थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे अगले महीने नेपाल जाएंगे. उम्मीद की जा रही है कि नक्शा विवाद के बाद बिगड़े भारत-नेपाल रिश्तों को सुधारने में इस यात्रा की अहम भूमिका रहेगी.
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नेपाल की थल सेना ने बुधवार को एक बयान में कहा कि जनरल नरवणे नवंबर में नेपाल आएंगे. यात्रा की तारीख के बारे में विस्तार से नहीं बताया गया, लेकिन नेपाल सेना ने यह कहा कि नेपाल सरकार ने यात्रा की स्वीकृति फरवरी में ही दे दी थी. उसके बाद दोनों देशों में तालाबंदी की वजह से यात्रा का कार्यक्रम आगे नहीं बढ़ पाया. यात्रा के दौरान नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी सेना प्रमुख को नेपाल की सेना के ऑनररी जनरल की उपाधि से नवाजेंगी.
जानकारों का कहना है कि यह दोनों देशों की सेनाओं के बीच 70 सालों से चल रही परंपरा का हिस्सा है. यह देखना होगा कि इस यात्रा का दोनों देशों के रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में यह रिश्ते बिगड़े हैं. हाल ही में भारत ने मानसरोवर यात्रा के मार्ग पर उत्तराखंड के धारचुला से भारत, चीन और नेपाल की सीमा पर स्थित लिपुलेख तक एक नई सड़क का उदघाटन किया था, जिससे नेपाल नाराज हो गया था.
इसके जवाब में नेपाल सरकार ने देश का एक नया नक्शा जारी कर दिया. दरअसल उत्तराखंड और नेपाल के सुदूरपश्चिम प्रदेश प्रांतों के बीच दोनों देशों की सीमा पर लिपुलेख और कालापानी घाटी से ले कर लिंपियाधुरा दर्रे तक पूरा का पूरा विवादित इलाका है. 1998 से दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत चल रही है. लेकिन 20 मई को मामला अचानक गंभीर हो गया जब नेपाल ने अपना एक नया नक्शा जारी कर दिया जिसमें पहली बार विवादित इलाके को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया.
भारत के विरोध के बावजूद नेपाल इस नक्शे पर अड़ा रहा और नेपाल की संसद ने एक संविधान संशोधन विधेयक पारित कर इस नए मानचित्र को मान्यता भी दे दी. तब से दोनों देशों के बीच तल्खी आ गई. पिछले कुछ महीनों में हालात को सुधारने के कुछ प्रयास हुए हैं, जिनके तहत पहले तो दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच फोन पर बातचीत हुई और फिर काठमांडू में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक बैठक हुई. बैठक में भारत के खर्चे पर नेपाल में चल रही परियोजनों की समीक्षा हुई.
जनरल नरवणे की यात्रा इस पूरे प्रकरण के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय यात्रा है. इसके लिए जनरल नरवणे का चुना जाना भी दिलचस्प है क्योंकि मानचित्र विवाद विशेष रूप से उनके उस बयान के बाद भड़क गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि नेपाल "किसी और के इशारे पर" यह सब कर रहा है. नेपाल में उनके बयान का बहुत विरोध हुआ था. यहां तक कि नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने इस बयान को नेपाल के लिए "अपमानजनक" बताया था.
पड़ोसी देश मतलब वो देश जिनसे किसी देश की सीमा लगती है. भारत की सीमा सात देशों से लगती है. ये पड़ोसी देश बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान हैं. देखिए सबसे ज्यादा पड़ोसी किन देशों के हैं.
जाम्बिया
अफ्रीकी देश जाम्बिया 11वां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. जाम्बिया की सीमा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, अंगोला, मलावी, मोजांबिक, तंजानिया, नामीबिया, जिम्बाब्वे और बोतस्वाना से मिलती है.
तस्वीर: DW/C.Mwakideu
तुर्की
तुर्की 10वां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. तुर्की की सीमा अर्मेनिया, जॉर्जिया, ईरान, इराक, सीरिया, अजरबैजान, बुल्गारिया और ग्रीस से लगती है. तुर्की के आठ पड़ोसी देश हैं जिनके साथ 2,648 किलोमीटर की सीमा लगती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Altan
तंजानिया
अफ्रीकी देश तंजानिया नवां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. तंजानिया की सीमा केन्या, बुरुंडी, युगांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, जांबिया, मलावी, मोजांबिक और रवांडा से लगती है. आठ पड़ोसी देशों से तंजानिया की 3,861 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है.
तस्वीर: DW/N. Quarmyne
सर्बिया
सर्बिया की सीमा रोमानिया, हंगरी, क्रोएशिया, बोस्निया और हरजेगोवनिया, मेसेडोनिया, बुल्गारिया, कोसोवो, और मॉन्टेनेग्रो से लगती है. नौ पड़ोसी देशों वाले सर्बिया की सीमा 2,027 किलोमीटर लंबी है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये आठवें नंबर पर है.
तस्वीर: Reuters/M. Djurica
फ्रांस
फ्रांस के पड़ोसी देशों में बेल्जियम, जर्मनी, स्विटजरलैंड, इटली, स्पेन, अंडोरा, लक्जमबर्ग, मोनाको और ब्रिटेन में शामिल हैं. इन आठ पड़ोसी देशों के साथ फ्रांस की 623 किलोमीटर लंबी सीमा है. ब्रिटेन के साथ फ्रांस की जल सीमा है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये सातवें नंबर पर है.
तस्वीर: Reuters/B. Tessier
ऑस्ट्रिया
ऑस्ट्रिया के भी आठ पड़ोसी देश हैं. इनमें हंगरी, स्लोवाकिया, चेक रिपब्लिक, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इटली, लिश्टेनश्टाइन और स्लोवेनिया शामिल हैं. ऑस्ट्रिया की सीमा 2,562 किलोमीटर की है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये छठे नंबर पर है.
तस्वीर: Imago Images/Xinhua/Guo Chen
जर्मनी
जर्मनी के सभी नौ पड़ोसी देशों के नाम नीदरलैंड्स, बेल्जियम, फ्रांस, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, पोलैंड, डेनमार्क और लक्जमबर्ग हैं. जर्मनी की सबसे सीमा चेक रिपब्लिक के साथ लगी है, जो 815 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/Y. Tang
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो
सबसे ज्यादा पड़ोसी देशों के मामले में चौथे स्थान पर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो है. इसके पड़ोसी बुरुंडी, रवांडा, युगांडा, दक्षिण सूडान, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कॉन्गो रिपब्लिक, अंगोला, जाम्बिया और तंजानिया हैं. इसकी सीमा की लंबाई 2410 किलोमीटर है.
तस्वीर: AFP
ब्राजील
सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ब्राजील तीसरे स्थान पर है. ब्राजील के 10 पड़ोसी देश हैं जिनमें सूरीनाम, गुएना, फ्रेंच गुएना, वेनेजुएला, कोलंबिया, पेरू, बोलिविया, उरुग्वे, पैराग्वे और अर्जेंटीना शामिल हैं. ब्राजील की सीमा 14,691 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: AFP/D. Ramalho
रूस
रूस के कुल 14 पड़ोसी हैं. इनमें 12 रूस की मुख्यभूमि और दो पड़ोसी मुख्यभूमि के दूर के एक इलाके के हैं. मुख्यभूमि के पड़ोसी फिनलैंड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अजरबैजान, कजाखस्तान, चीन, मंगोलिया, उत्तरी कोरिया और नॉर्वे हैं. वहीं दो और पड़ोसियों लिथुआनिया और पोलैंड के बीच रूस का कलिनिन्ग्राद का इलाका है. रूस की सीमा 20,241 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: Reuters/S. Zhumatov
चीन
सबसे ज्यादा पड़ोसी देश चीन के हैं. चीन की सीमा 14 देशों से लगती है. इनमें भारत, मंगोलिया, कजाखस्तान, उत्तरी कोरिया, रूस, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, लाओस और वियतनाम शामिल हैं. इसके अलावा चीन के दो स्वायत्त इलाके हांगकांग और मकाउ भी उसके पड़ोसी हैं. चीन की थल सीमा की कुल लंबाई 22,117 किलोमीटर है.