क्रिसमस का स्वागत दुनिया भर में जोर शोर से हो रहा है. बढ़िया केक और कुकीज, मधुर संगीत और तोहफों के लिए भी हर कोई इस त्योहार का इंतजार करता है. मगर ऐसी कुछ और भी बातें हैं जो हमारे दिमाग पर असर डालती हैं, जैसे बाजार में हफ्ते भर पहले से ही क्रिसमस के खास गीत या कैरल का सुनाई देना. इनकी वजह से हम त्योहार के दिन के पहले से ही उसका इंतजार करने लगते हैं. ब्रेन रिसर्चर मानफ्रेड श्पित्सर बता रहे हैं, "क्रिसमस का आना हमारे दिमाग के अंदर होता है."
इंतजार की 'साइंस'
रिसर्चर श्पित्सर के मुताबिक कई चीजें ऐसी होती हैं जो हमारे दिमाग को किसी खास दिन के इंतजार के लिए तैयार करती हैं. जैसे गाना गाना, खास पकवानों का बनना, तोहफे मिलना और एक साथ होने के बारे में सोचना वगैरह. हो सकता है इसका कोई संबंध 25 दिसंबर की तारीख से भी हो, जो कि साल की सबसे लंबी रात के पास ही पड़ती है. इस तारीख के साथ ठंड के खत्म होने और गर्मी के लौटने की उम्मीदें भी जुड़ी होती हैं.
संगीत से दिमाग में भय के रिसेप्टर निष्क्रिय और आनंद से जुड़े न्यूरोट्रांसमिटर सक्रिय हो जाते हैं. क्रिसमस के साथ कई तरह के इंतजार भी जुड़े होते हैं. श्पित्सर के मुताबिक "अक्सर जब लोगों को बिना उम्मीद के कोई तोहफा मिलता है तो वे और भी खुश हो जाते हैं." आश्चर्य के भाव के साथ कुछ ऐसे न्यूरोट्रांसमिटर और हार्मोन जुड़े होते हैं जो हमें खुशी देते हैं.
दिमाग से उठती खुशी की लहर
हमारा मस्तिष्क शरीर के बाकी सभी हिस्सों से सबसे ज्यादा संपर्क में रहता है. दिमाग में एक जगह से दूसरी जगह संदेश भेजने के लिए करीब 100 अरब न्यूरॉन और 1000 अरब सूत्रयुग्मन होते हैं. सूत्रयुग्मन ऐसी संरचना है जिससे सिग्नल ग्राही कोशिकाओं तक पहुंचते हैं. रिसर्चर जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इस प्रक्रिया से हमारी भावनाएं कैसे प्रभावित होती हैं.
तोहफे को खोलते समय हमारी उंगलियों को खास एहसास होता है. कई बार उंगलियां खुशी से कांप भी सकती हैं. ऐसा दिमाग में चल रही प्रक्रियाओं के कारण होता है. इंतजार से जुड़े न्यूरोट्रांसमिटर हमें यह एहसास कराते हैं.
भारत में रोशनी का पर्व दीपावाली धूमधाम से मनाया जा रहा है. बाजार तरह तरह के उपहार, मिठाई, दिये और सजावट के समान से पटे पड़े हैं. सोशल मीडिया में इस बार पटाखा मुक्त दीवाली की अपील जोरों पर है.
तस्वीर: Reutersधनतेरस को धन और समृद्धि का दिन माना जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन जो लोग बर्तन, सोना, गाड़ी, घर या कोई और संपत्ति खरीदते हैं वह शुभ होता है. धनतेरस पर नया बही खाता खुलता है.
तस्वीर: UNIमहिलाएं धनतेरस के दिन सोने के गहने या चांदी, सोने के सिक्के खरीदती हैं. पिछले दिनों सोने की कीमत में नरमी थी जिस वजह से इस साल लोगों ने सोने की जमकर खरीदारी की.
तस्वीर: UNIदिवाली के कुछ दिन पहले ही बाजारों में रौनक आ जाती है. मिठाई की दुकानों में पहले से ही ऑर्डर बुक किए जाते हैं. इस मौके पर तरह तरह की मिठाई बनती हैं. वक्त के साथ चॉकलेट, कुकीज को भी उपहार में देने का चलन हो गया है.
तस्वीर: UNIदिवाली के बहुत दिन पहले ही बच्चे दिवाली घर बनाते हैं और उसपर रंग रोगन करते हैं. महिलाएं घर के आंगन या फिर मुख्य दरवाजे के बाहर फूल, रंग और दिए से रंगोली बनाती हैं. घर को खूबसूरत रंग बिरंगी बत्तियों से भी सजाया जाता है.
तस्वीर: UNIदिवाली के मौके पर कंपनियां अपने कर्मचारियों को तोहफा या फिर नकद देती हैं, तो लोग अपने रिश्तेदारों को तोहफे में मिठाई के डिब्बे या अन्य उपहार भेंट करते हैं. ऐसी मान्यता है कि दिवाली के दिन किसी के घर खाली हाथ नहीं जाते.
तस्वीर: Reutersदिवाली पर पारंपरिक शॉपिंग तो आम बात है लेकिन अब ऑनलाइन शॉपिंग का भी चलन तेजी से बढ़ा है. ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट दिवाली के मौके पर अनेक ऑफर्स पेश कर रही है. ग्राहकों को लुभाने के लिए तरह तरह के डिस्काउंट और लाभ दिए जा रहे हैं.
तस्वीर: flipkart.comहर साल दिवाली के दूसरे दिन अखबारों में सुर्खियां होती हैं कि पटाखों के कारण ध्वनि और वायु प्रदूषण का रिकॉर्ड टूटा. लेकिन इस बार अनेक संस्थाएं, सामाजिक कार्यकर्ता और सरकारों की भी कोशिश है कि दिवाली पर कम से कम प्रदूषण हो.
तस्वीर: UNIइस दिवाली आप भी ऐसा कुछ करें जिससे धरती पर बोझ कम हो सके. ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण को बढ़ाने के बदले आप भी स्वस्थ दिवाली का समर्थन करें.
तस्वीर: DIBYANGSHU SARKAR/AFP/Getty Imagesउत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में दिवाली के मौके पर शांति और भाईचारे का संदेश देती मुस्लिम छात्राएं.
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