल कुकिंग और ट्रांसपोर्ट में होता है. प्रोपेन को अत्यधिक दवाब में ब्युटेन के साथ कंप्रेस कर एलपीजी (लिक्विड पेट्रोलियम गैस) के रूप में स्टोर किया जाता है. ब्यूटेन को रेफ्रिजरेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
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तरल ईंधन
प्रोपेन अलग करने के बाद कच्चे तेल से पेट्रोल, कैरोसिन, डीजल जैसे तरल ईंधन निकाले जाते हैं. सबसे शुद्ध फॉर्म पेट्रोल है. फिर कैरोसिन आता है और अंत में डीजल. हवाई जहाज के लिए ईंधन कैरोसिन को बहुत ज्यादा रिफाइन कर बनाया जाता है. इसमें कॉर्बन के ज्यादा अणु मिलाए जाते हैं. जेट फ्यूल माइनस 50 या 60 डिग्री की ठंड में ही नहीं जमता है.
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नैफ्था
पेट्रोल, कैरोसिन और डीजल बनाने की प्रक्रिया में जो अपशेष मिलता है, उससे बेहद ज्वलनशील तरल नैफ्था भी बनाया जाता है. नैफ्था का इस्तेमाल पॉकेट लाइटरों में किया जाता है. उद्योगों में नैफ्था का इस्तेमाल स्टीम क्रैकिंग के लिए किया जाता है. नैफ्था सॉल्ट का इस्तेमाल कीड़ों से बचाव के लिए किया जाता है.
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नैपाम
कच्चे तेल से मिलने वाला नैपाम विस्फोटक का काम करता है. आग को बहुत दूर भेजना हो तो नैपाम का ही इस्तेमाल किया जाता है. यह धीमे लेकिन लगातार जलता है. पेट्रोल या कैरोसिन के जरिए ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे बहुत जल्दी जलते हैं और तेल से वाष्पीकृत भी होते हैं.
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मोटर ऑयल
गैस और तरल ईंधन निकालने के बाद कच्चे तेल से इंजिन ऑयल या मोटर ऑयल मिलता है. बेहद चिकनाहट वाला यह तरल मोटर के पार्ट्स के बीच घर्षण कम करता है और पुर्जों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है.
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ग्रीस
मोटर ऑयल निकालने के साथ ही तेल से काफी फैट निकलता है. इसे ऑयल फैट या ग्रीस कहते हैं. लगातार घर्षण का सामना करने वाले पुर्जों को नमी से बचाने के लिए ग्रीस का इस्तेमाल होता है.
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पेट्रोलियम जेली
आम घरों में त्वचा के लिए इस्तेमाल होने वाला वैसलीन भी कच्चे तेल से ही निकलता है. ऑयल फैट को काफी परिष्कृत करने पर गंधहीन और स्वादहीन जेली मिलती है, जिसे कॉस्मेटिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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मोम
ऑयल रिफाइनरी में मोम का उत्पादन भी होता है. यह भी कच्चे तेल का बायप्रोडक्ट है. वैज्ञानिक भाषा में रिफाइनरी से निकले मोम को पेट्रोलियम वैक्स कहा जाता है. पहले मोम बनाने के लिए पशु या वनस्पति वसा का इस्तेमाल किया जाता था.
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चारकोल
असफाल्ट, चारकोल, कोलतार या डामर कहा जाने वाला यह प्रोडक्ट भी कच्चे तेल से मिलता है. हालांकि दुनिया में कुछ जगहों पर चारकोल प्राकृतिक रूप से भी मिलता है. इसका इस्तेमाल सड़कें बनाने या छत को ढकने वाली वॉटरप्रूफ पट्टियां बनाने में होता है.
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प्लास्टिक
कच्चे तेल का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने के लिए भी किया जाता है. दुनिया भर में मिलने वाला ज्यादातर प्लास्टिक कच्चे तेल से ही निकाला जाता है. वनस्पति तेल से भी प्लास्टिक बनाया जाता है लेकिन पेट्रोलियम की तुलना में महंगा पड़ता है.