तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक और उसके सहयोगियों ने 10 फीसदी तेल उत्पादन घटाने का फैसला किया है. कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में तेल की मांग बहुत कम हो चुकी है.
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देश निर्यातक देशों का कहना है कि मई और जून में वे प्रतिदिन एक करोड़ बैरल कम तेल निकालेंगे. जुलाई से दिसंबर तक कटौती में थोड़ी राहत दी जाएगी और इसे 80 लाख बैरल कट में बदल दिया जाएगा.
तेल उत्पादन में यह कटौती अप्रैल 2022 तक जारी रह सकती है. तेल विक्रेता देशों को उम्मीद है कि उत्पादन कम करके तेल के गिरते दामों में लगाम लग सकेगी. लेकिन कटौती में अमल काफी हद तक मेक्सिको के फैसले पर भी निर्भर करता है. अगर मेक्सिको ने कटौती नहीं की या उत्पादन बढ़ाया तो ओपेक देशों का दांव नाकाम पड़ सकता है.
मेक्सिको के ऊर्जा मंत्री रोसियो नाहले गार्सिया ने ट्ववीट कर कहा कि उनका देश एक लाख बैरल प्रतिदिन कटौती करने को तैयार है. लेकिन बाकी देश उम्मीद कर रहे थे कि मेक्सिको चार लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती करे.
वेनेजुएला ने भी रूस और सऊदी अरब के एक करोड़ बैरल प्रतिदिन के कटौती प्रस्ताव का समर्थन किया है.
वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए हुई मैराथन मीटिंग में रूस के ऊर्जा मंत्री और ओपेक के सहयोगी देश भी मौजूद थे. कोरोना वायरस और रूस-सऊदी अरब के झगड़े के चलते मार्च में तेल के दाम 18 साल बाद सबसे निचले स्तर पर आ चुके थे. लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बयान के बाद क्रूड ऑयल की कीमत 20 फीसदी उछली. ट्रंप ने सऊदी अरब और रूस के विवाद के खत्म होने की उम्मीद जताई थी.
सऊदी अरब दुनिया में लंबे समय तक तेल का सबसे बड़ा उत्पादक था. लेकिन हाल के वर्षों में अमेरिका में फ्रैकिंग तकनीक से तेल निकालने का तरीका बेहद कारगर साबित हुआ है. अब अमेरिका दुनिया में नंबर वन तेल उत्पादक बन चुका है.
14 सितंबर 1960 को अस्तित्व में आए संगठन, ऑगर्नाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) में अल्जीरिया, अंगोला, कांगो, इक्वाडोर, गिनी, गाबोन, ईरान, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, यूएई और वेनेजुएला शामिल हैं. चाड, कनाडा, अर्जेंटीना, कोलंबिया, त्रिनिदाद और टोबैगो, इंडोनेशिया, मिस्र और नॉर्वे संगठन के सहयोगी हैं.
कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल या डीजल ही नहीं मिलता है, इससे हर दिन इस्तेमाल होने वाली ढेरों चीजें मिलती हैं. एक नजर कच्चे तेल से मिलने वाले अहम उत्पादों पर.
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ब्यूटेन और प्रोपेन
कच्चे तेल के शोधन के पहले चरण में ब्यूटेन और प्रोपेन नाम की प्राकृतिक गैसें मिलती हैं. बेहद ज्वलनशील इन गैसों का इस्तेमाल कुकिंग और ट्रांसपोर्ट में होता है. प्रोपेन को अत्यधिक दवाब में ब्युटेन के साथ कंप्रेस कर एलपीजी (लिक्विड पेट्रोलियम गैस) के रूप में स्टोर किया जाता है. ब्यूटेन को रेफ्रिजरेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
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तरल ईंधन
प्रोपेन अलग करने के बाद कच्चे तेल से पेट्रोल, कैरोसिन, डीजल जैसे तरल ईंधन निकाले जाते हैं. सबसे शुद्ध फॉर्म पेट्रोल है. फिर कैरोसिन आता है और अंत में डीजल. हवाई जहाज के लिए ईंधन कैरोसिन को बहुत ज्यादा रिफाइन कर बनाया जाता है. इसमें कॉर्बन के ज्यादा अणु मिलाए जाते हैं. जेट फ्यूल माइनस 50 या 60 डिग्री की ठंड में ही नहीं जमता है.
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नैफ्था
पेट्रोल, कैरोसिन और डीजल बनाने की प्रक्रिया में जो अपशेष मिलता है, उससे बेहद ज्वलनशील तरल नैफ्था भी बनाया जाता है. नैफ्था का इस्तेमाल पॉकेट लाइटरों में किया जाता है. उद्योगों में नैफ्था का इस्तेमाल स्टीम क्रैकिंग के लिए किया जाता है. नैफ्था सॉल्ट का इस्तेमाल कीड़ों से बचाव के लिए किया जाता है.
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नैपाम
कच्चे तेल से मिलने वाला नैपाम विस्फोटक का काम करता है. आग को बहुत दूर भेजना हो तो नैपाम का ही इस्तेमाल किया जाता है. यह धीमे लेकिन लगातार जलता है. पेट्रोल या कैरोसिन के जरिए ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे बहुत जल्दी जलते हैं और तेल से वाष्पीकृत भी होते हैं.
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मोटर ऑयल
गैस और तरल ईंधन निकालने के बाद कच्चे तेल से इंजिन ऑयल या मोटर ऑयल मिलता है. बेहद चिकनाहट वाला यह तरल मोटर के पार्ट्स के बीच घर्षण कम करता है और पुर्जों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है.
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ग्रीस
मोटर ऑयल निकालने के साथ ही तेल से काफी फैट निकलता है. इसे ऑयल फैट या ग्रीस कहते हैं. लगातार घर्षण का सामना करने वाले पुर्जों को नमी से बचाने के लिए ग्रीस का इस्तेमाल होता है.
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पेट्रोलियम जेली
आम घरों में त्वचा के लिए इस्तेमाल होने वाला वैसलीन भी कच्चे तेल से ही निकलता है. ऑयल फैट को काफी परिष्कृत करने पर गंधहीन और स्वादहीन जेली मिलती है, जिसे कॉस्मेटिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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मोम
ऑयल रिफाइनरी में मोम का उत्पादन भी होता है. यह भी कच्चे तेल का बायप्रोडक्ट है. वैज्ञानिक भाषा में रिफाइनरी से निकले मोम को पेट्रोलियम वैक्स कहा जाता है. पहले मोम बनाने के लिए पशु या वनस्पति वसा का इस्तेमाल किया जाता था.
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चारकोल
असफाल्ट, चारकोल, कोलतार या डामर कहा जाने वाला यह प्रोडक्ट भी कच्चे तेल से मिलता है. हालांकि दुनिया में कुछ जगहों पर चारकोल प्राकृतिक रूप से भी मिलता है. इसका इस्तेमाल सड़कें बनाने या छत को ढकने वाली वॉटरप्रूफ पट्टियां बनाने में होता है.
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प्लास्टिक
कच्चे तेल का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने के लिए भी किया जाता है. दुनिया भर में मिलने वाला ज्यादातर प्लास्टिक कच्चे तेल से ही निकाला जाता है. वनस्पति तेल से भी प्लास्टिक बनाया जाता है लेकिन पेट्रोलियम की तुलना में महंगा पड़ता है.