प्रलय जैसी इंसानी या प्राकृति आपदा के बाद अन्न कैसे मिलेगा? वैज्ञानिक आर्कटिक के बीज भंडार को इसीलिए समृद्ध कर रहे हैं.
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नॉर्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच इंसानी आबादी से दूर एक द्वीप है, स्वालबार्ड आर्किपेलागो. वहां दुनिया का सबसे बड़ा बीज भंडार है. बर्फीली वादियों में बनाया गया यह एक इमरजेंसी बीज भंडार है. परमाणु युद्ध और प्रलय जैसी प्राकृतिक आपदा के चलते अगर कभी दुनिया भर में फसलें खत्म हो गईं, तो स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट से बीज निकालकर खेतों में फिर से बुआई की जा सकेगी.
बुधवार को बर्फीले द्वीप में बने इस बीज भंडार की तिजोरी 10 साल बाद खोली गई. इस दौरान वैज्ञानिकों ने भारत, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और अमेरिका से जुटाए गए बीज संभाले.
असल में 1945 में जापान पर अमेरिका परमाणु हमले के बाद दुनिया के ताकतवर देशों में परमाणु बम बनाने की होड़ छिड़ गई. इसी दौरान वैज्ञानिकों ने 1947 में एक डूम्सडे क्लॉक भी बनाई. "द बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स" के सदस्यों की इस क्लॉक को सर्वनाश की घड़ी भी कहा जा सकता है. शिकागो यूनिवर्सिटी में टंगी इस घड़ी के जरिये परमाणु युद्ध और जलवायु परिवर्तन के करीब आते खतरे को भांपा जाता है.
1947 से चल रही इस घड़ी के कांटे अब सर्वनाश के लम्हे के करीब हैं. दुनिया भर में राष्ट्रवाद के बढ़ते उफान और जलवायु परिवर्तन को नकारने वाले डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद जनवरी 2017 में डूम्सडे क्लॉक की सुइयां आगे बढ़ीं. अब घड़ी में 11:57:30 बज रहे हैं. 12 बजने का मतलब तबाही है. इससे पहले 1953 में कोरिया संकट के दौरान घड़ी 11:58 तक गई.
युद्ध या अभूतपूर्व जलवायु परिवर्तन की स्थिति में अगर फसलें खत्म हो गईं तो आर्कटिक के बीज भंडार का ही सहारा बचेगा. स्वालबार्ड ग्लोबल सीट वॉल्ट में सूखे इलाकों में कृषि को बेहतर बनाने पर भी रिसर्च हो रही है. इस बार बीज भंडार में अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका, भारत और मध्य पूर्व के 50,000 हजार बीज लाए गए हैं.
(इनसे है पृथ्वी को सबसे बड़ा खतरा)
इनसे है पृथ्वी को सबसे बड़ा खतरा
पृथ्वी को इस समय जलवायु परिवर्तन या उल्कापिंडों के टकराने से ज्यादा खतरा खुद इंसान से है. द कंवर्सेशन डॉट कॉम theconversation.com के रिव्यू के मुताबिक इंसान की ही बनाई हुई कुछ खास चीजों से खतरा है हमारी पृथ्वी को.
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परमाणु युद्ध
अगर दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच परमाणु युद्ध हो जाए तो इससे सीधे तौर पर दुनिया की लाखों की आबादी प्रभावित होगी. यही नहीं इसके बाद पृथ्वी पर निम्न तापमान और सूखे का असर सैकड़ों सालों तक रहेगा. इससे दुनिया भर में भुखमरी फैल सकती है.
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बायोटेक्नोलॉजी
इतिहास गवाह है कि युद्ध के मुकाबले महामारियों से ज्यादा लोग मारे जाते हैं. और बीमारियां पहले के मुकाबले ज्यादा भयानक होती जा रही हैं, इसमें बायोटेक्नोलॉजी का भी हाथ है. उदाहरण के तौर पर एक्ट्रोमीलिया वायरस, जो चूहों में चिकनपॉक्स का कारक है, बायोटेक्नोलॉजी की रिसर्चों के चलते यह पहले के मुकाबले ज्यादा असरदार हो गया है और इससे मनुष्य भी संक्रमित हो सकता है.
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बुद्धिमत्ता
इंसान का बुद्धिमान होना अच्छी बात है लेकिन ये तेज दिमाग अगर गलत हाथों में चले जाएं तो बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं. बुद्धिमत्ता से नैतिकता का कोई संबंध नहीं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि बुद्धिमान आदमी सिर्फ नैतिक काम ही करेगा.
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नैनोटेक्नोलॉजी
नैनोटेक्नोलॉजी के बड़े सारे उपयोग हैं लेकिन बायोटेक्नोलॉजी की ही तरह इसका भी खतरा यह है कि इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है. सबसे बड़ा खतरा यह कि नैनोटेक्नोलॉजी की मदद से बेहद खतरनाक हथियार बनाए जा सकते हैं.
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जलवायु परिवर्तन और उल्कापिंड
तेजी से बदल रही जलवायु पृथ्वी के लिए एक बड़ी चुनौती है. यह भी संभव है कि कोई उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा जाए और भारी नुकसान पहुंचाए. लेकिन उसकी संभावना बहुत कम है. ज्यादा बड़ा खतरा विश्व को परमाणु युद्ध से है जो कि विश्व पर पिछले 70 सालों से मंडरा रहा है.