थाइलैंड में गुफा में फंसे कुछ बच्चे बाहर निकाले गए
९ जुलाई २०१८गुफा में फंसे बच्चों के साथ अब तक क्या-क्या हुआ
18 दिन तक गुफा में फंसे रहे बच्चों के साथ ये सब हुआ
थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चों को बाहर निकालने की कोशिश में जुटे बचाव दल के लिए हर पल चुनौती भरा रहा. दुनिया भर में लोग नजरें गड़ाए इस पूरे घटनाक्रम को देख कर बच्चों के सुरक्षित बाहर आने की प्रार्थना करते रहे.
23 जून
11-16 साल की उम्र के 12 बच्चे अपने फुटबॉल कोच के साथ थाम लुआंग नाम की गुफा में गए. शाम को जब बच्चे घर नहीं लौटे तो बच्चों के परिवार वालों ने उनके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई. स्थानीय अधिकारियों ने इन्हें ढूंढना शुरू किया. खोज अभियान के दौरान बच्चों की साइकिलें और जूते गुफा के बाहर मिले.
24 जून
पुलिस ने खोज अभियान शुरू किया. लेकिन लाओस और म्यामांर की सीमा के पास बसे इलाके में भारी बारिश का कहर जारी था. पुलिस को बच्चों के हाथ-पैरों के निशान गुफा के पास मिले जिसके बाद माना गया कि ये बच्चे गुफा में गए होंगे लेकिन बारिश के चलते वहां फंस गए. वहीं बच्चों के परिजन पल-पल अपने बच्चों की वापसी का इंतजार करते रहे.
25 जून
थाई सेना के गोताखोरों ने बच्चों को गुफा में खोजना शुरू किया. ऑक्सीजन टैंक और खाना भी इनके साथ था. आसपास के इलाकों में अस्थायी तौर पर मां-बाप के लिए प्रार्थना करने की जगह बनाई गई. बारिश जारी थी, लगातार डर सता रहा था कि कही बच्चों के साथ कुछ अनहोनी न घट जाए.
26 जून
इस दिन गोताखोर कई किलोमीटर का फासला तय करने के बाद गुफा के टी-जंक्शन तक पहुंच गए. लेकिन पानी के भराव के चलते ये आगे नहीं बढ़ पाए और मजबूरन पीछे हटना पड़ा. देश के प्रधानमंत्री प्रयुत चन ओचा ने देश भर से इस बचाव अभियान में सहयोग देने का आह्वान किया.
27 जून
अमेरिकी सेना के 30 अधिकरी पहुंचे, इसमें कुछ बचाव कार्यों के खासे जानकार थे. इन्होंने तीन ब्रिटिश गोताखोरों के साथ गुफा के अंदर प्रवेश किया लेकिन उन्हें जल्द ही पानी के भराव के चलते वापस आना पड़ा. परिस्थितियां बेहद ही खराब हो रही थीं. अधिकारी मान रहे थे कि लगातार हो रही बारिश पूरी प्रक्रिया को बाधित कर रही है.
28 जून
खोज अभियान अस्थायी रूप से रोका गया क्योंकि बाढ़ के चलते पानी काफी भर गया था. कई पंप लगाकर पानी को बाहर निकालने का काम शुरू हुआ. अमेरिकी विशेषज्ञ गुफा के पास लगातार काम कर रहे थे, तो ब्रिटिश गोताखोर पहाड़ों के बीच किसी अन्य रास्ते की तलाश में थे. गुफा के अंदर पानी कॉफी के रंग जैसा था. नए रास्तों के लिए ड्रोन की मदद ली गई.
29 जून
छह दिन बाद बचाव दल ने गुफा में दाखिल होने के लिए एक नया रास्ता खोज लिया. लेकिन अब तक यह पक्का नहीं था कि यह रास्ता मुख्य गुफा के रास्ते से जुड़ता है या नहीं. देश के प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र का दौरा किया. बच्चों के परिवारों से मुलाकात कर उन्हें भरोसा दिलाया. तनाव कम करने के लिए थोड़ा मजाक किया, खाना बनाया.
30 जून
मौसम बेहतर हुआ तो एक बार फिर खोज अभियान शुरू हुआ लेकिन अब भी काम आसान नहीं था. बचाव दल हर तरफ किसी न किसी अन्य रास्ते की तलाश कर रहे थे. बाहर बचाव दल यह भी अभ्यास कर रहे थे कि अगर बच्चे मिल जाते हैं तो उन्हें सुरक्षित कैसे बाहर निकाला जाएगा.
1 जुलाई
मौसम खुलने का फायदा उठाकर गोताखोर गुफा में गए. बचाव दल ने इस बार गुफा में एक ऑपरेटिंग बेस स्थापित किया, जहां सैकड़ों ऑक्सीजन टैंक और अन्य सामान ले जाया गया. इस तैयारी से साफ था कि गोताखोर लंबे समय तक बेस में रह सकते हैं.
2 जुलाई
इंतजार लंबा हो रहा था इसलिए बच्चों के जिंदा मिलने की उम्मीदें कुछ हद तक टूटने भी लगी थी. लेकिन 2 जुलाई को खबर मिली की सभी 12 बच्चे अपने कोच के साथ जिंदा और ठीक हैं. गोताखोरों ने बच्चों से मुलाकात की, बातचीत की और उन्हें फर्स्टएड दी गई. लेकिन अब बचाव दल के सामने आई उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने की चुनौती.
3 जुलाई
थाईलैंड के गृहमंत्री अनुपोंग पाओजिंदा ने कहा कि गुफा से बच्चों को बाहर निकलने में समय लग सकता है. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इन बच्चों को गोताखोरी सीखनी पड़ेगी. उन्होंने बताया कि बच्चों को उसी जटिल मार्ग से बाहर लाया जाएगा जहां से बचाव दल ने अंदर प्रवेश किया था.
4 जुलाई
एक नया वीडियो जारी किया गया, जिसमें बच्चे अपना परिचय देते नजर आ रहे थे. उनका स्वास्थ्य ठीक रहे, इस पर खासा जोर दिया जा रहा है. सरकार ने कहा कि बच्चों को तैराकी और गोताखारी सिखाई जाएगी ताकि वह डरें नही और निकल सकें. बचाव दल मान रहा है कि जिन बच्चों को तैराकी आती भी है, उन्हें इतने संकरे रास्ते से लाने में बहुत जोखिम है.
5 जुलाई
मौसम खुलने का फायदा उठाकर बचाव दल ने अब तक करीब 12.8 करोड़ लीटर पानी गुफा से बाहर निकाल लिया. हर घंटे पानी का स्तर 1.5 सेमी कम हो रहा है. बचाव दल अब 1.5 किमी के रास्ते पर काम कर पा रहा है. इसे थर्ड चैंबर कहा जा रहा है. लेकिन 8 जुलाई को इस इलाके में भारी बारिश की संभावना है. इसलिए बचाव दल अब नए रास्ते निकालने पर भी काम कर रहा है.
6 जुलाई
बच्चों को निकालने की जुगत में जुटी टीम में शामिल 37 वर्षीय गोताखोर समर्न पूनान की मौत हो गई. यह थाईलैंड नौसेना के पूर्व सदस्य थे. पूनान को गुफा के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी. अधिकारियों के मुताबिक जब वे बच्चों को जरूरी मात्रा में ऑक्सीजन मुहैया कराने के बाद गुफा से बाहर आ रहे थे, तब उनके सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म हो गई. कुछ देर बाद दम घुटने से मौत हो गई.
7 जुलाई
बचाव ऑपरेशन प्रमुख नारोंगसाक ओसोटानकोर्न ने कहा कि फिलहाल बच्चों को डाइव कर बाहर लाने का उपयुक्त समय नहीं है. इस बीच एक संदेश गुफा में फंसी फुटबॉल टीम के कोच की तरफ से भी आया, जिसमें कोच ने बच्चों के मां-बाप से माफी मांगी है. मिशन प्रमुख ने कहा कि बच्चों तक पहुंचने के लिए इस गुफा में 100 से भी अधिक सुराख खोदने पर काम चल रहा है.
8 जुलाई
तमाम अटकलों और मंथन के बाद रविवार के दिन गोताखोरों की टीम ने बच्चों को बाहर लाने के लिए एक मिशन रवाना किया. बारिश कम होने का फायदा उठाते हुए एक्सपर्ट गोताखोरों का यह मिशन गुफा में गया और घंटों की मशक्कत के बाद चार बच्चों को बाहर लाया गया. इस सफलता के बाद 10 घंटे का समय लिया गया ताकि एयर टैंकों को भरा जा सके और स्थिति का मुआयना किया जा सके.
9 जुलाई
एक बार फिर बचाव अभियान शुरू. बाकी के बच्चों को बाहर निकालने के लिए गोताखोरों की टीम हुई रवाना. कई घंटों बाद बचाव दल को चार और बच्चों को बाहर निकालने में सफलता मिली. अब बस चार बच्चे और एक कोच गुफा में फंसा हुआ है. सोशल मीडिया समेत हर जगह बच्चों की कुशलता की प्रार्थना हो रही है.
10 जुलाई
8 बच्चों को सकुशल बाहर लाने के बाद तीसरे दौर के लिए बचाव दल रवाना. 19 गोताखोरों टीम अंदर भेजी गई. कई घंटों चले ऑपरेशन के बाद बाकी के चार बच्चे और फुटबॉल टीम के कोच गुफा से सकुशल बाहर निकले. पूरी टीम अब बाहर आ चुकी है.