गुरुवार को सऊदी अरब में स्थित मुसलमानों का सबसे पवित्र स्थान फिर एक बार हादसे का शिकार हुआ. मक्का से बाहर स्थित मीना शहर में हुई भगदड़ में 700 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है.
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सऊदी अरब प्रशासन ने बताया है कि राहत अभियान जारी हैं. अभी तक भगदड़ मचने के कारण का पता नहीं चल पाया है. इसमें 700 से अधिक लोगों के मारे जाने और 900 से भी अधिक के घायल होने की खबर हैं. तीर्थयात्री पवित्र शहर मक्का के ठीक बाहर मीना शहर में शैतान पर पत्थर फेंकने की एक रस्म के लिए इकट्ठा हुए थे.
इसमें एक दीवार को सांकेतिक रूप से शैतान मानकर उस पर पत्थर फेंके जाते हैं और इसी के साथ इस समारोह का समापन होता है. मक्का में करीब 20 लाख लोग सालाना हज यात्रा पर दुनिया भर से पहुंचते हैं.
दुनिया भर के करीब 1.5 अरब मुसलमान इसी दिन ईद-अल-अदहा यानि कुर्बानी का त्योहार मना रहे हैं. इस्लामिक कैलेंडर में इसे सबसे महत्वपूर्ण तारीख माना जाता है.
इस बार भारत में कई लोग इसे बिना खूनखराबे के मनाने का आह्वान कर रहे हैं. #BloodLessEid के साथ जीव संरक्षण संस्थाओं समेत आम लोग भी ट्विटर संदेश भेज रहे हैं. ऐसा ही एक वीडियो देखिए...
पिछले एक दशक में बेहतर सुरक्षा व्यवस्था के कारण हज काफी सुरक्षित रहे हैं. उसके पहले लगभग हर साल ही भगदड़ और आग लगने की दुर्घटनाएं होती थीं. इस साल हज की तैयारियों के दौरान भी 11 सितंबर को मक्का की मस्जिद पर काम में लगी बड़ी क्रेन के गिर जाने से 100 से ही अधिक लोगों की जान चली गई थी. जनवरी 2006 में मीना में इसी रस्म के दौरान मची भगदड़ में 364 तीर्थयात्री मारे गए थे.
कैसे हुआ मक्का में हादसा?
क्रेन के गिरने के बाद मक्का पहुंचे लोग सदमे में हैं और सवाल कर रहे हैं कि आखिर कैसे हुआ इतना बड़ा हादसा.
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हज से ठीक पहले
21 सितंबर को हज की शुरुआत होनी है. इससे एक हफ्ता पहले हुए क्रेन हादसे ने लोगों में चिंता पैदा कर दी है. अब तक 115 लोगों के मारे जाने की खबर है. इनमें 11 भारतीय भी हैं.
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भारी भीड़
चार से पांच दिन तक चलने वाले हज में इस बार दुनिया भर से 20 से 30 लाख मुस्लिमों के मक्का पहुंचने की उम्मीद है. लोग चाहते हैं कि इतने भीड़ के बीच सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता हों.
सऊदी अधिकारियों ने बारिश और तेज हवाओं को इसका जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि क्रेन बनाने वाली कंपनी का कहना है कि क्रेन के साथ उसे ठीक तरह से इंस्टॉल करने के निर्देश भी भेजे जाते हैं, जिनमें मौसम को ले कर सटीक जानकारी होती है.
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किसकी क्रेन?
स्विट्जरलैंड की कंपनी लीबहेयर इस क्रेन की निर्माता है. कंपनी अधिकतर माल जर्मनी में बनाती है और दुनिया भर में निर्यात करती है. दिल्ली मेट्रो के निर्माण में भी इस कंपनी की क्रेनों का इस्तेमाल किया गया.
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अल्लाह की मर्जी!
मक्का की मस्जिद अल हरम के इमाम शेख अब्दुल रहमान अल सुदैस अस्पताल में घायलों से मिलने पहुंचे. उन्होंने पीड़ितों को एक एक पैकेट दिया जिसमें कुरान, मक्का के जमजम कुएं का पानी और इत्र मौजूद था. इसे देते हुए उन्होंने कहा, "यही अल्लाह की मर्जी है" और हज से ठीक पहले काबा में मौजूद होने पर यह उनका इनाम है.
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चारों तरफ खून
अपने पति के साथ आईं हसना करम ने बताया कि वे काबा के करीब थीं, जब हादसा हुआ. आसमान की ओर हाथ उठाकर वे प्रार्थना कर रही थीं, "अचानक ही जोर से आवाज हुई, मेरे इर्दगिर्द किसी का सिर पड़ा था, किसी का पैर, खून ही खून, लाशें. हम अल्लाहु अकबर जपने लगे."
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इतना ताकतवर
मिस्र में हज टूअर कंपनी चलाने वाले अयमन शाबान भी वहां मौजूद थे. उन्होंने बताया कि जब क्रेन गिरी, वे उछल कर 20 मीटर दूर जा पहुंचे. हादसे में उन्हें कई चोटें आईं, वे बाईं आंख नहीं खोल पा रहे. वे मानने से इंकार करते हैं कि हवा के कारण क्रेन गिरी, "जो भी इसके लिए जिम्मेदार है, उसे सजा होनी चाहिए."
तस्वीर: picture-alliance/dpaSaudi TV
जांच जारी
क्रेन को अभी भी हादसे की जगह से हटाया नहीं गया है. क्रेन बनाने वाली कंपनी का कहना है कि वे जांच में सहयोग देने के लिए तैयार हैं ताकि जल्द ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके.
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क्यों मौजूद थी क्रेन?
सऊदी अरब का दावा है कि 2040 तक हज के लिए आने वाले लोगों की संख्या सालाना 70 लाख हो जाएगी. इन लोगों के लिए जगह बनाने के लिए अल हरम मस्जिद के इर्द गिर्द काम चल रहा है. काबा के आसपास के इलाके को दोगुना करने की योजना है. इसी कारण वहां दर्जनों क्रेनें मौजूद हैं.
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सऊदी बिनलादेन ग्रुप
निर्माण कार्य का मुख्य हिस्सा मशहूर सऊदी बिनलादेन ग्रुप के पास है, जिसका शाही परिवार से करीबी नाता है. ओसामा बिन लादेन भी इसी परिवार का हिस्सा था. 90 के दशक में परिवार ने उससे अपना नाता तोड़ लिया था.