फेसबुक ने थाईलैंड के राजा के आलोचकों को ब्लॉक किया
२५ अगस्त २०२०
भारत में सरकार से जुड़े फेसबुक खातों के प्रति पक्षपात के आरोपों के बाद फेसबुक पर थाईलैंड सरकार की मदद करने का आरोप लगा है. फेसबुक ने थाईलैंड के राजा की आलोचना करने वाले 10 लाख लोगों के एक समूह को ब्लॉक कर दिया है.
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थाईलैंड में पिछले कई दिनों से रोजाना सरकार के खिलाफ देश के युवाओं के नेतृत्व में प्रदर्शन चल रहे हैं और राजशाही में सुधारों की अभूतपूर्व मांग उठ रही है. इन प्रदर्शनों के बीच फेसबुक ने "रॉयलिस्ट मार्केटप्लेस" नामक जिस ग्रुप को ब्लॉक किया है उसे अप्रैल में राजशाही के एक आलोचक पविन चाचावलपोंगपुन ने बनाया था. पविन खुद जापान में रहते हैं.
सोमवार की रात ग्रुप के पेज पर एक संदेश दिखाई दे रहा था: "डिजिटल इकोनॉमी और समाज मंत्रालय के एक कानूनी अनुरोध की वजह से थाईलैंड के अंदर इस ग्रुप तक प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया है." पविन का कहना था कि फेसबुक सेना के नियंत्रण वाली सरकार के दबाव के आगे झुक गया है.
उन्होंने रॉयटर्स को बताया, "हमारा ग्रुप लोकतांत्रिकरण की प्रक्रिया का एक हिस्सा है, वो अभिव्यक्ति की आजादी का एक मंच है. ऐसा करके फेसबुक थाईलैंड में लोकतंत्र में बाधा डालने में और सर्वसत्तावाद को बढ़ावा देने में शासन का सहयोग कर रहा है."
मंगलवार को पविन ने उसी नाम से एक नया ग्रुप बना लिया और उसके अभी से 4,55,000 से भी ज्यादा सदस्य हो चुके हैं. फेसबुक का कहना है कि उसे ग्रुप को ब्लॉक करने के लिए "मजबूर" किया गया था और वो थाई सरकार को कानूनी रूप चुनौती देने की योजना बना रहा है.
कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, "इस तरह के अनुरोध गंभीर होते हैं, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन करते हैं और लोगों की अभिव्यक्ति पर डरावना असर डालते हैं. हम इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए काम करते हैं."
थाईलैंड के राजद्रोह के कानूनों के तहत राजा का तिरस्कार करना प्रतिबंधित है और इसके लिए 15 साल तक की जेल का प्रावधान है. इन कानूनों को अक्सर सोशल मीडिया मंचों पर ब्लॉक करने या पोस्ट की हुई सामग्री को हटाने के अनुरोधों का आधार बनाया जाता है. इसी महीने थाईलैंड के डिजिटल मामलों के मंत्री ने फेसबुक पर सामग्री को प्रतिबंधित करने के अनुरोधों को ना मानने का आरोप लगाया था.
10 अगस्त को उन्होंने सामग्री को हटाने के अदालत द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करने के लिए 15 दिन दिए थे और चेतावनी दी थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो थाईलैंड के कंप्यूटर अपराध कानून के तहत कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस कानून के तहत लगभग 6,367 डॉलर जुर्माने का प्रावधान है. हर आदेश का पालन ना होने पर प्रतिदिन करीब 159 डॉलर का भी जुर्माना लगता है.
मंत्रालय के प्रवक्ता पुच्चापोंग नोडथाईसोंग ने सोमवार को कहा था कि फेसबुक ने समय सीमा समाप्त होने से पहले ही सहयोग किया क्योंकि कंपनी थाई समाज के संदर्भ को समझ गई थी. उन्होंने फेसबुक की कानूनी कार्रवाई की योजना पर कोई टिप्पणी नहीं दी. मंत्रालय ने पिछले सप्ताह पविन के खिलाफ ग्रुप को बनाने के लिए अलग से साइबर-अपराध की शिकायत दर्ज की थी.
क्या बता सकते हैं फेसबुक का रंग नीला क्यों है? या उस अकाउंट के बारे में जिसे कभी ब्लॉक नहीं कर सकते. अगर कोई मर जाए तो उस अकाउंट का क्या होगा? जानिए फेसबुक के बारे में ऐसी 11 बातें जो आमतौर पर किसी को नहीं मालूम होतीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg
फेसबुक का नीला रंग
दुनिया में इतने रंग है लेकिन फेसबुक का रंग नीला ही क्यों? दरअसल फेसबुक का रंग नीला है क्योंकि फेसबुक चीफ मार्क जुकरबर्ग सबसे ठीक तरह से नीला रंग ही देख सकते हैं. मार्क जुकरबर्ग को रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस है. एक रशियन टेलिविजन टॉक शो में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें कलर ब्लाइंडनेस है और नीला ही वह रंग है जिसे वे सबसे बेहतर ढंग से देख सकता हूं. इसीलिए उन्होंने फेसबुक का रंग नीला रखा है.
तस्वीर: Reuters/T. White
जिसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता
फेसबुक पर एक ऐसा शख्स भी है जिसे कभी भी ब्लॉक नहीं किया जा सकता है. जी हां, ऐसा बिल्कुल संभव है. कोई हैरत की बात नहीं है कि वह प्रोफाइल खुद मार्क जुकरबर्ग की है. फेसबुक पर कोई भी व्यक्ति उन्हें ब्लॉक नहीं कर सकता. कोशिश करके देखिए.
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जुकरबर्ग को खोजना इतना आसान
अगर आप फेसबुक पर लॉग इन करके अपने होम पेज पर हैं तो उस वक्त आपका यूआरएल होता है https://www.facebook.com और दिलचस्प बात यह है कि अगर आप अपने इसी url के आगे बस /4 जोड़ देंगे तो आप सीधे मार्क जुकरबर्ग की वॉल पर पहुंच जाएंगे.
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दो देशों में फेसबुक बैन भी है
फेसबुक पर अरबों यूजर्स हैं जिनमें दुनिया के लगभग हर देश के लोग हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प बात है कि फेसबुक चीन और उत्तर कोरिया दो देशों में बैन है.
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कोई मर जाए तो अकाउंट का क्या होता है?
यदि हमारी जान पहचान में कोई किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो हम फेसबुक पर इस बात की रिपोर्ट कर सकते हैं. फेसबुक ऐसी प्रोफाइल्स को एक तरह का स्मारक (memorialized account) बना देता है. इस अकाउंट में कोई भी व्यक्ति लॉग इन नहीं कर सकता है. इस तरह के अकाउंट में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता.
हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर
फेसबुक के जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाते हैं. फेसबुक पर हर रोज लगभग 30 करोड़ तस्वीरें अपलोड की जाती हैं. हर 60 सेकंड में 50 हजार कमेंट्स और लगभग 3 लाख स्टेटस लिखे जाते हैं. वहीं दूसरी ओर फेसबुक पर लगभग 9 करोड़ फेक प्रोफाइल्स हैं.
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लाइक की जगह था ये नाम
फेसबुक पर हर जगह लाइक का ऑप्शन दिखता है. वैसे फेसबुक पर इस ऑप्शन के बारे में काफी विवाद रहा. सबसे पहले इसका नाम 'AWESOME' रखा गया था. लेकिन इसे बाद में LIKE किया गया था.
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ये पोक क्या बला है?
फेसबुक पर एक फीचर है पोक. किसी की प्रोफाइल पर जाकर आप उसे पोक कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब क्या है? दरअसल कोई मतलब नहीं है. ये बस जैसे खेल के लिए है. यहां तक कि फेसबुक हेल्प सेंटर में भी आप पूछेंगे कि 'poke' का क्या मतलब है तो आपको कभी पता नहीं चलेगा. इस बारे में मार्क जुकरबर्ग कह चुके हैं कि उन्होंने सोचा था कि वे फेसबुक पर एक ऐसा फीचर बनाएंगे जो बेमतलब होगा. ये बस मस्ती के लिए बनाया गया है.
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फेसबुक एक बीमारी
फेसबुक का एडिक्शन इन दिनों एक बीमारी का रूप लेता जा रहा है. दुनियाभर में हर उम्र के लोग फेसबुक एडिक्शन डिसऑर्डर यानी फेसबुक की लत से जूझ रहे हैं. इस बीमारी का संक्षिप्त नाम FAD है. इस वक्त दुनिया में लगभग कई करोड़ लोग FAD से ग्रसित हैं.
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खरीदा इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को
9 फेसबुक 2004 मार्च में शुरू हुआ और एक साल के भीतर ही इसने दस लाख यूजर्स जुटा लिए थे. जून 2009 तक यह इतना बढ़ चुका था कि यह अमेरिका की नंबर वन सोशल नेटवर्किंग साइट बन गयी. अप्रैल 2012 में फेसबुक ने इंस्टाग्राम और 2014 में वॉट्सऐप को भी खरीद लिया था.
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कब क्या लॉन्च हुआ
फेसबुक ने सितंबर 2004 में "वॉल", सितंबर 2006 में "न्यूज फीड", फरवरी 2009 में "लाइक" बटन और सितंबर 2011 में टाइमलाइन फीचर लॉन्च किया.